बघाट बैंक मामला: पूर्व निदेशक को दिया 10 लाख ऋण, 24 साल में देनदारी बनी 1.80 करोड़
बघाट बैंक लोन मामले में मंगलवार को तीन दिवसीय अदालत की कार्रवाई शुरू हुई। सहायक पंजीयक गिरीश नड्डा की अदालत में कई मामले आए। पहले दिन पुराने ऋणों के मामलों पर सुनवाई हुई तो इनमें वर्ष 2001 के यह दो मामले भी शामिल थे, लेकिन दो ऋण डिफाल्टर सुनवाई में पेश नहीं हुए। पहले दिन करीब 20 मामलों पर चर्चा हुई। इसमें बैंक के एक पूर्व निदेशक का रोचक मामला भी सामने आया। पूर्व निदेशक ने मई 2001 में बैंक से 10 लाख रुपये का ऋण लिया था और उसकी किस्तें नहीं भरीं। 24 साल में इस पर ब्याज लगते लगते रकम 1.80 करोड़ रुपये पहुंच गई। हैरत इस बात की है कि बैंक प्रबंधकों ने भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। अब बैंक को यह रिकवरी करना मुश्किल हो गया है क्योंकि उनके नाम पर कोई संपत्ति तक नहीं है।
एआरसीएस ने अक्तूबर माह में उनकी गिरफ्तारी का वारंट भी जारी किया था। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर उनकी अदालत में पेश किया था। जहां पर ऋण की कुछ राशि जमा करवाने पर उन्हें रिहा कर दिया था। वहीं इस ऋण का जो गारंटर है उसने भी मार्च 2001 में ही करीब 5.80 लाख रुपये का ऋण लिया था, वह ब्याज के साथ बढ़कर करीब 96 लाख रुपये हो गया। हालांकि उन्होंने ओटीएस के माध्यम से ऋण का भुगतान करने के लिए आवेदन कर दिया है। यही नहीं इसके लिए 25 फीसदी राशि भी जमा करवा दी है। हालांकि पूर्व निदेशक ने अभी तक ओटीएस के लिए आवेदन नहीं किया। अभी तक उसने केवल 20 लाख रुपये की राशि जमा करवाई है।
इसी तरह वर्ष 2016 में दो अवैध फ्लैट को खरीदने के लिए करीब 53 लाख रुपये का ऋण दे दिया। अब बैंक को इस प्रॉपर्टी को बेचकर ऋण की रिकवरी करना ही मुश्किल हो गया है। अदालत में मंगलवार को यह मामला लगा हुआ था। उन्होंने ने भी कहा कि इस मामले में उनके लिए रिकवरी करना संभव नहीं है। ऋण में गिरवी रखे दोनों फ्लैट अवैध है। अब बैंक को ही अपने स्तर पर रिकवरी करनी चाहिए। जानकारी के अनुसार ने बैंक ने 2016 में एक फ्लैट की खरीद के लिए 23 लाख रुपये का हाउस ऋण दिया था जो अब बढ़कर करीब 76 लाख रुपये हो गया है। इस तरह दूसरा ऋण 30 लाख रुपये का है जो बढ़कर 65 लाख रुपये हो गया है। इस ऋण में स्पष्ट हो गया है कि बैंक ने ऋण देते समय प्रॉपर्टी के दस्तावेजों को ध्यान से नहीं पढ़ा जिसके कारण यह स्थिति पैदा हो गई।
56 ऋण डिफाल्टर नहीं हुए उपस्थित
एआरसीएस की अदालत में पहले दिन 76 मामलों की सुनवाई रखी गई थीं। इसमें 20 मामलों की सुनवाई हो सकी, जबकि 56 मामलों में ऋण डिफाल्टर के उपस्थित न होने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। अब इन सभी पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। 76 मामलों में करीब 28.79 करोड़ ऋण की रिकवरी होनी थी। अदालत ने मंगलवार को विशेष सुनवाई में ऋण डिफाल्टर व उनके गारंटर की करीब आधा दर्जन मामलों में संपत्तियों को अटैच करने के आदेश जारी किए है।