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Junior Hockey World Cup: कोच श्रीजेश बोले– अभी भी पदक जीतने का मौका, इसे हाथ से जाने नहीं देंगे
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, चेन्नई
Published by: स्वप्निल शशांक
Updated Mon, 08 Dec 2025 05:06 PM IST
सार
श्रीजेश ने टीम पर विश्वास जताते हुए कहा, 'ये खिलाड़ी विश्व कप पदक के हकदार हैं। अब मैदान पर जाकर उन्हें वह पदक लेकर वापस आना है।'
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पीआर श्रीजेश
- फोटो : ANI
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विस्तार
जूनियर विश्व कप में भारत का नौ साल बाद खिताब जीतने का सपना भले ही टूट गया हो, लेकिन टीम के मुख्य कोच पी.आर. श्रीजेश ने खिलाड़ियों को साफ संदेश दिया है कि लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई। जर्मनी के खिलाफ सेमीफाइनल में मिली 1-5 की हार के बाद भी टीम के पास कांस्य पदक जीतने का सुनहरा अवसर है, जिसे गंवाने की गलती नहीं करनी चाहिए। भारत अब 10 दिसंबर को कांस्य पदक मैच में अर्जेंटीना से भिड़ेगा, जबकि फाइनल में जर्मनी और स्पेन आमने-सामने होंगे।
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प्रदर्शन निराशाजनक लेकिन सीख बड़ी: श्रीजेश
सेमीफाइनल हार के बाद भाषा से बातचीत में श्रीजेश ने कहा, 'यह दिन खराब नहीं था लेकिन टीम अच्छा नहीं खेल सकी। हमारी जो अपेक्षाएं थीं, हम उस स्तर पर नहीं खेले। इस स्तर पर आसान मौके देना गलती होती है।' उन्होंने बताया कि टीम को मौके मिले लेकिन उन्हें वह भुना नहीं सकी। भारत को मैच में केवल एक पेनल्टी कॉर्नर मिला, जिस पर देर से गोल हुआ। उन्होंने कहा, 'कई बार विपक्षी टीम अच्छा खेलती है तो आप बेसिक चीजें भूल जाते हैं।'
सेमीफाइनल हार के बाद भाषा से बातचीत में श्रीजेश ने कहा, 'यह दिन खराब नहीं था लेकिन टीम अच्छा नहीं खेल सकी। हमारी जो अपेक्षाएं थीं, हम उस स्तर पर नहीं खेले। इस स्तर पर आसान मौके देना गलती होती है।' उन्होंने बताया कि टीम को मौके मिले लेकिन उन्हें वह भुना नहीं सकी। भारत को मैच में केवल एक पेनल्टी कॉर्नर मिला, जिस पर देर से गोल हुआ। उन्होंने कहा, 'कई बार विपक्षी टीम अच्छा खेलती है तो आप बेसिक चीजें भूल जाते हैं।'
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दबाव था, लेकिन बहाना नहीं: कोच
क्या मौजूदा चैंपियन जर्मनी के सामने दबाव था? इस पर श्रीजेश बोले, 'कोई मानसिक कारण नहीं था लेकिन माहौल की वजह से दबाव बन जाता है। इतने बड़े टूर्नामेंट में दबाव रहता है, और इन खिलाड़ियों के पास अभी उतना अनुभव नहीं है।' उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में मानसिक मजबूती की जरूरत होती है।
क्या मौजूदा चैंपियन जर्मनी के सामने दबाव था? इस पर श्रीजेश बोले, 'कोई मानसिक कारण नहीं था लेकिन माहौल की वजह से दबाव बन जाता है। इतने बड़े टूर्नामेंट में दबाव रहता है, और इन खिलाड़ियों के पास अभी उतना अनुभव नहीं है।' उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में मानसिक मजबूती की जरूरत होती है।
जर्मनी की रणनीति से सीखने की जरूरत
श्रीजेश ने माना कि जर्मनी ने भारतीय गलतियों को भुनाया और मैच पर नियंत्रण बनाए रखा। उन्होंने कहा, 'हमें खेल पर नियंत्रण रखना चाहिए था, लेकिन हम नाकाम रहे। जर्मनी ने वन-टच यूरोपीय हॉकी खेली, जिसमें हमें सीखना है।'
श्रीजेश ने माना कि जर्मनी ने भारतीय गलतियों को भुनाया और मैच पर नियंत्रण बनाए रखा। उन्होंने कहा, 'हमें खेल पर नियंत्रण रखना चाहिए था, लेकिन हम नाकाम रहे। जर्मनी ने वन-टच यूरोपीय हॉकी खेली, जिसमें हमें सीखना है।'
कांस्य पदक पर नजर: 'अब मौका नहीं गंवाना'
श्रीजेश ने अब खिलाड़ियों को पिछली हार भूलकर कांस्य पर ध्यान देने को कहा। उन्होंने कहा, 'अभी भी हमारे पास पदक जीतने का मौका है। यह जरूरी है कि खिलाड़ी इस हार को भुलाकर अगले मैच में अपना सर्वश्रेष्ठ दें।' उन्होंने कहा कि बड़े मैचों में मौकों को भुनाना भारत को सीखना होगा।
श्रीजेश ने अब खिलाड़ियों को पिछली हार भूलकर कांस्य पर ध्यान देने को कहा। उन्होंने कहा, 'अभी भी हमारे पास पदक जीतने का मौका है। यह जरूरी है कि खिलाड़ी इस हार को भुलाकर अगले मैच में अपना सर्वश्रेष्ठ दें।' उन्होंने कहा कि बड़े मैचों में मौकों को भुनाना भारत को सीखना होगा।
भविष्य की उम्मीदें: छह-सात खिलाड़ी तैयार
कोच के अनुसार इस टीम में कई खिलाड़ी हैं जो जल्द ही सीनियर टीम में दिख सकते हैं। उन्होंने कहा, 'इस टीम में छह-सात खिलाड़ी सीनियर टीम में जाने के हकदार हैं। विश्व कप और हॉकी इंडिया लीग के बाद वे कोर ग्रुप में होंगे।'
कोच के अनुसार इस टीम में कई खिलाड़ी हैं जो जल्द ही सीनियर टीम में दिख सकते हैं। उन्होंने कहा, 'इस टीम में छह-सात खिलाड़ी सीनियर टीम में जाने के हकदार हैं। विश्व कप और हॉकी इंडिया लीग के बाद वे कोर ग्रुप में होंगे।'