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Jhalawar: 20 साल से सिरदर्द से जूझ रहे मरीज को झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में मिला नया जीवन, आंख की रोशनी लौटी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, झालावाड़ Published by: शबाहत हुसैन Updated Wed, 24 Dec 2025 04:26 PM IST
सार

Jhalawar: मेडिकल कॉलेज में दुर्लभ बीमारी से पीड़ित 31 वर्षीय मरीज का सफल न्यूरो सर्जरी ऑपरेशन किया गया। डॉक्टरों ने आंख और दिमाग में फैली गांठ हटाकर मरीज की आंख की रोशनी लौटाई और वर्षों पुराने सिरदर्द से राहत दिलाई।

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A patient who had been suffering from headaches for 20 years received a new lease on life at Medical College
मरीज - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के न्यूरो सर्जरी विभाग में एक दुर्लभ और जटिल बीमारी से पीड़ित मरीज का सफल ऑपरेशन कर डॉक्टरों की टीम ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। विभागाध्यक्ष डॉ. रामसेवक योगी ने बताया कि अकलेरा निवासी 31 वर्षीय सत्यनारायण पिछले 20 वर्षों से गंभीर सिरदर्द से पीड़ित था। बीते एक माह से दर्द इतना असहनीय हो गया था कि उसे नींद तक नहीं आ रही थी। साथ ही उसकी बाईं आंख अपनी सामान्य स्थिति से लगभग 4 सेंटीमीटर नीचे खिसक गई थी।

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मेडिकल कॉलेज में जांच के दौरान पता चला कि मरीज के फ्रंटल साइनस (आंख के ऊपर) में एक बड़ी गांठ थी, जो आंख और दिमाग दोनों में फैल चुकी थी। डॉक्टरों की टीम ने सफल सर्जरी कर गांठ को निकाला, आंख को उसकी मूल स्थिति में लाया और मरीज की आंख की रोशनी भी वापस लौट आई।

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डॉ. योगी ने बताया कि इस तरह के ऑपरेशन में आंख की रोशनी जाने का सबसे अधिक खतरा रहता है। ऑपरेशन के दौरान ऑर्बिटल रूफ हटाने के बाद उसका पुनर्निर्माण करना पड़ता है। आमतौर पर इसके लिए आर्टिफिशियल बोन का उपयोग किया जाता है, जिसकी लागत 2 से 2.5 लाख रुपये होती है और यह सुविधा सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध नहीं होती। ऐसे में डॉक्टरों ने बोन सीमेंट से ऑर्बिटल रूफ तैयार कर प्लेट लगाकर सफल पुनर्निर्माण किया।


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मरीज सत्यनारायण ने बताया कि वह पिछले 20 वर्षों में राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात के कई बड़े अस्पतालों में इलाज करवा चुका था और काफी धन खर्च कर चुका था, लेकिन कहीं भी राहत नहीं मिली। इलाज की उम्मीद छोड़कर वह नींद की गोलियों का सहारा लेने लगा था। झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में नि:शुल्क सफल इलाज के बाद उसने राजस्थान सरकार और डॉक्टरों का आभार जताया।

डॉ. योगी ने बताया कि यह बीमारी अत्यंत दुर्लभ है और लगभग एक लाख लोगों में से किसी एक को होती है। अक्सर मरीज इसे आंख की बीमारी समझ लेते हैं, जबकि यह वास्तव में दिमाग से जुड़ी समस्या होती है, जिससे सही निदान में देरी हो जाती है। इस जटिल ऑपरेशन में डॉ. रामावतार मालव, डॉ. राजन नंदा, डॉ. संजीव गुप्ता तथा स्टाफ सदस्य कन्हैयालाल और मुकेश का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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