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जालंधर के उत्कृष्ट ने रचा इतिहास: बैंकाक में चेस चैंपियनशिप में जीता गोल्ड, नाना से मिली थी प्रेरणा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जालंधर
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Fri, 05 Dec 2025 02:17 PM IST
सार
जालंधर के एलडिको ग्रीन के रहने वाले उत्कृष्ट ने छह साल की उम्र में ही चेस खेलना शुरू कर दिया था। उत्कृष्ट ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि उसके नाना धर्मवीर कुमार ने उसको प्रेरणा दी, जिसके बाद इस गेम में उसकी दिलचस्पी बढ़ती चली गई।
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उत्कृष्ट
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
जालंधर के इनोसेंट स्कूल की दसवीं कक्षा के छात्र उत्कृष्ट ने बैंकाक में हुई एशियन यूथ गेम्स के अधीन होने वाली चेस चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल किया है। उत्कृष्ट की टीम में तीन सदस्य थे, जिसमें केरल से अर्पित, तेलंगाना से श्रीराम आदर्श शामिल थे।
उन्होंने भारतीय युवा टीम का प्रतिनिधित्व किया। हाल ही में संपन्न हुई गेम्स में उत्कृष्ट ने फाइनल मुकाबले में आरका क्रिश्चयन ज्ञान कर्लो (अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी) के साथ कड़ा मुकाबला किया। जिसके बाद उत्कृष्ट की टीम को सोने का मेडल दिया गया। इनोसेंट स्कूल ऑफ ग्रुप्स के डॉ. अनूप बौरी ने उत्कृष्ट को बधाई दी है।
अंडर सेवन ईयर के पहले मुकाबले में जीत हासिल की। उत्कृष्ट की मां सपना तुली ने बताया कि यह काफी कठिन था कि बेटे की दिलचस्पी चेस में बढ़ती जा रही थी लेकिन इसका असर उसकी एजुकेशन पर हो रहा था। मेरे लिए काफी कठिन व चुनौती भरा समय था। लेकिन स्कूल के कोच चंद्रेश बख्शी ने बताया कि उत्कृष्ट में काफी सकारात्मक ऊर्जा है, जो उसको बुलंदियों पर ले जाएगी। सात साल की उम्र और यूकेजी के छात्र उत्कृष्ट ने चेस में रोजाना तीन घंटे लगाने शुरू किये।
उत्कृष्ट ने अंडर नौ साल का टूर्नामेंट खेला जिसमें गोल्ड मेडल जीता। उत्कृष्ट के नाना धर्मवीर कुमार व नानी निर्मल सचदेवा ने खुशी जाहिर करते हुए बताया कि रोजाना तीन घंटे चेस खेलने से स्टडी काफी प्रभावित हो रही थी लेकिन उत्कृष्ट ने इसमें संतुलन बनाकर रखा। वह नौ साल की उम्र में स्टेट जीत चुका था और उसकी प्रतिभा साफ उभर रही थी। हमने भी तय किया कि उसका रास्ता रोकना ठीक नहीं होगा।
उत्कृष्ट ने अमर उजाला से बातचीत में बताया कि वह हमेशा अपनी उम्र से अधिक वालों के साथ मुकाबला करता है ताकि गेम में सुधार हो सके और यह मेरी सफलता का मुख्य कारण रहा। अब अंडर 18 में बैंकाक में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया तो मेरी उम्र 16 साल है लेकिन मुकाबला 17-18 साल वालों के साथ हुआ। मेरा तजुर्बा ही मेरी सफलता का कारण बना। उत्कृष्ट बैंकाक से वीरवार रात को जालंधर लौटा तो उसका स्वागत किया गया। उत्कृष्ट ने अपनी सफलता के लिए अपने अभिभावकों मां सपना तुली का धन्यवाद किया जिसने उसको पूरी प्रेरणा दी।
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उन्होंने भारतीय युवा टीम का प्रतिनिधित्व किया। हाल ही में संपन्न हुई गेम्स में उत्कृष्ट ने फाइनल मुकाबले में आरका क्रिश्चयन ज्ञान कर्लो (अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी) के साथ कड़ा मुकाबला किया। जिसके बाद उत्कृष्ट की टीम को सोने का मेडल दिया गया। इनोसेंट स्कूल ऑफ ग्रुप्स के डॉ. अनूप बौरी ने उत्कृष्ट को बधाई दी है।
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छह साल की उम्र से खेल रहे चेस
जालंधर के एलडिको ग्रीन के रहने वाले उत्कृष्ट ने छह साल की उम्र में ही चेस खेलना शुरू कर दिया था। उत्कृष्ट ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि उसके नाना धर्मवीर कुमार ने उसको प्रेरणा दी, जिसके बाद इस गेम में उसकी दिलचस्पी बढ़ती चली गई। इसके बाद स्कूल में खेलना शुरू किया और फिर उसका चयन जिला स्तरीय मुकाबलों के लिए चुन लिया गया। जिला स्तरीय मुकाबलों में ही उत्कृष्ट का नाम महज साढे़ छह साल की उम्र में आ गया था।
अंडर सेवन ईयर के पहले मुकाबले में जीत हासिल की। उत्कृष्ट की मां सपना तुली ने बताया कि यह काफी कठिन था कि बेटे की दिलचस्पी चेस में बढ़ती जा रही थी लेकिन इसका असर उसकी एजुकेशन पर हो रहा था। मेरे लिए काफी कठिन व चुनौती भरा समय था। लेकिन स्कूल के कोच चंद्रेश बख्शी ने बताया कि उत्कृष्ट में काफी सकारात्मक ऊर्जा है, जो उसको बुलंदियों पर ले जाएगी। सात साल की उम्र और यूकेजी के छात्र उत्कृष्ट ने चेस में रोजाना तीन घंटे लगाने शुरू किये।
उत्कृष्ट ने अंडर नौ साल का टूर्नामेंट खेला जिसमें गोल्ड मेडल जीता। उत्कृष्ट के नाना धर्मवीर कुमार व नानी निर्मल सचदेवा ने खुशी जाहिर करते हुए बताया कि रोजाना तीन घंटे चेस खेलने से स्टडी काफी प्रभावित हो रही थी लेकिन उत्कृष्ट ने इसमें संतुलन बनाकर रखा। वह नौ साल की उम्र में स्टेट जीत चुका था और उसकी प्रतिभा साफ उभर रही थी। हमने भी तय किया कि उसका रास्ता रोकना ठीक नहीं होगा।
लाॅकडाउन में आया निखार
2021 में लॉकडाउन में उत्कृष्ट ने खुद में निखार लाया। लगातार प्रैक्टिस की और आपदा में पूरा अवसर तलाशा। इसमें काफी कामयाब हुआ। फिर अंडर 14 मुकाबला हुआ, जिसमें सोने का तमगा जीता और पंजाब की अगुवाई की। उत्कृष्ट बताता है कि फिर मेरा नाम भारतीय टीम के लिए चयनित हो गया।उत्कृष्ट ने अमर उजाला से बातचीत में बताया कि वह हमेशा अपनी उम्र से अधिक वालों के साथ मुकाबला करता है ताकि गेम में सुधार हो सके और यह मेरी सफलता का मुख्य कारण रहा। अब अंडर 18 में बैंकाक में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया तो मेरी उम्र 16 साल है लेकिन मुकाबला 17-18 साल वालों के साथ हुआ। मेरा तजुर्बा ही मेरी सफलता का कारण बना। उत्कृष्ट बैंकाक से वीरवार रात को जालंधर लौटा तो उसका स्वागत किया गया। उत्कृष्ट ने अपनी सफलता के लिए अपने अभिभावकों मां सपना तुली का धन्यवाद किया जिसने उसको पूरी प्रेरणा दी।