सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Sports ›   Asian Games equestrian dressage gold-winning team Story Bought a horse worth Rs 75 lakh by mortgaging the land

स्वर्ण विजेता घुड़सवारों की कहानी: जमीन गिरवी रख खरीदा 75 लाख का घोड़ा, दो साल रहना पड़ा यूरोप

हेमंत रस्तोगी Published by: रोहित राज Updated Wed, 27 Sep 2023 08:08 AM IST
विज्ञापन
सार

चीन ने भारत से अपने यहां घोड़े लाने की अनुमति नहीं दी थी, जिसके चलते इन घुड़सवारों को दो या उससे अधिक वर्षों से घोड़ों के साथ यूरोप में रहना पड़ा। शहर से दूर जंगल जैसे इलाकों में अकेले रहकर खुद खाना बनाना पड़ा और घोड़ों की भी सेवा करनी पड़ी।

Asian Games equestrian dressage gold-winning team Story Bought a horse worth Rs 75 lakh by mortgaging the land
घुड़सवारी टीम - फोटो : सोशल मीडिया
loader
Trending Videos

विस्तार
Follow Us

इंदौर की सुदीप्ति हजेला, जयपुर की दिव्याकृति सिंह, मुंबई के विपुल ह्रदय छेड़ा और कोलकाता के अनुश अगरवाला का घुड़सवारी के ड्रेसेज में स्वर्ण पदक संघर्ष और त्याग की कहानी है। एक समय वह भी आया था जब इन घुड़सवारों का एशियाड में भाग लेना ही तय नहीं था। ये घुड़सवार अगर अदालत की शरण नहीं लेते तो शायद एशियाड में नहीं खेल रहे होते। बाधा यहीं नहीं थी, चीन ने भारत से अपने यहां घोड़े लाने की अनुमति नहीं दी थी, जिसके चलते इन घुड़सवारों को दो या उससे अधिक वर्षों से घोड़ों के साथ यूरोप में रहना पड़ा। शहर से दूर जंगल जैसे इलाकों में अकेले रहकर खुद खाना बनाना पड़ा और घोड़ों की भी सेवा करनी पड़ी। यही नहीं सुदीप्ति को तो जमीन गिरवीं रखकर लिए गए लोन से 75 लाख का घोड़ा दिलवाया गया।
Trending Videos


इवेंट से पहले की रात दिमाग में आई स्वर्ण की बात
सुदीप्ति के पिता मुकेश बताते हैं कि यह स्वर्ण पदक इन घुड़सवारों की बहुत बड़ी तपस्या का फल है। यहां आने के बाद खुद इन चारों ने यह नहीं सोचा था कि वे स्वर्ण जीतने जा रहे हैं। चारों ने पहले तीन में आने की रणनीति बनाई थी, लेकिन सोमवार रात को प्रशिक्षकों के साथ हुई बैठक में यह अहसास हुआ कि वे स्वर्ण भी जीत सकते हैं। यहां पहली बार चारों के दिमाग में स्वर्ण जीतने की बात आई और चारों ने मंगलवार को ऐसा कर दिखाया। रणनीति केतहत सुदीप्ति को सबसे पहले, उसके बाद दिव्याकृति को फिर ह्रदय को अंत में सबसे अनुभवी अनुष को उतारा गया।
विज्ञापन
विज्ञापन


जर्मनी में सात दिन क्वारंटाइन रहे घोड़े
मुकेश बताते हैं कि अगर वे दिल्ली हाईकोर्ट नहीं गए होते तो इस टीम का इन खेलों में भाग लेना मुश्किल था। घुड़सवारों ने भारतीय घुड़सवारी महासंघ (ईएफआई) के कहने पर ही केस वापस लिया। बाद में ईएफआई ने मदद भी की। मुकेश के मुताबिक जब घुड़सवारों को यह पता लगा कि चीन में भारत से घोड़ों को जाने की अनुमति नहीं है तो सभी ने यूरोप में अपना बेस बनाने का फैसला लिया। सुदीप्ति को दो साल पहले पेरिस से 50 किलोमीटर दूर पामफोऊ में भेजा गया। वहां उसके लिए अकेले रहना मुश्किल था। प्रैक्टिस के बाद उसे खुद खाना बनाना पड़ता था और घोड़े का भी ख्याल रखना पड़ता था। एशियाई खेलों के लिए चीन से घोड़े भेजे गए हैं। जर्मनी में सात दिन तक उन्हें कोरेंटाइन रखा गया।

बेटी को नहीं बताईं तकलीफें
मुकेश मानते हैं कि यह बेहद महंगा खेल है। इसके लिए उन्होंने जमीन गिरवीं रखकर लोन भी लिया, लेकिन कभी बेटी को इस बारे में नहीं बताया, जिससे उस पर किसी तरह का अतिरिक्त दबाव नहीं पड़े। उन्होंने 75 लाख रुपये में घोड़ा लिया है।

राजेश बोले कल्पना से परे है स्वर्ण जीतना
एशियाई खेलों में तीन बार पदक जीत चुके, अर्जुन अवार्डी कर्नल राजेश पट्टू चारों घुड़सवारों के प्रदर्शन से हैरान हैं। वह कहते हैं कि जिन हालातों में इन घुड़सवारों ने तैयारियां कीं और जिन विपरीत परिस्थतियों का इन्हें सामना करना पड़ा, उसमें स्वर्ण जीतना कल्पना से परे है। कर्नल पट्टू बताते हैं कि घुड़सवारी में डे्रसाज का घोड़ा सबसे महंगा होता है। अच्छे घोड़े की कीमत एक करोड़ रुपये से भी अधिक होती है।
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all Sports news in Hindi related to live update of Sports News, live scores and more cricket news etc. Stay updated with us for all breaking news from Sports and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed