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Nobel 2025: किसी ने कॉल काटा,तो किसी के दरवाजे पर सुबह-सुबह हुई दस्तक, विजेताओं को ऐसे मिली नोबेल मिलने की खबर
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला
Published by: शिवम गर्ग
Updated Sat, 11 Oct 2025 06:16 AM IST
सार
इस बार कुछ विजेताओं तक यह खुशखबरी बड़े ही दिलचस्प तरीके से पहुंची। किसी के दरवाजे पर सुबह चार बजे दस्तक हुई, किसी ने स्वीडन से आया कॉल स्पैम समझकर काट दिया, तो कोई अपनी जीत की खबर जंगलों के बीच घंटों बाद जान पाया। जानिए, इस साल किस नोबेल विजेता तक कैसे पहुंची यह जिंदगी बदल देने वाली खबर...
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नोबेल पुरस्कार विजेता
- फोटो : Amar Ujala Graphics
हर साल की तरह इस बार भी अक्तूबर की शुरुआत नोबेल पुरस्कार और उनके विजेताओं के नाम रही। यह सम्मान विज्ञान, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र जैसे क्षेत्रों में असाधारण योगदान देने वालों को दिया जाता है। विज्ञान से लेकर शांति तक, हर क्षेत्र में असाधारण योगदान देने वाले लोगों के नामों का एलान भी हो चुका है। लेकिन इस बार इन ऐलानों से जुड़ी कहानियां भी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं रहीं। इस बार कुछ विजेताओं तक यह खुशखबरी बड़े ही दिलचस्प तरीके से पहुंची। किसी के दरवाजे पर सुबह चार बजे दस्तक हुई, किसी ने स्वीडन से आया कॉल स्पैम समझकर काट दिया, तो कोई अपनी जीत की खबर जंगलों के बीच घंटों बाद जान पाया।
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मैरी ई. ब्रंकॉव
- फोटो : Nobel Prize
सुबह-सुबह हुई दरवाजे पर दस्तक
सीएटल की वैज्ञानिक मैरी ई. ब्रंकॉव के घर जब सुबह 4 बजे किसी ने दस्तक दी, तो पहले उनका कुत्ता ज़ेल्डा भौंका। दरवाजे पर मौजूद एसोसिएटेड प्रेस की फोटोग्राफर ने ब्रंकॉव के पति रॉस कॉलक्व्हौन को बताया कि आपकी पत्नी ने नोबेल प्राइज जीता है। पहले तो ब्रंकॉव ने इसे मजाक समझा, लेकिन जल्द ही पुष्टि हो गई कि वे उन तीन वैज्ञानिकों में शामिल हैं जिन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में 2025 का नोबेल पुरस्कार मिला है।
ब्रंकॉव और उनकी टीम ने 20 साल पहले पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस नामक उस जैविक प्रक्रिया की खोज की थी जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को संतुलित रखती है। यह खोज डायबिटीज, लूपस और रूमेटाइड आर्थराइटिस जैसी बीमारियों को समझने में बेहद अहम साबित हुई।
सीएटल की वैज्ञानिक मैरी ई. ब्रंकॉव के घर जब सुबह 4 बजे किसी ने दस्तक दी, तो पहले उनका कुत्ता ज़ेल्डा भौंका। दरवाजे पर मौजूद एसोसिएटेड प्रेस की फोटोग्राफर ने ब्रंकॉव के पति रॉस कॉलक्व्हौन को बताया कि आपकी पत्नी ने नोबेल प्राइज जीता है। पहले तो ब्रंकॉव ने इसे मजाक समझा, लेकिन जल्द ही पुष्टि हो गई कि वे उन तीन वैज्ञानिकों में शामिल हैं जिन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में 2025 का नोबेल पुरस्कार मिला है।
ब्रंकॉव और उनकी टीम ने 20 साल पहले पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस नामक उस जैविक प्रक्रिया की खोज की थी जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को संतुलित रखती है। यह खोज डायबिटीज, लूपस और रूमेटाइड आर्थराइटिस जैसी बीमारियों को समझने में बेहद अहम साबित हुई।
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फ्रेड राम्सडेल, अमेरिकी प्रतिरक्षा विज्ञानी
- फोटो : Nobel Prize
येलोस्टोन पार्क में छुट्टियों पर थे नोबेल विनर रैम्सडेल
इसी रिसर्च टीम के सदस्य फ्रेड राम्सडेल उस वक्त येलोस्टोन नेशनल पार्क में छुट्टियां मना रहे थे। उनका फोन एयरप्लेन मोड में था, इसलिए उन्हें घंटों तक यह खबर नहीं मिली कि वे भी नोबेल विजेता बन चुके हैं। जब उनकी पत्नी के फोन पर मैसेज की बाढ़ आई, तभी उन्हें पता चला कि वे नॉबेल विजेता बन चुके हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने जैसे ही सिग्नल मिलते ही अपने दोस्तों और सहयोगियों से संवाद किया और यह अनुभव उन्हें पूरी तरह हैरान और उत्साहित कर गया।
इसी रिसर्च टीम के सदस्य फ्रेड राम्सडेल उस वक्त येलोस्टोन नेशनल पार्क में छुट्टियां मना रहे थे। उनका फोन एयरप्लेन मोड में था, इसलिए उन्हें घंटों तक यह खबर नहीं मिली कि वे भी नोबेल विजेता बन चुके हैं। जब उनकी पत्नी के फोन पर मैसेज की बाढ़ आई, तभी उन्हें पता चला कि वे नॉबेल विजेता बन चुके हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने जैसे ही सिग्नल मिलते ही अपने दोस्तों और सहयोगियों से संवाद किया और यह अनुभव उन्हें पूरी तरह हैरान और उत्साहित कर गया।
जॉन एम. मार्टिनिस एक अमेरिकी भौतिक विज्ञानी
- फोटो : Nobel Prize
कंप्यूटर खोला और खुद देखा नाम
भौतिकी के नोबेल विजेता जॉन मार्टिनिस भी उस वक्त सो रहे थे, जब सुबह-सुबह उनकी पत्नी ने दरवाजा खोला। उन्हें लगा शायद कोई इंटरव्यू के लिए आया है। लेकिन जब उन्होंने कंप्यूटर खोला, तो नोबेल वेबसाइट पर अपना नाम देखा और सन्न रह गए। मार्टिनिस ने बताया मैंने देखा मेरा नाम मिशेल डेवोरेट और जॉन क्लार्क के साथ लिखा था। मैं पूरी तरह से हैरान रह गया। इन तीनों को क्वांटम टनलिंग पर उनके शोध के लिए यह सम्मान मिला, जिसने डिजिटल तकनीक और कंप्यूटिंग की दुनिया को बदल दिया।
भौतिकी के नोबेल विजेता जॉन मार्टिनिस भी उस वक्त सो रहे थे, जब सुबह-सुबह उनकी पत्नी ने दरवाजा खोला। उन्हें लगा शायद कोई इंटरव्यू के लिए आया है। लेकिन जब उन्होंने कंप्यूटर खोला, तो नोबेल वेबसाइट पर अपना नाम देखा और सन्न रह गए। मार्टिनिस ने बताया मैंने देखा मेरा नाम मिशेल डेवोरेट और जॉन क्लार्क के साथ लिखा था। मैं पूरी तरह से हैरान रह गया। इन तीनों को क्वांटम टनलिंग पर उनके शोध के लिए यह सम्मान मिला, जिसने डिजिटल तकनीक और कंप्यूटिंग की दुनिया को बदल दिया।
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सुसुमु कितागावा जापान के विद्वान
- फोटो : Nobel Prize
‘नोबेल प्राइज’ वाली कॉल समझी स्पैम
नोबेल कमेटी औपचारिक घोषणा से ठीक पहले विजेताओं को फोन करके सूचना देती है। लेकिन कई बार यह कॉल अनदेखी रह जाती है। रसायन विज्ञान के विजेता सुसुमु कितागावा ने भी बुधवार को जब फोन उठाया, तो पहले शक में पड़ गए। उन्होंने बताया मैंने फोन कुछ रुखे अंदाज में उठाया, यह सोचकर कि शायद फिर कोई टेलीमार्केटिंग कॉल होगी, जैसी हाल ही में बहुत आ रही हैं।
नोबेल कमेटी औपचारिक घोषणा से ठीक पहले विजेताओं को फोन करके सूचना देती है। लेकिन कई बार यह कॉल अनदेखी रह जाती है। रसायन विज्ञान के विजेता सुसुमु कितागावा ने भी बुधवार को जब फोन उठाया, तो पहले शक में पड़ गए। उन्होंने बताया मैंने फोन कुछ रुखे अंदाज में उठाया, यह सोचकर कि शायद फिर कोई टेलीमार्केटिंग कॉल होगी, जैसी हाल ही में बहुत आ रही हैं।