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Mohali News: स्मार्ट-सिटी का सपना अधूरा ही रह गया...करोड़ों रुपये पर बर्बाद
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चंडीगढ़। पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर स्मार्ट सिटी मिशन के तहत चंडीगढ़ प्रशासन ने नेक्स्ट-जनरेशन साइकिल व ई-बाइक सेवा बड़ी उम्मीदों के साथ शुरू की थी लेकिन यह परियोजना अब धराशायी हो चुकी है। करोड़ों रुपये खर्च कर शहर के लिए खरीदी गई 5,000 साइकिलें आज टूट-फूट, जंग और चोरी के चलते कई स्थानों पर सड़क किनारे खड़ी पड़ी हैं।
सेक्टर-7, 9, 26, 33, 43, 45, 46, मनीमाजरा समेत शहरभर में साइकिल यहां-वहां बदहाल पड़ी हैं। हैरानी की बात यह है कि स्मार्ट-सिटी प्रोजेक्ट का यह सपना अधूरा ही रह गया। कई जगह साइकिलें जमीन पर पड़ी धूल फांक रही हैं। साइकिल स्टैंडों पर उगी घास में छिपी हैं लेकिन कोई देखरेख करने वाला नहीं है। शहरवासियों ने इस बारे में कई जिम्मेदार अधिकारियों को शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
नगर निगम ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत पांच चरणों में लगभग 5000 साइकिलों की खरीद की थी। इसके लिए शहरभर में कुल 617 जगहों पर स्टैंड बनाए गए थे। 2025 की एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 1,500 साइकिलें खराब पड़ी हैं, जिनमें से 700 इतनी जर्जर हैं कि उनकी मरम्मत तक संभव नहीं है।
अब स्टैंड पर निराशा मिलती है
कई छात्र और दैनिक यात्री इन साइकिलों पर निर्भर थे लेकिन अब स्टैंड पर पहुंचकर उन्हें टूटी, धूलभरी साइकिलों से निराशा ही मिलती है। टायर पंक्चर, जंग लगी चेन और टूटे हिस्से आम बात है। ई-बाइक तो लगभग गायब हैं। कई जगह नेटवर्क न रहने या एप-लॉक तकनीक की समस्याओं के कारण लोग साइकिल नहीं उठा पाते।
टूटी-फूटी साइकिलें और जर्जर स्टैंड
एप आधारित लॉक सिस्टम ने आम लोगों को परेशान किया। नेटवर्क न चलने पर लॉक खुलता ही नहीं था। लोग कोशिश करते-करते थक जाते लेकिन साइकिल चल ही नहीं पाते। -राजबीर सिंह भारतीय, समाजसेवी
जब सैकड़ों साइकिलें वर्षों से खराब पड़ी थीं तो इतनी बड़ी खरीद क्यों हुई? क्या यह प्रोजेक्ट किसी खास कंपनी को फायदा देने के लिए आगे बढ़ाया गया? आखिर कौन जिम्मेदारी लेगा। कमलेश, मनीमाजरा
टूटे स्टैंड और बिखरी पड़ी साइकिलें देखकर ऐसा लगता है कि यह प्रोजेक्ट फेल रहा। मनीमाजरा के शिवालिक गार्डन के पास बनाया गया साइकिल स्टैंड नगर निगम की अनदेखी की भेंट चढ़ गया। -सुभाष धीमान, मनीमाजरा
जांच की उठाई मांग
चंडीगढ़ माइनॉरिटी डिपार्टमेंट के चेयरमैन आसिफ चौधरी ने सुझाव दिया कि सभी बेकार साइकिलों को इकट्ठा कर नीलामी के जरिये बेच दिया जाए ताकि कुछ राजस्व वापस मिल सके। उन्होंने उच्चस्तरीय जांच और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है, ताकि जनता के टैक्स के दुरुपयोग की जवाबदेही तय हो सके।
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नगर निगम ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत पांच चरणों में लगभग 5000 साइकिलों की खरीद की थी। इसके लिए शहरभर में कुल 617 जगहों पर स्टैंड बनाए गए थे। 2025 की एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 1,500 साइकिलें खराब पड़ी हैं, जिनमें से 700 इतनी जर्जर हैं कि उनकी मरम्मत तक संभव नहीं है।
अब स्टैंड पर निराशा मिलती है
कई छात्र और दैनिक यात्री इन साइकिलों पर निर्भर थे लेकिन अब स्टैंड पर पहुंचकर उन्हें टूटी, धूलभरी साइकिलों से निराशा ही मिलती है। टायर पंक्चर, जंग लगी चेन और टूटे हिस्से आम बात है। ई-बाइक तो लगभग गायब हैं। कई जगह नेटवर्क न रहने या एप-लॉक तकनीक की समस्याओं के कारण लोग साइकिल नहीं उठा पाते।
टूटी-फूटी साइकिलें और जर्जर स्टैंड
एप आधारित लॉक सिस्टम ने आम लोगों को परेशान किया। नेटवर्क न चलने पर लॉक खुलता ही नहीं था। लोग कोशिश करते-करते थक जाते लेकिन साइकिल चल ही नहीं पाते। -राजबीर सिंह भारतीय, समाजसेवी
जब सैकड़ों साइकिलें वर्षों से खराब पड़ी थीं तो इतनी बड़ी खरीद क्यों हुई? क्या यह प्रोजेक्ट किसी खास कंपनी को फायदा देने के लिए आगे बढ़ाया गया? आखिर कौन जिम्मेदारी लेगा। कमलेश, मनीमाजरा
टूटे स्टैंड और बिखरी पड़ी साइकिलें देखकर ऐसा लगता है कि यह प्रोजेक्ट फेल रहा। मनीमाजरा के शिवालिक गार्डन के पास बनाया गया साइकिल स्टैंड नगर निगम की अनदेखी की भेंट चढ़ गया। -सुभाष धीमान, मनीमाजरा
जांच की उठाई मांग
चंडीगढ़ माइनॉरिटी डिपार्टमेंट के चेयरमैन आसिफ चौधरी ने सुझाव दिया कि सभी बेकार साइकिलों को इकट्ठा कर नीलामी के जरिये बेच दिया जाए ताकि कुछ राजस्व वापस मिल सके। उन्होंने उच्चस्तरीय जांच और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है, ताकि जनता के टैक्स के दुरुपयोग की जवाबदेही तय हो सके।