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Mahavir Jayanti 2025: आज भी प्रासंगिक है भगवान महावीर के सूत्र, सीखें सुख-शांति से जीवन जीने की कला

अनीता जैन ,वास्तुविद Published by: विनोद शुक्ला Updated Thu, 10 Apr 2025 06:49 AM IST
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सार

Mahavir Jayanti 2025: भगवान महावीर स्वामी का प्रमुख संदेश था- अहिंसा परमो धर्मः। उन्होंने बताया कि हर जीव में आत्मा है और सभी आत्माएं समान हैं।

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महावीर जयंती 2025 - फोटो : adobe stock
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Mahavir Jayanti 2025: भगवान महावीर, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर न केवल एक महान तपस्वी थे बल्कि एक महान दार्शनिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शक भी थे। उनके उपदेश आज भी मानव जीवन को दिशा देने वाले हैं। उन्होंने जिन पांच मूल सिद्धांतों-अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह की शिक्षा दी, वे आज के तनावपूर्ण और भौतिकतावादी युग में भी सुख-शांति का मार्ग दिखाते हैं। अगर हम उनके बताए मार्गों को अपने जीवन में उतारें, तो न केवल व्यक्तिगत स्तर पर सुख-शांति पा सकते हैं, बल्कि समाज और विश्व में भी करुणा, नैतिकता और अहिंसा की भावना को जागृत कर सकते हैं। भगवान महावीर का मार्ग समयातीत है-हर युग में प्रासंगिक और हर मनुष्य के लिए उपयोगी।
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1. अहिंसा
भगवान महावीर स्वामी का प्रमुख संदेश था- अहिंसा परमो धर्मः। उन्होंने बताया कि हर जीव में आत्मा है और सभी आत्माएं समान हैं। इसलिए किसी को भी कष्ट देना, हिंसा करना या क्रोध में आना आत्मिक अधोगति का कारण है। आज जब समाज हिंसा, द्वेष और असहिष्णुता से ग्रस्त है, तब अहिंसा की भावना अपनाकर हम शांति, सहिष्णुता और प्रेम को पुनर्स्थापित कर सकते हैं।
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2. सत्य
भगवान महावीर ने सत्य को आत्मा की शक्ति बताया। झूठ और छल से व्यक्ति केवल बाहरी लाभ पा सकता है, पर आत्मा को शांति नहीं मिलती। आज की दुनिया में जहां फेक न्यूज़ और भ्रम व्याप्त हैं, वहां सत्य बोलना और सत्य पर चलना आंतरिक संतोष और सामाजिक विश्वास का आधार बन सकता है।

3. अचौर्य
जो वस्तु हमारी नहीं है, उसे न लेना ही अचौर्य है। यह न केवल बाह्य चोरी से संबंधित है, बल्कि मानसिक और नैतिक स्तर पर भी लालच न करने की प्रेरणा देता है। आज जब भोगवादी प्रवृत्तियां चरम पर हैं, यह सूत्र संयम और संतोष का मार्ग दिखाता है।

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4. ब्रह्मचर्य
ब्रह्मचर्य का तात्पर्य केवल शारीरिक संयम नहीं, बल्कि इंद्रियों की संपूर्ण नियंत्रण से है। यह व्यक्ति को मानसिक स्थिरता, आत्मानुशासन और ध्यान की शक्ति देता है। आधुनिक जीवन की दौड़ में यह सूत्र आत्म-शक्ति और जीवन-संतुलन बनाए रखने में सहायक हो सकता है।

5. अपरिग्रह
भगवान महावीर ने कहा कि जितना अधिक संग्रह, उतना अधिक बंधन। अपरिग्रह का पालन करने से व्यक्ति मोह, लालच और चिंता से मुक्त होता है। आज की उपभोक्तावादी संस्कृति में अपरिग्रह का सिद्धांत न केवल व्यक्तिगत शांति देता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समानता को भी बढ़ावा देता है।


 
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