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Himachal: पनामा के वीपीएन के जरिये हुई थी 11.55 करोड़ की साइबर धोखाधड़ी, तकनीकी जांच में बड़ा खुलासा

देवेंद्र ठाकुर, शिमला। Published by: Krishan Singh Updated Tue, 25 Nov 2025 11:19 AM IST
सार

 साइबर धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए पनामा के वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) का इस्तेमाल किया गया था। साइबर क्राइम सेल शिमला की तकनीकी जांच में यह बात सामने आई है।

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Cyber fraud worth Rs 11.55 crore was committed through a Panamanian VPN, a major revelation in technical inv
साइबर अपराध। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राज्य सहकारी बैंक का सर्वर हैक कर 11.55 करोड़ रुपये की साइबर धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए पनामा के वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) का इस्तेमाल किया गया था। साइबर क्राइम सेल शिमला की तकनीकी जांच में यह बात सामने आई है। पता चला है कि पनामा की फर्म ने यह नंबर जारी किया था। इस फर्म को साइबर क्राइम सेल ने बाकायदा नोटिस जारी कर वीपीएन से संबंधित जानकारी साझा करने के लिए कहा है। अभी तक इस मामले में पुलिस सात लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इसमें एक नाइजीरियन भी है। इसमें पता चला है कि इस पूरी धोखाधड़ी को अंजाम देने के पीछे केके नाम के शख्स का हाथ है, जिसने बैंक के सर्वर को हैक किया।

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जोनोउ मैग्लोरी मार्टिन ने पूछताछ में किया खुलासा
इस मामले में गिरफ्तार नाइजीरियन बेन अरिन्जे उर्फ जोनोउ मैग्लोरी मार्टिन ने पूछताछ में यह खुलासा किया है। उसने बताया कि सर्वर हैक करने से पहले केके ने उससे संपर्क किया और उसने बदले में केके से 2 प्रतिशत कमीशन की मांग की थी। सह आरोपी सुरेश बाबू व  सिल्वेस्टर ब्रिटो ने धनश्री सौहार्द  सहकारी लिमिटेड और एक्सट्रीम के बैंक खाते शवाज पाशा को उपलब्ध कराए थे। इसके बाद उसने इन खातों को बंगलुरू के चन्नासांद्रा व्हाइटफील्ड में रह रहे बेन अरिन्जे को दे दिया। इसी आधार पर उसे 17 अगस्त 2025 को गिरफ्तार किया गया। साइबर सेल के मुताबिक आरोपियों के बीच अरिन्जे की भूमिका सूत्रधार की है। इसके साथ ही बेन पर मास्टरमाइंड और बैंक खातों की व्यवस्था करने वाले आरोपियों के बीच बिचौलिया की भूमिका निभाई है। 

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जानें क्या है पूरा मामला
यह मामला 16 मई का है जब साइबर ठगों ने राज्य सहकारी बैंक के मुख्य बैंकिंग सर्वर को हैक कर 11,55,56,417 की राशि मुंबई, जयपुर, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक सहित अन्य राज्यों के बैंक खातों में ट्रांसफर की। बैंक प्रबंधन की ओर से मामले की शिकायत पहले पुलिस और इसके बाद साइबर क्राइम सेल को की गई। पुलिस ने जांच शुरू की तो पहले महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और नाइजीरिया मूल के आरोपी की गिरफ्तारी हुई। आरोपियों के खातों में बैंक से निकाली गई राशि जमा हुई थी।

बैंक को ढाई करोड़ रुपये की राशि वापस दिलवाई
साइबर क्राइम सेल के विशेषज्ञों ने मामले की जांच में कई आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया तो वहीं बैंक से धोखाधड़ी करके निकाली गई साढ़े ग्यारह करोड़ रुपये की राशि में से ढाई करोड़ रुपये की राशि भी वापस दिलवाई है। इसके अलावा कर्नाटक समेत अन्य राज्यों में भी मनी ट्रेल की जांच की जा रही है। साइबर क्राइम सेल आने वाले दिनों में धोखाधड़ी की और अधिक रकम को वापस दिलाने का प्रयास कर रहा है।

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