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Women's World Cup: दादी का आशीर्वाद लाया वर्ल्ड कप... अमनजोत ने पकड़ा वो कैच, जिसने दिलाई भारत को ऐतिहासिक जीत

संजीव पंगोत्रा, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: विजय पुंडीर Updated Mon, 03 Nov 2025 03:16 AM IST
सार

फाइनल से पहले अमनजोत ने अपनी दादी भगवंती कौर से फोन पर आशीर्वाद लिया था। और सच में, दादी का आशीर्वाद रंग लाया। जैसे ही भारत ने जीत दर्ज की अमनजोत के घर में खुशी की लहर दौड़ गई।

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Womens Cricket World Cup 2025 Amanjot Kaur took the catch to give India a historic win
अमनजोत कौर - फोटो : ANI
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विस्तार
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भारत ने महिला वर्ल्ड कप फाइनल में साउथ अफ्रीका को हराकर इतिहास रच दिया। इस जीत के पीछे चंडीगढ़ की बेटी अमनजोत कौर की भूमिका निर्णायक रही। मैच के आखिरी पलों में उन्होंने ऐसा शानदार कैच पकड़ा, जिसने मुकाबले की दिशा ही बदल दी और टीम इंडिया को चमचमाती वर्ल्ड कप ट्रॉफी दिलाई। अमनजोत कौर ने लौरा वोल्वार्ड्ट (101 रन, 98 गेंद) का अद्भुत कैच लपका। इस कैच ने मैच का पासा ही पलट दिया। यह विकेट भारतीय टीम के लिए बेहद जरूरी था। इस विकेट के बाद साउथ अफ्रीका की पारी लड़खड़ा गई और टीम 246 रन पर आउट हो गई।

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फाइनल से पहले अमनजोत ने अपनी दादी भगवंती कौर से फोन पर आशीर्वाद लिया था। और सच में, दादी का आशीर्वाद रंग लाया। जैसे ही भारत ने जीत दर्ज की अमनजोत के घर में खुशी की लहर दौड़ गई। परिवार ने मिठाइयां बांटीं, मोहाली के फेज-5 में स्थित उनके घर के बाहर लोगों का हुजूम लग गया।
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पिता भूपिंदर सिंह ने कहा कि भारत की बेटियों ने आज इतिहास रच दिया है। कपिल देव की तरह अब हमारी बेटी अमनजोत ने भी शहर का नाम रोशन किया है। मां रंजीत कौर ने गर्व से कहा कि आज बेटी ने देश का नाम ऊंचा किया है। उसकी मेहनत और आत्मविश्वास ने यह मुकाम दिलाया है। अमनजोत के कोच नागेश गुप्ता ने कहा कि आज मेरा सपना पूरा हुआ। मुझे हमेशा भरोसा था कि अमनजोत एक दिन देश के लिए बड़ा काम करेगी। उसकी फिटनेस, समर्पण और फील्डिंग पर कभी शक नहीं था।

पिता की मेहनत ने दी ऊंची उड़ान
मोहाली के फेज-5 में रहने वाले भूपिंदर सिंह लकड़ी का काम करते हैं। बेटी को क्रिकेटर बनाने के लिए उन्होंने हर दिन संघर्ष किया। वे रोज साइकिल पर अमनजोत को सेक्टर-26 क्रिकेट ग्राउंड तक छोड़ने जाते थे। कई बार ट्रेनिंग के लिए उन्होंने अपनी दिनभर की दिहाड़ी तक छोड़ दी। आज वही मेहनत रंग लाई। बेटी ने देश को वर्ल्ड कप जिताकर पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।

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