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हिमाचल हाईकोर्ट का फैसला: 2019 से पहले की तृतीय और चतुर्थ श्रेणी अनुकंपा नियुक्ति मानी जाएगी नियमित

संवाद न्यूज एजेंसी, शिमला Published by: Krishan Singh Updated Thu, 03 Jul 2025 10:59 AM IST
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सार

 हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वर्ष 2019 की नीति से पहले दी गई तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की अनुकंपा नियुक्तियां अनिवार्य रूप से नियमित मानी जाएंगी।

Himachal High Court decision: Compassionate appointments made before 2019 in class III and IV cases will be co
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला
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हिमाचल हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वर्ष 2019 की नीति से पहले दी गई तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की अनुकंपा नियुक्तियां अनिवार्य रूप से नियमित मानी जाएंगी। न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने कहा कि 13 अप्रैल 2007 की अधिसूचना के बावजूद 1990 की अनुकंपा नियुक्ति नीति के बाद आई 2019 की नीति तक कोई संशोधन नहीं किया गया था। इसलिए इस स्थिति से पहले दी सभी तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की अनुकंपा नियुक्तियों को अनिवार्य रूप से नियमित माना जाएगा। अदालत ने सभी याचिकाओं का एक साथ निपटारा करते हुए यह फैसला पारित किया। 

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 सरकार ने 1990 की नीति में दैनिक वेतनभोगी नियुक्ति का नहीं किया था प्रावधान
याचिकाकर्ताओं को वर्ष 1990 की अनुकंपा नीति के तहत तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्त किया गया था। उस समय की नीति में दैनिक वेतनभोगी आधार पर नियुक्ति का कोई उल्लेख नहीं था। बाद में, 13 अप्रैल 2007 की अधिसूचना द्वारा हिमाचल प्रदेश तृतीय श्रेणी सेवा (क्लर्क, स्टेनो-टाइपिस्ट और सामान्य भर्ती) नियम, 2007 में तृतीय श्रेणी के पदों को ठेके पर भरने का प्रावधान किया गया था, लेकिन अनुकंपा नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ। 2019 में पहली बार आया दैनिक वेतन का प्रावधान: 2019 की अनुकंपा नीति में पहली बार यह व्यवस्था की गई कि चतुर्थ श्रेणी की अनुकंपा नियुक्तियां केवल दैनिक वेतनभोगी आधार पर की जाएंगी।

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दैनिक वेतनभोगी सेवा पेंशन के लिए गिनने संबंधी फैसलों पर तलब किया स्पष्टीकरण
 प्रदेश हाईकोर्ट ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की दैनिक वेतनभोगी सेवा को पेंशन के लिए गिनने संबंधी फैसलों, एनपीएस या ओपीएस के विकल्प चुनने जैसे मुद्दों पर सरकार और वित्त विभाग से स्पष्टीकरण मांगा है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवॉल दुआ की अदालत ने एनपीएस नीति के दौरान रिटायर हुए कर्मचारियों के मसलों के साथ ही चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की पेंशन से जुड़े सभी बिंदुओं पर भी स्पष्टीकरण तैयार करने के निर्देश दिए, चाहे उन्होंने ओपीएस में जाने के लिए कोई विकल्प चुना हो या नहीं। हाईकोर्ट ने कहा कि इन विषयों से संबंधित सभी मुद्दों को हल करने का गंभीरतापूर्वक प्रयास किया जाए।

सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि पेंशन से जुड़े विभिन्न पहलुओं को लेकर आ रही समस्याओं पर वित्त विभाग के विशेष सचिव की अध्यक्षता में डीएजी कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ 7 जुलाई को बैठक बुलाई गई है। कोर्ट के निर्देशों पर चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के पेंशन संबंधी मामलों में राज्य सरकार के विशेष सचिव वित्त के अलावा डिप्टी अकाउंटेंट जनरल (डीएजी) अदालत के समक्ष पेश हुए। इस मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी। याचिकाकर्ता की शिकायत दूर करने के लिए बार-बार निर्देश देने के बाद भी कोई ठोस एक्शन नहीं लिया गया। सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि सरकार और महालेखाकार कार्यालय मामलों में पेश आ रही समस्याओं को लेकर एक-दूसरे पर दोष लगा रहे हैं। इन्हीं हालातों को देखते हुए अदालत ने यह आदेश जारी किए हैंं।

आउटसोर्स भर्तियों में प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने को दिया आखिरी मौका
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आउटसोर्स भर्तियों से जुड़े मामलों को लेकर प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने के लिए अंतिम अवसर दिया है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई कर रही है। मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी। आउटसोर्स भर्तियों को लेकर वर्ष 2022 में हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। याचिका में आउटसोर्स भर्तियों को लेकर सवाल उठाए गए हैं। इस पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए भर्तियों पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के खिलाफ राज्य सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट गई थी। सर्वोच्च न्यायालय से फिलहाल प्रदेश सरकार को राहत मिली है।संवाद

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