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Farmer Protest: न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए किसान संगठनों का राजस्थान बंद, 'बाजरा खरीद के वादे से पलटी सरकार'
न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर
Published by: अरविंद कुमार
Updated Tue, 28 Jan 2025 08:38 PM IST
सार
न्यूनतम समर्थन मूलय को लेकर किसान संगठनों का बुधवार को राजस्थान में गांव बंद का एलान है। किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट का कहना है, इस बंद के दौरान गांव का व्यक्ति भी गांव में रहेगा। लेकिन यातायात के साधनों को रोकेंगे नहीं, लेकिन उनमें बैठेंगे नहीं।
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राजस्थान बंद
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
राजस्थान में 29 जनवरी को किसान संगठनों ने गांव बंद का एलान किया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य व अन्य मांगों को लेकर यह बंद का आव्हान किया गया है। किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने बताया कि राजस्थान के सभी 45,537 गांवों में बंद का आव्हान किया गया है।
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बता दें कि गांव बंद आंदोलन के दौरान गांव से फल, फूल, सब्जी ,दूध, अनाज जैसे उत्पाद गांव से बेचने के लिए बाहर नहीं ले जाए जाएंगे। गांव का व्यक्ति भी गांव में रही रहेगा। हालांकि, यह बंद स्वैच्छिक होगा। इस दौरान किसी को जबरन बाहर जाने से नहीं रोका जाएगा। उन्होंने कहा कि बंद के दौरान किसान यातायात के साधनों को रोकेंगे नहीं, बल्कि उनमें बैठेंगे नहीं।
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शासनारूढ़ दल ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ज्वार व बाजरा की खरीद की व्यवस्था करने एवं गेहूं की खरीद बोनस सहित 2700 रुपये में करने का विधानसभा चुनावों के घोषणा पत्र में उल्लेख है। इसके लिए गेहूं पर राज्य सरकार को 425 रुपये बोनस देना था, किन्तु सरकार ने 125 रुपये बोनस देकर गेहूं की खरीद 2400 रुपये प्रति क्विंटल की थी, जिससे किसानों को एक क्विंटल गेहू का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषणा से 300 रुपये कम प्राप्त हुआ। इस वर्ष भी होने वाले गेहूं की खरीद में भी किसानों को एक क्विंटल गेहू के 2700 रुपये प्राप्त नहीं होंगे।
'बाजरा खरीद के वादे से पलटी बीजेपी सरकार'
रामपाल जाट ने कहा कि प्रदेश की बीजेपी सरकार ने अपनी घोषणा से पलटते हुए बाजरे की खरीद से ही मना कर दिया। जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य 2625 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया गया है। खरीद नहीं करने से बाजार में किसानों को एक क्विंटल के दाम 1800 से 2400 रुपये प्राप्त होने से किसानों को एक क्विंटल पर 225 से लेकर 825 रुपये का घाटा उठाना पड़ा। उन्होंने कहा कि इस वर्ष मूंग, उड़द, मूंगफली एवं सोयाबीन की उपजों को भी 892 से लेकर 3500 रुपये का घाटा उठाकर किसानों को बेचना पड़ा। इससे किसानों को 782 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा।