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Ludhiana News: कर्ज के बोझ में दबी किसानी

Chandigarh Bureau चंडीगढ़ ब्यूरो
Updated Sun, 21 Dec 2025 06:14 PM IST
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punjab Farmers burdened by debt
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-पंजाब के 25.23 लाख किसानों पर 97 हजार करोड़ रुपये का कर्ज
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-पहले से मामूली सुधार लेकिन हालात अभी भी चिंताजनक
-विशेषज्ञ बोले- किसानों को मिले फसल का उचित मूल्य
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राजिंद्र शर्मा
चंडीगढ़। पंजाब के किसानों पर बढ़ता कर्ज बड़ी समस्या बनता जा रहा है। लंबे समय से किसान इसके बोझ से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं और कर्ज में बढ़ोतरी होती जा रही है। सूबे के 25.23 लाख किसानों पर 97,471 करोड़ रुपये का कर्ज है। पहले से इसमें मामूली सुधार हुआ है लेकिन अभी भी हालात चिंताजनक है। केंद्र सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि फिलहाल कर्ज माफी का उनका कोई विचार नहीं है। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को इस कर्ज के जाल से बाहर निकलाने के लिए नीति में बदलाव की आवश्यकता है ताकि उनको फसल का उचित मूल्य मिल सके।
वित्त मंत्रालय ने जुलाई 2025 में एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें प्रदेश के किसानों पर 1 लाख करोड़ रुपये के कर्ज की बात कही गई थी लेकिन अब मंत्रालय की (प्रोविजनल) रिपोर्ट के अनुसार कर्ज में मामूली कमी आई है लेकिन किसानों पर अभी भी 97,471 करोड़ रुपये कर्ज बना हुआ है जो चिंताजनक है। रिपोर्ट के मुताबिक कृषि परिवारों ने अपने कृषि कार्य संचालन को बनाए रखने व बढ़ाने के लिए पूंजीगत और अन्य खर्चों को पूरा करने के लिए ऋण प्राप्त किया है। सरकार ने संस्थागत ऋण को बढ़ावा देने के लिए भी कदम उठाया है जिनमें बैंकों के लिए वार्षिक कृषि ऋण लक्ष्य निर्धारित करना और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से सस्ती ऋण उपलब्ध कराना शामिल हैं। केसीसी योजना का मकसद किसानों को समय पर और पर्याप्त ऋण उपलब्ध कराना है ताकि वे अपनी कृषि आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। इसमें बीज, उर्वरक, कीटनाशक आदि खरीदना और फसल के बाद के खर्चों को भी पूरा करना शामिल है। जो किसान योजना के तहत कर्ज को समय पर चुका देते हैं उनको सरकार की तरफ से विशेष छूट दी जाती है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार सिर्फ कर्ज माफी करना काफी नहीं है। किसानों को कर्ज से बाहर निकालने के लिए दीर्घकालिक उपायों की जरूरत है ताकि किसानों को केवल खेती पर निर्भर न रहना पड़े और उनकी आय बढ़े। इसमें फसल विविधीकरण, बेहतर भंडारण सुविधाएं, बागवानी और डेयरी जैसे आय के नए और अन्य क्षेत्रों में स्रोत खोजना शामिल है।
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54 प्रतिशत किसान परिवारों पर 2.03 लाख औसत कर्ज
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय एक रिपोर्ट जारी की थी जिसके अनुसार पंजाब के 54.4 प्रतिशत किसान परिवारों पर औसत 2.03 लाख रुपये का कर्ज है। इसमें किसानों की आर्थिक स्थिति पर चिंता जताई गई है। सूबा उन टॉप 10 राज्यों में शामिल है जहां किसानों पर कर्ज प्रतिशत सबसे अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार फसल उत्पादन से पंजाब में किसानों की औसत मासिक आय 12,597 रुपये है। अगर कुल आय की बात की जाए तो वह 26,701 है। इसमें फसल उत्पादन, वेतन-भत्ते, भूमि को लीज आउट करने, पशु पालन और गैर कृषि व्यवसाय शामिल है। रिपोर्ट में बताया गया कि किसानों की आय बढ़ाने व उनको आर्थिक प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से कई परियोजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसमें पीएम किसान, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण, देश में जैविक खेती को बढ़ावा देना, सूक्ष्म सिंचाई निधि, कृषि अवसंरचना कोष व केंद्रीय क्षेत्र योजना नमो ड्रोन दीदी शामिल है।

स्टैंडिंग कमेटी ने की थी एमएसपी की सिफारिश
कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण की संसदीय स्थायी समिति ने पिछले साल दिसंबर माह में संसद में समिति की रिपोर्ट पेश की थी जिसमें किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की लीगल गारंटी देने की सिफारिश की गई थी। तब समिति के चेयरमैन सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा था कि समिति ने कर्ज माफी के लिए ऋण माफी योजना लाने, प्रधानमंत्री किसान स्कीम में किसानों को दी जाने वाले राशि को 6 हजार से बढ़ाकर 12 हजार करने की भी सिफारिश की थी। इसके अलावा कृषि, पशुपालन, डेयरी फार्मिंग और मत्स्य पालन का बजट बढ़ाने की भी सिफारिश की गई थी।
हरियाणा के किसानों पर एक लाख करोड़ का कर्ज
रिपोर्ट के अनुसार बाकी राज्यों की स्थिति भी खराब है। हरियाणा के 36.63 लाख किसानों पर 1 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। इसी तरह हिमाचल प्रदेश के 7.04 लाख किसानों पर 14,599 करोड़ और जम्मू एंड कश्मीर के 20.25 लाख किसानों पर 20,242 करोड़ रुपये का कर्ज है। छोटे किसानों पर कर्ज में लगातार बढ़ता जा रहा है। खेती में लागत पहले से बढ़ रही है और खराब वित्तीय हालत के कारण किसान कर्ज नहीं चुका पा रहे हैं। जिन किसान परिवारों के पास भूमि ज्यादा है उनकी हालत में पहले से सुधर रही है।
कर्ज माफी का कोई विचार नहीं: केंद्र
केंद्र पिछली बार संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कर चुका है कि कर्ज माफी को लेकर किसी भी प्रकार का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है जिससे साफ है कि किसानों को इस कर्ज से कोई राहत मिलने वाली नहीं है। पंजाब और हरियाणा के बॉर्डर पर एक साल से अधिक समय तक एमएसपी की कानूनी गारंटी और कर्ज माफी की मांग को लेकर किसानों का आंदोलन भी चला लेकिन उनकी यह मांग पूरी नहीं हुई थी।


आत्महत्या करने पर मजबूर किसान व मजदूर
पंजाब में कर्ज के साथ ही अन्य कारणों के चलते किसान आत्महत्या करने के लिए भी मजबूर है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023 में 174 किसानों व मजदूरों ने आत्महत्या की है। हालांकि इसमें पहले से कमी जरूर आई है क्योंकि वर्ष 2019 में आत्महत्या के मामले 302 थे। वर्ष 2023 की रिपोर्ट के अनुसार इनमें 133 किसान खुद की जमीन पर खेती कर रहे थे जबकि आठ लीज पर जमीन लेकर खेती करते थे। इसके अलावा इस दौरान 33 खेत मजदूरों ने भी आत्महत्या की है।

क्या कहते हैं किसान नेता...
एमएसपी की कानूनी गारंटी ही समस्या हो सकती हल : पंधेर
किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि सिर्फ पंजाब ही नहीं बल्कि पिछले कुछ सालों से देश भर के किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है जिसका स्थायी समाधान सिर्फ एमएसपी की कानूनइ गारंटी है। पिछले काफी समय से किसान इस मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं लेकिन बावजूद इसके सरकार इस तरफ ध्यान नहीं दे रही है। किसानों की सभी तरह की समस्याएं सिर्फ एमएसपी से ही जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि जब तक सी2 प्लस 50 प्रतिशत फार्मूले के अनुसार फसलों का दाम नहीं मिलता, तब तक किसानों की हालत नहीं सुधर सकती है। अगर इस फार्मूले के तहत ही एमएसपी लागू की जाएगी तो किसानों के लिए कृषि लाभकारी होगी।
विशेषज्ञ की राय...
नीति में बदलाव की आवश्यकता: डॉ. विनोद कुमार

किसानों की हालत सुधारने के लिए नीति में बदलाव की आवश्यकता है ताकि उनको अपनी फसल का उचित मूल्य मिल सके। अब पहले वाले हालात नहीं है। कृषि में काफी बदलाव आया है और इसकी लागत बढ़ गई है। यही कारण है कि किसानों पर कर्ज कम होने की जगह बढ़ता जा रहा है। जो सब्सिडी मिल रही है वो किसानों तक नहीं पहुंच पा रही है। नीति में जरूरी संशोधन करके ही किसानों की हालत सुधारी जा सकती है। इसके लिए जमीनी स्तर पर किसानों के हालात समझने की जरूरत है और उनके सुझाव लेने के बाद ही किसी भी नीति में आगे बढ़ा जाना चाहिए ताकि इस समस्या का स्थायी हल निकाला जा सके।
-डॉ. विनोद कुमार चौधरी, कृषि विशेषज्ञ व प्रोफेसर, पंजाब यूनिवर्सिटी।
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