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Churu News: भट्टी से तपते जिले में बरस रही है आग, भयंकर गर्मी से आमजन त्रस्त, सड़कों पर पसरा सन्नाटा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चूरू
Published by: प्रिया वर्मा
Updated Fri, 18 Apr 2025 04:00 PM IST
सार
जिले में पड़ रही प्रचंड गर्मी ने आम जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। यही वो जिला है जहां सर्दियों में तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है और गर्मी में सीधे 50 डिग्री पर।
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राजस्थान
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
राजस्थान के चूरू जिले में सर्दी और गर्मी दोनों ही भयंकर पड़ती है। सर्दियों में यहां पारा शून्य डिग्री से नीचे चला जाता है, वहीं गर्मियों में यह 50 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है। मार्च के अंत तक पहुंचते-पहुंचते यहां गर्मी अपने तेवर दिखाने लगती है और अब अप्रैल की शुरुआत में ही इसका प्रभाव साफ नजर आने लगा है। इन दिनों जिले का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गया है।
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भीषण गर्म हवाओं ने लोगों को झुलसाकर रख दिया है। सुबह 10 बजे के बाद से ही सूरज की तपिश इतनी तेज महसूस होती है कि ऐसा लगता है जैसे सूर्यदेव कुपित होकर प्रचंड गर्मी बरसा रहे हों। यह स्थिति शाम तक बनी रहती है, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
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यहां हो रही तेज गर्मी के चलते आमजन की दिनचर्या पर खासा असर पड़ा है। लोग अनावश्यक रूप से बाहर निकलने से बच रहे हैं और अत्यधिक जरूरी होने पर ही पूरी सावधानी के साथ घर से बाहर कदम रख रहे हैं। अधिकांश लोग घर के अंदर रहना ही सुरक्षित मान रहे हैं।
शहर के बाजारों में जहां आमतौर पर दिनभर चहल-पहल और भीड़ देखने को मिलती थी, अब सन्नाटा पसरा हुआ है। दुकानों पर ग्राहकों की संख्या बहुत कम हो गई है और कई व्यापारी दोपहर के समय अपनी दुकानें बंद कर घर लौटने लगे हैं। गर्मी का प्रभाव केवल इंसानों तक सीमित नहीं है, इसका असर वन्य जीवों पर भी साफ देखा जा सकता है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि यह तो गर्मी की शुरुआत है। मई और जून के महीने तो अभी बाकी हैं, जब तापमान और अधिक बढ़ता है और लू की तीव्रता आग की लपटों की तरह महसूस होती है।
चूरू में गर्मी के बढ़ते प्रभाव का एक बड़ा कारण इसका मरुस्थलीय वातावरण है। यहां रेत पर पड़ती सीधी धूप से तापमान बहुत जल्दी बढ़ जाता है। इसके साथ ही यहां की भौगोलिक स्थिति भी ऐसी है कि यहां बादल कम बनते हैं और सूर्य की किरणें सीधे जमीन पर गिरती हैं, जिससे गर्मी और तीव्र हो जाती है।
इसके अलावा इस क्षेत्र में हरियाली और जलस्रोतों की कमी, बंजर भूमि और फसलों की कम पैदावार भी तापमान बढ़ने में योगदान देती है। नमी की कमी के कारण गर्मी और अधिक असहनीय हो जाती है।