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पंजाब में थम जाएंगे बसों के पहिए: तीन दिन हड़ताल का एलान, पीआरटीसी और रोडवेज कर्मी करेंगे चक्का जाम
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटियाला
Published by: अंकेश ठाकुर
Updated Mon, 07 Jul 2025 08:10 PM IST
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सार
पंजाब में बसों में सफर करने वाले यात्रियों को एक नहीं बल्कि तीन दिन परेशान होना पड़ सकता है। क्योंकि पीआरटीसी और रोडवेज कर्मियों ने हड़ताल की चेतावनी दी है। ऐसे में तीन दिन बसों का चक्का जाम रहेगा।

पंजाब रोडवेज
- फोटो : फाइल
विस्तार
पंजाब में तीन दिन के लिए पीआरटीसी व पंजाब रोडवेज के ठेका मुलाजिम हड़ताल पर रहेंगे और बसों का चक्का जाम किया जाएगा। यह एलान पंजाब रोडवेज, पनबस/पीआरटीसी ठेका कर्मचारी यूनियन ने किया है। यूनियन के मुताबिक नौ जुलाई से हड़ताल शुरू होगी और 11 जुलाई तक जारी रहेगी। 10 जुलाई को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री भगवंत मान के आवास पर धरना भी दिया जाएगा।
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मांगों को लेकर भड़के ठेका मुलाजिमों ने सोमवार को पंजाब में विभिन्न बस अड्डों व डिपुओं पर सरकार के खिलाफ गेट रैलियां की। इस कड़ी में पटियाला के नए बस स्टैंड के बाहर भी सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक गेट रैली की गई। इस दौरान ठेकेदारी सिस्टम खत्म करके वर्षों से काम कर रहे मुलाजिमों को रेगुलर करने, पीआरटीसी में नई बसें डालने, बराबर काम बराबर तनख्वाह देने समेत और कई मांगें उठाई गई।
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यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष हरकेश कुमार विक्की, चेयरमैन सुल्तान सिंह, कैशियर अतिंदरपाल सिंह ने कहा कि भगवंत मान व अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार आएगी, तो ठेका प्रथा को खत्म कर देंगे। लेकिन आज सरकार बने 3 साल से अधिक हो गए हैं, एक भी कर्मचारी को स्थायी नहीं किया गया है। ठेका प्रथा वैसे ही चल रही है। विभागों में भ्रष्टाचार के साथ भर्ती की जा रही है। पहले पंजाब के परिवहन मंत्री और फिर मुख्यमंत्री ने 1 जुलाई 2024 को मीटिंग की थी और एक महीने के अंदर यूनियन की मांगों को हल करने के लिए कमेटी बनाने का आश्वासन दिया था। इस कमेटी को बने एक साल हो गया है। कमेटी ने अभी तक एक भी मांग का समाधान नहीं किया है। ठेकेदारों की ओर से कर्मचारियों की लूट-खसोट की जा रही है।
यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा कि किलोमीटर स्कीम के तहत पीआरटीसी में कॉरपोरेट घरानों की बसें डाली जा रही हैं, जबकि किलोमीटर स्कीम से कॉरपोरेशन को 6 साल में सीधे तौर पर प्रति बस 1 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। विभागों का जानबूझकर निजीकरण किया जा रहा है। सरकार की तरफ मुफ्त बस सफर का 650 करोड़ से अधिक बकाया है। ऐसा करने से सरकारी ट्रांसपोर्ट लगातार घाटे में जा रहा है। उन्होंने मांग की कि सरकार ठेका कर्मचारियों को नियमित करें, वेतन में एकरूपता लाए, किलोमीटर स्कीम की बसें बंद करें, सरकारी बसों की संख्या 10 हजार करने की व्यवस्था करें। अगर सरकार ने मांगों का समाधान नहीं किया तो मजबूरन 9, 10 व 11 जुलाई को हड़ताल करके बसों का चक्का जाम किया जाएगा। इसकी जिम्मेदारी सरकार व मैनेजमेंट की होगी।