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Tonk News: डूंगरी बांध पर असमंजस, सांसद हरीशचंद्र मीना ने संसद में सरकार से मांगी स्पष्ट नीति
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, टोंक
Published by: टोंक ब्यूरो
Updated Fri, 19 Dec 2025 03:40 PM IST
सार
Tonk News: डूंगरी बांध परियोजना को लेकर सांसद हरीशचंद्र मीना ने संसद में सरकार की अस्पष्ट नीति पर सवाल उठाए। उन्होंने पारदर्शिता, संवाद और जन-सहमति की मांग करते हुए प्रभावित क्षेत्रों से जुड़े सभी तथ्य सार्वजनिक करने पर जोर दिया।
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सांसद हरीशचंद्र मीना
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
टोंक–सवाई माधोपुर के सांसद हरीशचंद्र मीना ने प्रस्तावित डूंगरी बांध परियोजना को लेकर केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। लोकसभा की कार्य-संचालन नियमावली के नियम 197 के तहत ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाकर उन्होंने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से परियोजना की स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।
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जनता के भविष्य से जुड़ा मुद्दा बताया
सांसद मीना ने सदन में कहा कि डूंगरी बांध अब केवल एक विकास परियोजना नहीं रह गई है, बल्कि यह पूर्वी राजस्थान की जनता के भविष्य, अस्तित्व और विश्वास से जुड़ा विषय बन चुका है। टोंक–सवाई माधोपुर सहित आसपास के जिलों की जनता लंबे समय से अनिश्चितता और भय के माहौल में रह रही है।
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बुनियादी सवालों पर जानकारी का अभाव
उन्होंने बताया कि स्थानीय लोग लगातार यह जानना चाहते हैं कि इस बांध से वास्तविक लाभ किसे मिलेगा, कितने गांव प्रभावित होंगे, कितने घर उजड़ेंगे और कितनी उपजाऊ कृषि भूमि डूब क्षेत्र में आएगी। सांसद के अनुसार इन बुनियादी सवालों पर सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस, पारदर्शी और भरोसेमंद जानकारी सामने नहीं आई है।
पूर्व बयान से बढ़ा अविश्वास
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से सांसद ने सदन को यह भी अवगत कराया कि स्वयं केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने लोकसभा में पूर्व में कहा था कि कौन सा गांव डूबेगा और कितना डूबेगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है। इसके बावजूद जमीनी स्तर पर लोगों में भारी आशंका बनी हुई है, जो सरकार और जनता के बीच बढ़ते अविश्वास को दर्शाती है।
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सरकार की जिम्मेदारी पर जोर
सांसद हरीशचंद्र मीना ने कहा कि जब हजारों परिवार अपनी जमीन, पहचान और पीढ़ियों की मेहनत खोने की आशंका से जूझ रहे हों, तब सरकार का दायित्व केवल योजनाएं आगे बढ़ाना नहीं, बल्कि हर तथ्य, अध्ययन और निर्णय को ईमानदारी से जनता के सामने रखना होना चाहिए।
विस्थापन को विकास से जोड़ने पर आपत्ति
उन्होंने स्पष्ट किया कि विकास का अर्थ विस्थापन नहीं हो सकता। कोई भी परियोजना तब तक जनहितकारी नहीं मानी जा सकती, जब तक उसमें पारदर्शिता, संवाद और जन-सहमति शामिल न हो। जनता पर निर्णय थोपना विकास नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन है।
निर्णय सार्वजनिक करने की मांग
लोकसभा स्पीकर के माध्यम से सांसद मीना ने सरकार से मांग की कि डूंगरी बांध से जुड़े सभी निर्णय, सर्वेक्षण, डूब क्षेत्र का आकलन और प्रभाव अध्ययन सार्वजनिक किए जाएं, ताकि प्रभावित होने की आशंका झेल रही जनता को स्पष्ट जवाब मिल सके। उन्होंने कहा कि किसी भी विकास से पहले जनता का विश्वास जीतना अनिवार्य है और यही किसी भी लोकतांत्रिक सरकार की सच्ची कसौटी होती है।
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