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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने बताई थीं युद्ध के लिए ये नीतियां, साम-दाम, दंड और भेद...
धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीक्षा पाठक
Updated Mon, 28 Apr 2025 01:58 PM IST
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सार
Chanakya Battle Strategy: आज की इस खबर में हम चाणक्य की उन महत्वपूर्ण नीतियों के बारे में बताएंगे, जो युद्ध के समय किसी भी शासक या नेता के लिए मार्गदर्शन का कार्य कर सकती हैं। आइए विस्तार से जानते हैं।

चाणक्य नीति
- फोटो : freepik

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विस्तार
चाणक्य का असली नाम कौटिल्य था। वह भारतीय कूटनीति और रणनीति के महान आचार्य माने जाते हैं। उनकी नीति और विचार आज भी जीवन के हर क्षेत्र में काम आती है। खासकर जब जीवन में सफलता पानी हो या फिर कभी युद्ध की स्थिति बन रही हो। यही नहीं, चाणक्य ने अपनी नीति में न केवल सैन्य बल, बल्कि बुद्धिमानी, कूटनीति और सही समय पर फैसला लेने के महत्व के बारे में भी बताया है। उनका मानना था कि युद्ध केवल शारीरिक शक्ति से नहीं, बल्कि समझदारी, योजना और सही रणनीति से भी जीता जा सकता है। तो आज की इस खबर में हम चाणक्य की उन महत्वपूर्ण नीतियों के बारे में बताएंगे, जो युद्ध के समय किसी भी शासक या नेता के लिए मार्गदर्शन का कार्य कर सकती हैं। आइए विस्तार से जानते हैं।
शत्रु को कम न समझें
चाणक्य हमेशा कहते थे कि अपने शत्रु को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। उसकी ताकत और कमजोरियों को समझना जरूरी है ताकि हम उसकी रणनीतियों को नष्ट कर सकें। उसे परास्त करने का सबसे अच्छा तरीका यही होता है कि दुश्मन की कमजोरी को सही समय पर इस्तेमाल किया जा सके, जिससे उसे आसानी से परास्त किया जा सके।
साम, दाम, दंड और भेद का करें इस्तेमाल
चाणक्य की मानें तो युद्ध में चार तरीके अपनाए जा सकते हैं, "साम" यानी शांति से समझाना, "दाम" यानी पैसे का लालच देना, "दंड" यानी सजा देना और "भेद" यानी शत्रु में फूट डालना। इन चारों का सही समय पर उपयोग करना चाहिए। कहते हैं कि युद्ध में इन तरीकों को अपनाना सही है और यह युद्ध जीतने के काम भी आती हैं।
युद्ध आखिरी विकल्प होना चाहिए
चाणक्य ने युद्ध को पहला विकस्प नहीं माना है। चाणक्य का मानना था कि युद्ध हमेशा तब करना चाहिए जब कोई और रास्ता न बचा हो। अगर बात करके या समझौते से समस्या हल हो सकती है, तो युद्ध से बचना चाहिए। हालांकि, जब बात हाथ से निकल रही हो तो युद्धा का रास्त ही अपनाना चाहिए।
शत्रु में फूट डालें
चाणक्य का मानना था कि कि अगर शत्रु की सेना में आपस में झगड़ा हो, तो उसे बढ़ावा देना चाहिए। इससे शत्रु की ताकत कमजोर हो जाती है और युद्ध जीतना आसान हो जाता है। चाणक्य का यह भी मानना था कि युद्ध की योजना को शत्रु से छुपा कर रखना चाहिए। अगर शत्रु हमारी योजना जान लेता है, तो वह हमें चकमा दे सकता है।
धैर्य रखें और सही समय का इंतजार करें
चाणक्य कहते थे कि युद्ध में कभी-कभी धैर्य रखना बहुत जरूरी होता है। शत्रु की कमजोरी का सही समय पर फायदा उठाना चाहिए। इससे न केवल शत्रु को परास्त किया जा सकते है, बल्कि युद्ध भी जीता जा सकता है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
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शत्रु को कम न समझें
चाणक्य हमेशा कहते थे कि अपने शत्रु को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। उसकी ताकत और कमजोरियों को समझना जरूरी है ताकि हम उसकी रणनीतियों को नष्ट कर सकें। उसे परास्त करने का सबसे अच्छा तरीका यही होता है कि दुश्मन की कमजोरी को सही समय पर इस्तेमाल किया जा सके, जिससे उसे आसानी से परास्त किया जा सके।
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साम, दाम, दंड और भेद का करें इस्तेमाल
चाणक्य की मानें तो युद्ध में चार तरीके अपनाए जा सकते हैं, "साम" यानी शांति से समझाना, "दाम" यानी पैसे का लालच देना, "दंड" यानी सजा देना और "भेद" यानी शत्रु में फूट डालना। इन चारों का सही समय पर उपयोग करना चाहिए। कहते हैं कि युद्ध में इन तरीकों को अपनाना सही है और यह युद्ध जीतने के काम भी आती हैं।
युद्ध आखिरी विकल्प होना चाहिए
चाणक्य ने युद्ध को पहला विकस्प नहीं माना है। चाणक्य का मानना था कि युद्ध हमेशा तब करना चाहिए जब कोई और रास्ता न बचा हो। अगर बात करके या समझौते से समस्या हल हो सकती है, तो युद्ध से बचना चाहिए। हालांकि, जब बात हाथ से निकल रही हो तो युद्धा का रास्त ही अपनाना चाहिए।
शत्रु में फूट डालें
चाणक्य का मानना था कि कि अगर शत्रु की सेना में आपस में झगड़ा हो, तो उसे बढ़ावा देना चाहिए। इससे शत्रु की ताकत कमजोर हो जाती है और युद्ध जीतना आसान हो जाता है। चाणक्य का यह भी मानना था कि युद्ध की योजना को शत्रु से छुपा कर रखना चाहिए। अगर शत्रु हमारी योजना जान लेता है, तो वह हमें चकमा दे सकता है।
धैर्य रखें और सही समय का इंतजार करें
चाणक्य कहते थे कि युद्ध में कभी-कभी धैर्य रखना बहुत जरूरी होता है। शत्रु की कमजोरी का सही समय पर फायदा उठाना चाहिए। इससे न केवल शत्रु को परास्त किया जा सकते है, बल्कि युद्ध भी जीता जा सकता है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।