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Kota News: ईसाई मिशनरियों पर लगा धर्म परिवर्तन का आरोप, कोर्ट ने दोनों पादरियों की जमानत अर्जी खारिज की

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोटा Published by: कोटा ब्यूरो Updated Thu, 04 Dec 2025 05:39 PM IST
सार

कोटा में युवाओं का धर्म परिवर्तन कराने के आरोप में फंसे दो ईसाई पादरियों को अदालत से राहत नहीं मिल पाई है। कोर्ट ने दोनों की अग्रिम जमानत अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी कि जांच अभी जारी है और आरोप गंभीर हैं। कोर्ट ने कहा कि अग्रिम जमानत मिलने पर जांच प्रभावित हो सकती है।

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Kota News: Christian missionaries accused of religious conversion; court rejects bail pleas of both pastors
कोर्ट ने खारिज की ईसाई मिशनरियों की जमानत अर्जी
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जिले में चर्च के अंदर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान युवाओं का धर्म परिवर्तन कराने के आरोप में गिरफ्तार दो ईसाई पादरियों की अग्रिम जमानत अर्जी अदालत ने खारिज कर दी है। यह मामला डीजे कोर्ट से ट्रांसफर होकर एडीजे कोर्ट क्रम संख्या-2 में पहुंचा था। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने का आदेश दिया।

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बोरखेड़ा थाना अधिकारी देवेश भारद्वाज ने बताया कि यह मुकदमा 20 नवंबर को राजस्थान धर्मांतरण अधिनियम (नया कानून) के तहत दर्ज किया गया था। एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई और आत्मिक सत्संग के नाम पर युवाओं का धर्म परिवर्तन करवाने का प्रयास किया।
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सरकारी अभियोजक भारत सिंह आसावत ने कोर्ट में कहा कि दोनों ईसाई मिशनरियों ने आत्मिक सत्संग के नाम पर प्रवचन दिए और लोगों को ईसाई धर्म की ओर आकर्षित करने की कोशिश की। प्रवचन के दौरान दूसरे धर्मों के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कही गईं, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हुईं। उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में अन्य पास्टरों से पूछताछ बाकी है, ऐसे में अग्रिम जमानत मिलने पर जांच प्रभावित हो सकती है।

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सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (क्रम संख्या-2) सरिता धाकड़ ने दिल्ली निवासी पास्टर चंडी वर्गीस और कोटा के बोरखेड़ा निवासी अरुण जॉन की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया।

वहीं दोनों पादरियों की ओर से एडवोकेट वी. हैरी ने पैरवी करते हुए तर्क दिया कि मुकदमा झूठा और राजनीतिक रूप से प्रेरित है क्योंकि शिकायत में एक भी ऐसे व्यक्ति का नाम नहीं बताया गया है, जिसका वास्तव में धर्म परिवर्तन हुआ हो या जिसे धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया गया हो।

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि धर्म परिवर्तन से जुड़े मामलों में शिकायत केवल पीड़ित व्यक्ति या उसके परिजन द्वारा ही दर्ज कराई जा सकती है, किसी बाहरी व्यक्ति या संगठन द्वारा नहीं।

एडवोकेट ने यह भी कहा कि आगामी 25 दिसंबर को क्रिसमस त्योहार है, जिसकी तैयारियां 1 दिसंबर से शुरू होती हैं लेकिन त्योहार मनाने से रोकने और दबाव बनाने के लिए ही झूठी एफआईआर दर्ज करवाई गई है। अदालत ने सभी तर्क सुनने के बाद माना कि जांच अभी जारी है और आरोप गंभीर हैं, इसलिए दोनों अभियुक्तों को अग्रिम जमानत देने का कोई आधार नहीं है।

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