R Praggnanandhaa: प्रज्ञानंद का कमाल, FIDE सर्किट जीतकर 2026 कैंडिडेट्स में जगह पक्की की
यह सफर अभी खत्म नहीं हुआ, लेकिन प्रज्ञानंद ने आधुनिक भारतीय शतरंज के इतिहास में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज करा दिया है। कैंडिडेट्स में अच्छा प्रदर्शन कर वह गुकेश को विश्व चैंपियनशिप के चुनौती देना चाहेंगे।
विस्तार
भारतीय शतरंज के उभरते सितारे आर प्रज्ञानंद रमेशबाबू ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने FIDE सर्किट 2025 जीतकर 2026 के कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए आधिकारिक रूप से क्वालीफाई कर लिया है। सोमवार, आठ दिसंबर को यह घोषणा हुई, जिससे भारत में शतरंज प्रेमियों में जबरदस्त उत्साह है। यह उपलब्धि प्रज्ञानंद को भारत का शीर्ष परफ़ॉर्मर और भविष्य का विश्व चैलेंजर बना रही है।
रणनीति और जोखिम जिसने बदली तस्वीर
19 वर्षीय प्रज्ञानंद ने यह जगह बेहद रोमांचक अंदाज़ में हासिल की। उन्होंने अंतिम समय में लंदन चेस क्लासिक ओपन में प्रवेश करने का फैसला किया और यही निर्णय निर्णायक साबित हुआ। इस कदम ने उन्हें FIDE सर्किट में शीर्ष पर बनाए रखा और अब आगामी रैपिड और ब्लिट्ज इवेंट्स के परिणामों पर उनकी योग्यता निर्भर नहीं रही।
इस सर्किट में पहले ही अनीश गिरी, फेबियानो कारुआना, माथियास ब्लूबाउम और जावोखिम सिंदारोव जैसे दिग्गज खिलाड़ी कैंडिडेट्स के लिए क्वालीफाई कर चुके थे। वहीं, नोदिरबेक अब्दुसत्तोरोव ने लंदन चेस क्लासिक एलीट में शानदार खेल दिखाते हुए 19.62 पॉइंट जुटाए और रिकॉर्ड स्तर का प्रदर्शन किया। इसके बावजूद प्रज्ञानंद की कुल बढ़त बरकरार रही।
प्रज्ञानंद की यह सफलता लगातार बड़े टूर्नामेंट जीतने के बाद आई है। उन्होंने टाटा स्टील चेस मास्टर्स जीता, फिर सुपरबेट चेस क्लासिक में धमाकेदार जीत दर्ज की और उसके बाद उज़्बेकिस्तान में इंटरनेशनल चेस मास्टर्स टूर्नामेंट भी अपने नाम किया। यह उपलब्धि और भी खास इसलिए है क्योंकि 2024 FIDE चेस वर्ल्ड कप में वे शुरुआती दौर में बाहर हो गए थे, लेकिन उन्होंने वापसी करते हुए खुद को एक चैंपियन की तरह साबित किया।
अब नजरें 2026 कैंडिडेट्स पर होंगी, जिसका विजेता मौजूदा विश्व चैम्पियन डी गुकेश को चैलेंज करेगा। संभावना है कि प्रज्ञानंद इस टूर्नामेंट में भारत के अकेले प्रतिनिधि होंगे, और ऐसे में देश की उम्मीदें उन पर टिकी रहेंगी। वर्तमान में गुकेश की फॉर्म थोड़ी अस्थिर है, ऐसे में प्रज्ञानंद यह मानकर चल सकते हैं कि उनके पास इतिहास रचने का शानदार मौका है, ठीक वैसे ही जैसे विश्वनाथन आनंद ने किया था।