{"_id":"691d6373492c8efbf1018901","slug":"new-revelation-in-drug-money-scam-from-malkhana-jagraon-accused-associate-arrested-2025-11-19","type":"story","status":"publish","title_hn":"Jagraon: मालखाने से ड्रग मनी घोटाले में नया खुलासा, आरोपी गुरदास का साथी मनोज गिरफ्तार; 6 लाख बरामद","category":{"title":"Crime","title_hn":"क्राइम","slug":"crime"}}
Jagraon: मालखाने से ड्रग मनी घोटाले में नया खुलासा, आरोपी गुरदास का साथी मनोज गिरफ्तार; 6 लाख बरामद
संवाद न्यूज एजेंसी, जगरांव (पंजाब)
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Wed, 19 Nov 2025 12:00 PM IST
सार
आरोपी गुरदास मालखाने में जमा केस प्रॉपर्टी की सील को लाइटर से पिघलाकर तोड़ देता था और वारदात के बाद दोबारा सील लगाकर घोटाले को छुपा देता था। इस काम में उसका सहयोगी मनोज उसका साथ देता था।
विज्ञापन
आरोपी मनोज
- फोटो : फाइल
विज्ञापन
विस्तार
थाना सिधवां बेट के मालखाने से ड्रग मनी गायब करने के मामले में गिरफ्तार मुंशी गुरदास से पुलिस पूछताछ के दौरान बड़ा खुलासा हुआ है। गुरदास ने बताया कि वह चोरी की गई नकदी अपने एक साथी मनोज कुमार उर्फ मंगू के पास भी रखता था।
उसके बयान के आधार पर पुलिस ने मनोज को नामजद कर गिरफ्तार किया और उसके पास से 6 लाख रुपये बरामद किए। मनोज को अदालत में पेश किया जाएगा, जहां से उसका रिमांड लेकर आगे की पूछताछ की जाएगी। पुलिस को उम्मीद है कि उसकी पूछताछ में और भी अहम खुलासे सामने आ सकते हैं।
पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि मनोज से बरामद किए गए 6 लाख रुपये उसकी हिस्सेदारी थी या फिर गुरदास ने ही उसे यह रकम संभाल कर रखने के लिए दी थी।
बीएनएस धारा 340(2) यह वह व्यक्ति है जो किसी नकली दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को पढ़ता है और फिर उसे कपटपूर्ण या नकली से असली के रूप में उपयोग करता है। ऐसे में उसे एक ही तरह से अपलोड किया जाता है, मानो उसने उस दस्तावेज को नकली बना दिया हो।
Trending Videos
उसके बयान के आधार पर पुलिस ने मनोज को नामजद कर गिरफ्तार किया और उसके पास से 6 लाख रुपये बरामद किए। मनोज को अदालत में पेश किया जाएगा, जहां से उसका रिमांड लेकर आगे की पूछताछ की जाएगी। पुलिस को उम्मीद है कि उसकी पूछताछ में और भी अहम खुलासे सामने आ सकते हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन
लाइटर से सील पिघलाकर करता था हेराफेरी
सूत्रों के अनुसार, आरोपी गुरदास मालखाने में जमा केस प्रॉपर्टी की सील को लाइटर से पिघलाकर तोड़ देता था और वारदात के बाद दोबारा सील लगाकर घोटाले को छुपा देता था। इस काम में उसका सहयोगी मनोज उसका साथ देता था। बताया गया है कि गुरदास चाय पीने के बहाने मनोज को बुलाता था और सील तोड़ने की कार्रवाई के दौरान उसे पैसे थमा देता था। ड्यूटी खत्म होने के बाद मनोज वही रकम लेकर चला जाता था।पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि मनोज से बरामद किए गए 6 लाख रुपये उसकी हिस्सेदारी थी या फिर गुरदास ने ही उसे यह रकम संभाल कर रखने के लिए दी थी।
पहले गुरदास के घर से मिले थे 13 लाख
गौरतलब है कि मनोज से 6 लाख बरामद होने से पहले पुलिस गुरदास के घर से 13 लाख रुपये की नकदी जब्त कर चुकी है। पुलिस इस पूरे घोटाले की परतें उधेड़ने में जुटी हुई है और आने वाले दिनों में और भी खुलासों की संभावना व्यक्त की जा रही है।पुलिस ने धाराएं बढ़ाईं
पुलिस ने मामले में धारा 316(5) के साथ धारा 338, 336(2) 340(2) बीएनएस को भी जोड़ा है। बीएनएस धारा 338 मूल्यवान दस्तावेज, वसीयत, दत्तक ग्रहण प्राधिकरण, या अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जालसाजी से संबंधित है। इसके तहत दस साल तक की कैद का प्रावधान है। बीएनएस धारा 336(2) सामान्य जालसाजी से संबंधित है, जिसमें किसी भी तरह का कागज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड बनाना या शामिल करना अपराध शामिल है। इसके तहत दो साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।बीएनएस धारा 340(2) यह वह व्यक्ति है जो किसी नकली दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को पढ़ता है और फिर उसे कपटपूर्ण या नकली से असली के रूप में उपयोग करता है। ऐसे में उसे एक ही तरह से अपलोड किया जाता है, मानो उसने उस दस्तावेज को नकली बना दिया हो।