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Sports Update: जमशेदपुर में पहली बार ट्रांसजेंडर फुटबॉल लीग का आयोजन; कोलकाता दौड़ में 23000 धावक भाग लेंगे
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: स्वप्निल शशांक
Updated Tue, 09 Dec 2025 04:42 PM IST
सार
इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) की टीम जमशेदपुर एफसी इस ट्रांसजेंडर लीग का आयोजन कर रही है। जमशेदपुर एफसी के लिए ट्रांसजेंडर को खेलों से जोड़ना क्लब के व्यापक सामुदायिक कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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खेल जगत की रोचक खबर
- फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
भारतीय फुटबॉल में एक ऐतिहासिक घटनाक्रम के तहत सात ट्रांसजेंडर टीमों ने जमशेदपुर सुपर लीग (जेएसएल) के तहत रविवार को एक विशेष टूर्नामेंट की शुरुआत की। जमशेदपुर एफटी, चाईबासा एफसी, चक्रधरपुर एफसी, जमशेदपुर इंदिरानगर एफसी, नोआमुंडी एफसी, सरायकेला एफसी और कोल्हान टाइगर एफसी की पांच-पांच खिलाड़ियों की टीमें इस लीग में हिस्सा ले रही हैं।
शुरुआत में ट्रांसजेंडर्स लीग में केवल चार टीमें ही प्रतिस्पर्धा करने वाली थीं, लेकिन बाद में तीन और टीमें इसमें शामिल कर ली गईं। यह टूर्नामेंट जमशेदपुर सुपर लीग का एक हिस्सा है, जिसमें आयु-वर्ग लीग जैसी अन्य प्रतियोगिताएं भी होती हैं।
जमशेदपुर एफटी ने ट्रांसजेंडर लीग के शुरुआती दिन उद्घाटन मैच में चाईबासा एफसी को 7-0 से जबकि कोल्हान टाइगर एफसी ने चक्रधरपुर एफसी को 3-0 से हराया। जमशेदपुर इंदिरानगर एफसी और नोआमुंडी एफसी के बीच मैच गोलरहित ड्रॉ खेला गया।
जमशेदपुर एफटी के लिए चार गोल करने वाली पूजा सोय ने फुटबॉल खिलाड़ी के तौर पर खुद की पहचान बनने पर खुशी जताते हुए ने कहा, ‘‘फुटबॉल एक बहुत ही खूबसूरत खेल है। पहली बार मुझे ऐसा लगा कि मुझे मेरे लिंग के लिए नहीं बल्कि मेरे खेल के लिए देखा जा रहा है।’’
इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) की टीम जमशेदपुर एफसी इस ट्रांसजेंडर लीग का आयोजन कर रही है। जमशेदपुर एफसी के लिए ट्रांसजेंडर को खेलों से जोड़ना क्लब के व्यापक सामुदायिक कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे फुटबॉल को सुलभ बनाने और समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार किया गया है।
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शुरुआत में ट्रांसजेंडर्स लीग में केवल चार टीमें ही प्रतिस्पर्धा करने वाली थीं, लेकिन बाद में तीन और टीमें इसमें शामिल कर ली गईं। यह टूर्नामेंट जमशेदपुर सुपर लीग का एक हिस्सा है, जिसमें आयु-वर्ग लीग जैसी अन्य प्रतियोगिताएं भी होती हैं।
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जमशेदपुर एफटी ने ट्रांसजेंडर लीग के शुरुआती दिन उद्घाटन मैच में चाईबासा एफसी को 7-0 से जबकि कोल्हान टाइगर एफसी ने चक्रधरपुर एफसी को 3-0 से हराया। जमशेदपुर इंदिरानगर एफसी और नोआमुंडी एफसी के बीच मैच गोलरहित ड्रॉ खेला गया।
जमशेदपुर एफटी के लिए चार गोल करने वाली पूजा सोय ने फुटबॉल खिलाड़ी के तौर पर खुद की पहचान बनने पर खुशी जताते हुए ने कहा, ‘‘फुटबॉल एक बहुत ही खूबसूरत खेल है। पहली बार मुझे ऐसा लगा कि मुझे मेरे लिंग के लिए नहीं बल्कि मेरे खेल के लिए देखा जा रहा है।’’
इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) की टीम जमशेदपुर एफसी इस ट्रांसजेंडर लीग का आयोजन कर रही है। जमशेदपुर एफसी के लिए ट्रांसजेंडर को खेलों से जोड़ना क्लब के व्यापक सामुदायिक कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे फुटबॉल को सुलभ बनाने और समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार किया गया है।
जम्मू-कश्मीर के पुंछ में नियंत्रण रेखा के पास आयोजित मैराथन में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया
जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास मंगलवार को सेना द्वारा आयोजित की गई मैराथन में सैकड़ों युवाओं ने भाग लिया। भीमबेर गली ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर राहुल कुमार ने मैराथन को हरी झंडी दिखाई और युवाओं को फिटनेस को जीवन शैली के रूप में अपनाने और सशस्त्र बलों में अपना भविष्य बनाने के लिए प्रेरित किया।
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि यह मैराथन दूसरी बार आयोजित किया जा रहे मेंढर महोत्सव का हिस्सा थी। यह महोत्सव 23 नवंबर को शुरू हुआ और 11 दिसंबर को समाप्त होगा। अधिकारी ने बताया कि चुनौतीपूर्ण भूभाग और संवेदनशील स्थान होने के बावजूद इस मैराथन में 1,500 से अधिक धावकों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि फिटनेस के अलावा मैराथन नागरिकों और सेना के बीच आपसी संबंध मजबूत करने सशक्त माध्यम बन गया है।
जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास मंगलवार को सेना द्वारा आयोजित की गई मैराथन में सैकड़ों युवाओं ने भाग लिया। भीमबेर गली ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर राहुल कुमार ने मैराथन को हरी झंडी दिखाई और युवाओं को फिटनेस को जीवन शैली के रूप में अपनाने और सशस्त्र बलों में अपना भविष्य बनाने के लिए प्रेरित किया।
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि यह मैराथन दूसरी बार आयोजित किया जा रहे मेंढर महोत्सव का हिस्सा थी। यह महोत्सव 23 नवंबर को शुरू हुआ और 11 दिसंबर को समाप्त होगा। अधिकारी ने बताया कि चुनौतीपूर्ण भूभाग और संवेदनशील स्थान होने के बावजूद इस मैराथन में 1,500 से अधिक धावकों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि फिटनेस के अलावा मैराथन नागरिकों और सेना के बीच आपसी संबंध मजबूत करने सशक्त माध्यम बन गया है।
कोलकाता दौड़ में ओलंपिक और विश्व चैंपियन सहित 23000 धावक भाग लेंगे
दो बार के ओलंपिक और तीन बार के विश्व चैंपियन जोशुआ चेप्टेगी सहित दुनिया भर के 23000 से अधिक धावक 21 दिसंबर को यहां होने वाली 10वीं टाटा स्टील वर्ल्ड 25के (25 किलोमीटर) कोलकाता दौड़ में भाग लेंगे। युगांडा के चेप्टेगी और महिला वर्ग में गत चैंपियन सुतूम असेफा केबेडे इस दौड़ का मुख्य आकर्षण होंगे जिसे विश्व एथलेटिक्स की तरफ से गोल्ड लेबल रोड रेस का दर्जा हासिल है।
प्रमोटर प्रोकैम इंटरनेशनल ने भी इस बार 1:11:08 (एक घंटा, 11 मिनट, 08 सेकंड) का विश्व रिकॉर्ड तोड़ने वाले किसी भी एथलीट को 25,000 अमेरिकी डॉलर का बोनस देने की घोषणा की है। इस दौड़ की कुल पुरस्कार राशि 142,214 डॉलर है, जिसमें पुरुष और महिला वर्ग के विजेताओं के लिए बराबर की पुरस्कार राशि रखी गई है।
शीर्ष तीन स्थान पर रहने वाले खिलाड़ियों को क्रमशः 15,000 डॉलर, 10,000 डॉलर और 7,000 डॉलर का इनाम मिलेगा। प्रतियोगिता का नया रिकार्ड बनाने वाले खिलाड़ियों को 5,000 डॉलर का अतिरिक्त बोनस भी मिलेगा। चेप्टेगी (29 वर्ष) ने 10,000 मीटर में लगातार तीन विश्व खिताब जीते हैंं और उनके नाम चार विश्व रिकॉर्ड दर्ज हैं।
पिछले वर्ष दिल्ली हाफ मैराथन और इस वर्ष बेंगलुरु में आयोजित टीसीएस वर्ल्ड 10के (10किमी) के विजेता चेप्टेगी के नाम पर अब भी 5000 किमी और 10000 किमी के विश्व रिकॉर्ड दर्ज हैं। पुरुषों की सूची में एक और महत्वपूर्ण खिलाड़ी तंजानिया के अल्फोंस फेलिक्स सिम्बू भी शामिल हैं। सितंबर में तोक्यो में विश्व चैंपियनशिप में मैराथन में जीत हासिल करने वाले सिम्बू कोलकाता में चेप्टेगी को कड़ी चुनौती देंगे।
महिला वर्ग में इथियोपिया की स्टार सुतूम असेफा केबेडे ने पहली बार 2015 में बर्लिन में 25 किलोमीटर का विश्व रिकॉर्ड बनाया था। वह यहां खिताबी हैट्रिक पूरी करने की कोशिश करेगी। उन्हें हमवतन डेगिटू अजीमेरॉव तथा युगांडा की ओलंपिक फाइनलिस्ट सारा चेलंगट और कीनिया की एग्नेस कीनो से कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है।
दो बार के ओलंपिक और तीन बार के विश्व चैंपियन जोशुआ चेप्टेगी सहित दुनिया भर के 23000 से अधिक धावक 21 दिसंबर को यहां होने वाली 10वीं टाटा स्टील वर्ल्ड 25के (25 किलोमीटर) कोलकाता दौड़ में भाग लेंगे। युगांडा के चेप्टेगी और महिला वर्ग में गत चैंपियन सुतूम असेफा केबेडे इस दौड़ का मुख्य आकर्षण होंगे जिसे विश्व एथलेटिक्स की तरफ से गोल्ड लेबल रोड रेस का दर्जा हासिल है।
प्रमोटर प्रोकैम इंटरनेशनल ने भी इस बार 1:11:08 (एक घंटा, 11 मिनट, 08 सेकंड) का विश्व रिकॉर्ड तोड़ने वाले किसी भी एथलीट को 25,000 अमेरिकी डॉलर का बोनस देने की घोषणा की है। इस दौड़ की कुल पुरस्कार राशि 142,214 डॉलर है, जिसमें पुरुष और महिला वर्ग के विजेताओं के लिए बराबर की पुरस्कार राशि रखी गई है।
शीर्ष तीन स्थान पर रहने वाले खिलाड़ियों को क्रमशः 15,000 डॉलर, 10,000 डॉलर और 7,000 डॉलर का इनाम मिलेगा। प्रतियोगिता का नया रिकार्ड बनाने वाले खिलाड़ियों को 5,000 डॉलर का अतिरिक्त बोनस भी मिलेगा। चेप्टेगी (29 वर्ष) ने 10,000 मीटर में लगातार तीन विश्व खिताब जीते हैंं और उनके नाम चार विश्व रिकॉर्ड दर्ज हैं।
पिछले वर्ष दिल्ली हाफ मैराथन और इस वर्ष बेंगलुरु में आयोजित टीसीएस वर्ल्ड 10के (10किमी) के विजेता चेप्टेगी के नाम पर अब भी 5000 किमी और 10000 किमी के विश्व रिकॉर्ड दर्ज हैं। पुरुषों की सूची में एक और महत्वपूर्ण खिलाड़ी तंजानिया के अल्फोंस फेलिक्स सिम्बू भी शामिल हैं। सितंबर में तोक्यो में विश्व चैंपियनशिप में मैराथन में जीत हासिल करने वाले सिम्बू कोलकाता में चेप्टेगी को कड़ी चुनौती देंगे।
महिला वर्ग में इथियोपिया की स्टार सुतूम असेफा केबेडे ने पहली बार 2015 में बर्लिन में 25 किलोमीटर का विश्व रिकॉर्ड बनाया था। वह यहां खिताबी हैट्रिक पूरी करने की कोशिश करेगी। उन्हें हमवतन डेगिटू अजीमेरॉव तथा युगांडा की ओलंपिक फाइनलिस्ट सारा चेलंगट और कीनिया की एग्नेस कीनो से कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है।
ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाला आखिरी कप्तान कहलाना पसंद नहीं : भास्करन
मॉस्को ओलंपिक में 45 साल पहले भारतीय हॉकी टीम को आठवां और आखिरी स्वर्ण दिलाने वाले कप्तान वासुदेवन भास्करन का कहना है कि वह इस इंतजार को खत्म होते देखना चाहते हैं और 2036 में टीम फिर चैम्पियन बन सकती है बशर्ते सही समय पर नये खिलाड़ियों को मौका दिया जाए।
भारत ने आखिरी बार 1980 में भास्करन की कप्तानी में ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता था> फिर 41 साल के इंतजार के बाद तोक्यो ओलंपिक 2020 में कांस्य पदक जीता और पिछले साल पेरिस में उस सफलता को दोहराया। भास्करन ने कहा, 'मुझे यह सुनना बिल्कुल पसंद नहीं है कि मैं आखिरी ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाली भारतीय टीम का कप्तान था। मैं चाहता हूं कि यह इंतजार खत्म हो और यह 2036 में हो सकता है। लॉस एंजिलिस ओलंपिक 2028 के बारे में नहीं कह सकता क्योंकि हमे पुरूष हॉकी टीम में अभी बदलाव की जरूरत है।'
उन्होंने कहा, 'जैसे पी आर श्रीजेश के संन्यास के बाद टीम में खालीपन लग रहा है जिसे भरना होगा। ऐसे ही कम से कम चार या पांच खिलाड़ियों को जूनियर खिलाड़ियों के लिये जगह बनानी होगी। बदलाव सही समय पर और सही जगह पर होना जरूरी है ताकि नये खिलाड़ियों को तैयार होने का मौका मिल सके।'
पहली बार 1997 में कोच रहते भारत को जूनियर विश्व कप फाइनल तक ले जाने वाले इस दिग्गज खिलाड़ी ने कहा, 'जैसे 2016 जूनियर विश्व कप के बाद हरमनप्रीत और रूपिंदर पाल जैसे खिलाड़ी मिले थे । जूनियर विश्व कप 1997 से हमे बलजीत सैनी, दिलीप टिर्की, समीर दाद, देवेश चौहान जैसे कई ओलंपियन मिले थे लिहाजा यह बदलाव की शुरूआत करने के लिये अच्छा मंच है।'
राष्ट्रमंडल खेल 2030 की मेजबानी को युवा हॉकी खिलाड़ियों के लिये उत्साहजनक बताते हुए उन्होंने कहा, '2030 राष्ट्रमंडल खेलों में क्रिकेट और हॉकी दोनों होंगे लेकिन मुझे लगता है कि हॉकी की स्पर्धा अच्छी होगी क्योंकि राष्ट्रमंडल देशों में अच्छी हॉकी खेली जाती है और यह मिनी विश्व कप की तरह होगा । इन युवा खिलाड़ियों के लिये वह अच्छा प्लेटफॉर्म होगा।'
मॉस्को ओलंपिक में 45 साल पहले भारतीय हॉकी टीम को आठवां और आखिरी स्वर्ण दिलाने वाले कप्तान वासुदेवन भास्करन का कहना है कि वह इस इंतजार को खत्म होते देखना चाहते हैं और 2036 में टीम फिर चैम्पियन बन सकती है बशर्ते सही समय पर नये खिलाड़ियों को मौका दिया जाए।
भारत ने आखिरी बार 1980 में भास्करन की कप्तानी में ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता था> फिर 41 साल के इंतजार के बाद तोक्यो ओलंपिक 2020 में कांस्य पदक जीता और पिछले साल पेरिस में उस सफलता को दोहराया। भास्करन ने कहा, 'मुझे यह सुनना बिल्कुल पसंद नहीं है कि मैं आखिरी ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाली भारतीय टीम का कप्तान था। मैं चाहता हूं कि यह इंतजार खत्म हो और यह 2036 में हो सकता है। लॉस एंजिलिस ओलंपिक 2028 के बारे में नहीं कह सकता क्योंकि हमे पुरूष हॉकी टीम में अभी बदलाव की जरूरत है।'
उन्होंने कहा, 'जैसे पी आर श्रीजेश के संन्यास के बाद टीम में खालीपन लग रहा है जिसे भरना होगा। ऐसे ही कम से कम चार या पांच खिलाड़ियों को जूनियर खिलाड़ियों के लिये जगह बनानी होगी। बदलाव सही समय पर और सही जगह पर होना जरूरी है ताकि नये खिलाड़ियों को तैयार होने का मौका मिल सके।'
पहली बार 1997 में कोच रहते भारत को जूनियर विश्व कप फाइनल तक ले जाने वाले इस दिग्गज खिलाड़ी ने कहा, 'जैसे 2016 जूनियर विश्व कप के बाद हरमनप्रीत और रूपिंदर पाल जैसे खिलाड़ी मिले थे । जूनियर विश्व कप 1997 से हमे बलजीत सैनी, दिलीप टिर्की, समीर दाद, देवेश चौहान जैसे कई ओलंपियन मिले थे लिहाजा यह बदलाव की शुरूआत करने के लिये अच्छा मंच है।'
राष्ट्रमंडल खेल 2030 की मेजबानी को युवा हॉकी खिलाड़ियों के लिये उत्साहजनक बताते हुए उन्होंने कहा, '2030 राष्ट्रमंडल खेलों में क्रिकेट और हॉकी दोनों होंगे लेकिन मुझे लगता है कि हॉकी की स्पर्धा अच्छी होगी क्योंकि राष्ट्रमंडल देशों में अच्छी हॉकी खेली जाती है और यह मिनी विश्व कप की तरह होगा । इन युवा खिलाड़ियों के लिये वह अच्छा प्लेटफॉर्म होगा।'