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पंजाब में पूर्व आईजी से ठगी: 20 बैंक खाते फ्रीज, व्हाट्सएप ग्रुप एफ 777 वेल्थ इक्विटी रिसर्च भी रडार पर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटियाला (पंजाब)
Published by: चंडीगढ़ ब्यूरो
Updated Wed, 24 Dec 2025 09:46 PM IST
सार
पूर्व आईजी ने अपने नोट में दो प्रमुख साइबर ठग रजत वर्मा व मीना भट्ट का नाम लिखा था। पूर्व आईजी की ओर से इन ठगों के साथ की गई चैट की जांच की जा रही है।
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पूर्व आईजी अमर सिंह चहल।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
पटियाला में पंजाब पुलिस के पूर्व आईजी अमर सिंह चहल की ओर से खुद को गोली मारने के मामले में साइबर क्राइम सेल ने जांच तेज कर दी है। पूर्व आईजी की ओर से मुहैया कराई डिटेल के आधार पर इस पूरी जालसाजी से जुड़े 20 से अधिक बैंक खातों को फ्रीज किया गया है।
इन बैंक खातों में पैसों का लेन-देन किया गया है जिसकी पुलिस की ओर से जांच की जा रही है। इसके साथ ही पूर्व आईजी ने अपने नोट में दो प्रमुख साइबर ठग रजत वर्मा व मीना भट्ट का नाम लिखा था। पूर्व आईजी की ओर से इन ठगों के साथ की गई चैट की जांच की जा रही है। रजत वर्मा ने खुद को डीबीएस बैंक के सीईओ के तौर पर पेश किया था जबकि मीना भट्ट ने खुद को रजत वर्मा का असिस्टेंट दिखाया था।
पुलिस की ओर से यह भी पता लगाया जा रहा है कि आईजी को इन ठगों ने जो अपनी पहचान बताई वह सही है भी या नहीं। इसके साथ ही पूर्व आईजी जिस व्हाट्सएप ग्रुप एफ 777 वेल्थ इक्विटी रिसर्च ग्रुप से जुड़े थे उस ग्रुप में खुद को निवेशक दिखाकर जुड़ने वाले कईं लोग इस पूरे जालसाजी के रैकेट का हिस्सा ही थे। पूर्व आईजी ने भी इस संबंधी अपने नोट में आशंका जताई थी।
इस व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ने वाले लोगों को अधिक मुनाफे देने का लालच देकर उनसे करोड़ों रुपये का निवेश करा लिया जाता था। बाद में पैसे वापस नहीं किए जाते थे। पूर्व आईजी चहल भी करीब 8.10 करोड़ की साइबर ठगी का शिकार हुए जिसमें से 7.5 करोड़ रुपये उन्होंने अपने दोस्तों व रिश्तेदारों से उधार ले रखे थे। चहल ने अपने नोट में खुद माना है कि वह लालच में फंस गए और अब वह अपना चेहरा किसी को दिखाने के लायक नहीं रहे हैं।
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इन बैंक खातों में पैसों का लेन-देन किया गया है जिसकी पुलिस की ओर से जांच की जा रही है। इसके साथ ही पूर्व आईजी ने अपने नोट में दो प्रमुख साइबर ठग रजत वर्मा व मीना भट्ट का नाम लिखा था। पूर्व आईजी की ओर से इन ठगों के साथ की गई चैट की जांच की जा रही है। रजत वर्मा ने खुद को डीबीएस बैंक के सीईओ के तौर पर पेश किया था जबकि मीना भट्ट ने खुद को रजत वर्मा का असिस्टेंट दिखाया था।
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पुलिस की ओर से यह भी पता लगाया जा रहा है कि आईजी को इन ठगों ने जो अपनी पहचान बताई वह सही है भी या नहीं। इसके साथ ही पूर्व आईजी जिस व्हाट्सएप ग्रुप एफ 777 वेल्थ इक्विटी रिसर्च ग्रुप से जुड़े थे उस ग्रुप में खुद को निवेशक दिखाकर जुड़ने वाले कईं लोग इस पूरे जालसाजी के रैकेट का हिस्सा ही थे। पूर्व आईजी ने भी इस संबंधी अपने नोट में आशंका जताई थी।
व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ने वालों ने दिया अधिक मुनाफे का लालच
पूर्व आईजी ने लिखा था कि जब भी कोई डीबीएस सिस्टम को लेकर शक जताता था या फिर सवाल पूछता था तो जालसाजों की तरफ से जवाब देने से पहले कई निवेशक ही सारे ट्रेडिंग प्रोग्राम के समर्थन में आगे आकर इसे 100 फीसदी कानूनी बताने लगते थे। पूर्व आईजी की ओर से दी इस जानकारी को आधार बनाकर पुलिस की ओर से उक्त व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े सभी लोगों के बारे में पता लगाया जा रहा है।इस व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ने वाले लोगों को अधिक मुनाफे देने का लालच देकर उनसे करोड़ों रुपये का निवेश करा लिया जाता था। बाद में पैसे वापस नहीं किए जाते थे। पूर्व आईजी चहल भी करीब 8.10 करोड़ की साइबर ठगी का शिकार हुए जिसमें से 7.5 करोड़ रुपये उन्होंने अपने दोस्तों व रिश्तेदारों से उधार ले रखे थे। चहल ने अपने नोट में खुद माना है कि वह लालच में फंस गए और अब वह अपना चेहरा किसी को दिखाने के लायक नहीं रहे हैं।