Shimla: राजधानी में किराये के कमरों में चल रहा चिट्टा तस्करी का कारोबार
शहर के कई हिस्सों में तस्कर किराये पर कमरे लेकर चिट्टा तस्करी का धंधा कर रहे हैं।
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शिमला शहर के कई हिस्सों में तस्कर किराये पर कमरे लेकर चिट्टा तस्करी का धंधा कर रहे हैं। लोअर विकासनगर में एक किराये के भवन में पिछले दिनों स्पेशल सेल की टीम ने सूचना के आधार पर दबिश दी। पुलिस ने यहां पर रहने वाले युवक के कब्जे से साढ़े पांच ग्राम चिट्टा बरामद किया। जांच में सामने आया है कि युवक यहां पर किराये का कमरा लेकर रहा था और विट्टा बेचने के अवैध कारोबार से जुड़ा हुआ था। इसी तरह से पुलिस ने मशोबरा, चलौंठी, टुटू समेत कई क्षेत्रों में चिट्टा बेचने वाले युवाओं को गिरफ्तार किया है।
नशा तस्कर पंजाब से काफी कम दाम में नशा खरीदकर लाते हैं और इसे शिमला में तीन से चार गुना अधिक दाम पर बेचते हैं। इस वजह से चिट्टे की तस्करी में आए दिन कई नए नाम जुड़ते जा रहे हैं। अब पुलिस ऐसे युवाओं को नशा सप्लाई करने वाले बड़े सप्लायरों की पहचान करने में भी जुटी है जोकि दूसरे राज्यों में बैठकर शिमला समेत आसपास के जिलों में चिट्टा तस्करी का नेटवर्क चला रहे हैं। पुलिस इस बात की छानबीन कर रही है कि कहीं नशे के आदी युवाओं की आड़ में कोई अंतरराज्यीय चिट्टा तस्कर गिरोह सक्रिय तो नहीं है। इससे पहले भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें युवाओं का इस्तेमाल करके जिले में बड़े नेटवर्क चलाए जा रहे थे। संदीप शाह, विजय सोनी, शाही महात्मा गिरोह ऐसे ही हैं, जिनको पुलिस ने कड़ी कार्रवाई के बाद सलाखों के पीछे पहुंचाया है। पुलिस ने एक साल में 250 के करीब मामलों में 562 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इसमें 22 महिलाएं हैं।
किराये के कमरे लेकर कई
जगह पर आए हैं। इसको लेकर पुलिस कड़ी कार्रवाई कर रही है। नशा तस्करों पर पुलिस की आगे भी कड़ी कार्रवाई करती रहेगी। मिशन भरोसा के तहत पुलिस नशा तस्करी का नेटवर्क तोड़ने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। चिटुटा तस्करी का नेटवर्क चलाने के मामले सामने- संजीव कुमार गांधी, एसएसपी
गवाह मुकरा, चिट्टा तस्करी के दो आरोपी बरी
शिमला। अदालत ने वर्ष 2022 में तारादेवी के पास एचआरटीसी की बस में 58.3 ग्राम हेरोइन (चिट्ट) की बरामदगी के मामले में दोनों आरोपियों विपिन कुमार और अंकित कुमार को बरी कर दिया है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश न्यायाधीश देविंद्र कुमार की अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन की कहानी में इतने गंभीर विरोधाभास और खामियां हैं कि अपराध संदेह से परे साबित नहीं हो सका। पुलिस ने अपनी जांच में दावा किया था कि भूरे रंग का बैग आरोपी विपिन कुमार की गोद में था लेकिन फोटोग्राफ में बैग आरोपी अंकित की गोद में दिख रहा है। इसको लेकर अदालत ने कहा कि किसी भी आरोपी के पास बैग का कब्जा साबित नहीं हुआ है। यही नहीं बस में कितने यात्री थे, कौन अंदर था, कौन बाहर था। फोटोग्राफ में बस खाली दिख रही है। पुलिस ने दावा किया था कि बस में यात्री मौजूद थे। वहीं दूसरे गवाह ने पूरी बरामदगी से ही इन्कार कर दिया और अभियोजन ने उसे शत्रु गवाह घोषित कर दिया। इसके अलावा कई विसंगतियां पाई गई। आदेश के अंत में लिखा कि जब गवाह पुलिस की कहानी का समर्थन नहीं कर रहे हैं और आधिकारिक गवाहों के बयानों में ही इतने गंभीर विरोधाभास है।