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हिमाचल: अनुबंध पर आउटसोर्स कर्मियों की सेवाओं को जारी रखने, वेतन भुगतान का आदेश

संवाद न्यूज एजेंसी, शिमला Published by: Krishan Singh Updated Tue, 25 Nov 2025 10:17 AM IST
सार

प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रदेश बागवानी विकास परियोजना और प्रदेश कृषि विपणन बोर्ड में अनुबंध आधार पर आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाओं को जारी रखने का आदेश दिया है। 

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Himachal: Order to continue services of outsourced personnel on contract, payment of salary
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रदेश बागवानी विकास परियोजना और प्रदेश कृषि विपणन बोर्ड में अनुबंध आधार पर आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाओं को जारी रखने का आदेश दिया है। साथ ही अदालत ने सरकार को अनुबंध के आधार पर वेतन भुगतान करने को भी कहा है। अदालत ने पिछली सुनवाई में उनकी सेवाओं के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए थे। न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने खंडपीठ के आदेशों का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता वर्ष 2019 से राज्य में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और राज्य उनकी सेवाओं को समाप्त नहीं करेगा। याचिकाकर्ता उन्हीं नियमों aऔर शर्तों पर सेवा करना जारी रखेंगे, जिस अनुबंध के आधार पर उनकी नियुक्ति की गई है। 

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हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण मुआवजे में दिए गए फैसले को रखा बरकरार
 हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से मुआवजे राशि को कम करने को लेकर दायर अपील को खारिज करते हुए जिला अदालत प्रति बीघा के बढ़े हुए भूमि अधिग्रहण मुआवजे के फैसले को बरकरार रखा है। यह मामला कुल्लू जिले के शामशी में सशस्त्र सीमा बल प्रशिक्षण केंद्र के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण से संबंधित है। न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की अदालत ने कहा कि बाजार मूल्य निर्धारण उस कीमत पर होना चाहिए जो एक इच्छुक क्रेता और एक इच्छुक विक्रेता को संपत्ति के मौजूदा लाभों और उसकी संभावित संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए देता है।

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कोर्ट ने कहा कि जिला अदालत ने कानून के स्थापित सिद्धांतों का पालन किया है और अपीलकर्ता के तर्कों को खारिज कर दिया। हिमाचल प्रदेश सरकार ने 4 जनवरी 2011 को भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 की धारा 4 के तहत अधिसूचना जारी करके याचिकाकर्ताओं की जमीन का अधिग्रहण एसबीआई प्रशिक्षण केंद्र के लिए किया था। भूमि अधिग्रहण कलेक्टर ने 18 जुन 2011 को जमीन का बाजार मूल्य 33,154 प्रति बिस्वा तय किया था। कलेक्टर के इस फैसले से असंतुष्ट याचिकाकर्ताओं ने अधिनियम की धारा 18 के तहत रेफरेंस कोर्ट (जिला न्यायाधीश कुल्लू) का रुख किया। 

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