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क्या पहलवानों का आंदोलन खत्म: साक्षी मलिक बोलीं- रेलवे में जिम्मेदारी निभा रही हूं, लड़ाई से पीछे नहीं हटी
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: स्वप्निल शशांक
Updated Mon, 05 Jun 2023 06:13 PM IST
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सार
बजरंग, साक्षी और विनेश WFI अध्यक्ष बृजभूषण के खिलाफ चल रहे आंदोलन का मुख्य चेहरा हैं। यह तीनों रेलवे में अपनी नौकरी पर वापस लौट गए हैं। इसके बाद मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया गया था कि तीनों ने आंदोलन से नाम वापस ले लिया है। साक्षी और बजरंग ने इन रिपोर्ट्स का खंडन किया।

बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक
- फोटो : अमर उजाला

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विस्तार
भारतीय कुश्ती संघ (WFI) अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पहलवानों के आंदोलन में नया मोड़ आया है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि 2016 रियो ओलंपिक में कांस्य जीतने वाली पहलवान साक्षी मलिक प्रदर्शन से हट गई हैं और रेलवे में अपनी नौकरी पर वापस लौट गई हैं। हालांकि, इस खबर के सामने आने के बाद साक्षी ने तुरंत ट्वीट करते हुए इन खबरों का खंडन किया। उन्होंने लिखा- ये खबर बिलकुल गलत है। इंसाफ की लड़ाई में न हम में से कोई पीछे हटा है, न हटेगा। सत्याग्रह के साथ साथ रेलवे में अपनी जिम्मेदारी को साथ निभा रही हूं। इंसाफ मिलने तक हमारी लड़ाई जारी है। कृपया कोई गलत खबर न चलाई जाए।
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साक्षी-बजरंग ने किया मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन
दरअसल, 2021 टोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट WFI अध्यक्ष बृजभूषण के खिलाफ चल रहे आंदोलन का मुख्य चेहरा हैं। यह तीनों रेलवे में अपनी नौकरी पर वापस लौट गए हैं। इसके बाद मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया गया कि तीनों ने आंदोलन से नाम वापस ले लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स में सबसे पहले साक्षी का नाम बताया गया। इसके बाद साक्षी ने ट्वीट कर खबरों का खंडन किया। साक्षी ने कहा कि इंसाफ की लड़ाई जारी रहेगी, बस वह अपनी जिम्मेदारी यानी काम पर वापस लौट गई हैं। पहलवानों ने बृजभूषण पर यौन शोषण का आरोप लगाया था।
साक्षी के बाद बजरंग ने भी ट्वीट कर खबरों को गलत बताया है। उन्होंने लिखा- आंदोलन वापस लेने की खबरें कोरी अफवाह हैं। ये खबरें हमें नुकसान पहुंचाने के लिए फैलाई जा रही हैं। हम न पीछे हटे हैं और न ही हमने आंदोलन वापस लिया है। महिला पहलवानों की एफआईआर उठाने की खबर भी झूठी है। इंसाफ मिलने तक लड़ाई जारी रहेगी।
बजरंग ने एक और ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा- हमारे मेडलों को 15-15 रुपए के बताने वाले अब हमारी नौकरी के पीछे पड़ गए हैं। हमारी जिंदगी दांव पर लगी हुई है, उसके आगे नौकरी तो बहुत छोटी चीज है। अगर नौकरी इंसाफ के रास्ते में बाधा बनती दिखी तो उसको त्यागने में हम दस सेकेंड का वक्त भी नहीं लगाएंगे। नौकरी का डर मत दिखाइए। पहलवानों के ट्वीट से यह साफ है कि साक्षी, बजरंग और विनेश रेलवे में अपनी नौकरी पर जरूर वापस लौट गए हैं, लेकिन इंसाफ के लिए उनका आंदोलन जारी रहेगा।

साक्षी के बाद बजरंग ने भी ट्वीट कर खबरों को गलत बताया है। उन्होंने लिखा- आंदोलन वापस लेने की खबरें कोरी अफवाह हैं। ये खबरें हमें नुकसान पहुंचाने के लिए फैलाई जा रही हैं। हम न पीछे हटे हैं और न ही हमने आंदोलन वापस लिया है। महिला पहलवानों की एफआईआर उठाने की खबर भी झूठी है। इंसाफ मिलने तक लड़ाई जारी रहेगी।
बजरंग ने एक और ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा- हमारे मेडलों को 15-15 रुपए के बताने वाले अब हमारी नौकरी के पीछे पड़ गए हैं। हमारी जिंदगी दांव पर लगी हुई है, उसके आगे नौकरी तो बहुत छोटी चीज है। अगर नौकरी इंसाफ के रास्ते में बाधा बनती दिखी तो उसको त्यागने में हम दस सेकेंड का वक्त भी नहीं लगाएंगे। नौकरी का डर मत दिखाइए। पहलवानों के ट्वीट से यह साफ है कि साक्षी, बजरंग और विनेश रेलवे में अपनी नौकरी पर जरूर वापस लौट गए हैं, लेकिन इंसाफ के लिए उनका आंदोलन जारी रहेगा।
18 जनवरी को पहली बार धरने पर बैठे थे पहलवान
इस आरोप को लेकर पहलवान बजरंग, साक्षी और विनेश सबसे पहले 18 जनवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे थे। इसके बाद खेल मंत्रालय से कार्रवाई का आश्वासन मिलने के बाद पहलवानों ने धरना समाप्त कर दिया था। कोई कार्रवाई न होने का आरोप लगाते हुए पहलवान 23 अप्रैल को दोबारा दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे। पहलवान और बृजभूषण दोनों तरफ से बयानबाजी का दौर चालू रहा। जहां एक तरफ बृजभूषण ने कहा कि आरोप साबित होने पर वह खुद को फांसी लगा लेंगे, तो वहीं पहलवान उनकी गिरफ्तारी की मांग पर अड़े रहे।
इस आरोप को लेकर पहलवान बजरंग, साक्षी और विनेश सबसे पहले 18 जनवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे थे। इसके बाद खेल मंत्रालय से कार्रवाई का आश्वासन मिलने के बाद पहलवानों ने धरना समाप्त कर दिया था। कोई कार्रवाई न होने का आरोप लगाते हुए पहलवान 23 अप्रैल को दोबारा दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे। पहलवान और बृजभूषण दोनों तरफ से बयानबाजी का दौर चालू रहा। जहां एक तरफ बृजभूषण ने कहा कि आरोप साबित होने पर वह खुद को फांसी लगा लेंगे, तो वहीं पहलवान उनकी गिरफ्तारी की मांग पर अड़े रहे।
28 मई को पुलिस ने टेंट हटाया
28 मई को पहलवानों के नए संसद भवन की तरफ कूच करने पर दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। हालांकि, बाद में पहलवानों को छोड़ भी दिया गया था। इतना ही नहीं दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने-प्रदर्शन को भी बंद करा दिया गया था और उनके टेंट हटा दिए गए थे।
इसके बाद 30 मई को पहलवान हरिद्वार पहुंचे थे और ओलंपिक समेत कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीते पदकों को गंगा में बहाने का फैसला लिया था। हालांकि, किसान नेता नरेश टिकैत की मांग पर पहलवानों ने गंगा में पदक बहाने के फैसले को टाल दिया दिया था।
28 मई को पहलवानों के नए संसद भवन की तरफ कूच करने पर दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। हालांकि, बाद में पहलवानों को छोड़ भी दिया गया था। इतना ही नहीं दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने-प्रदर्शन को भी बंद करा दिया गया था और उनके टेंट हटा दिए गए थे।
इसके बाद 30 मई को पहलवान हरिद्वार पहुंचे थे और ओलंपिक समेत कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीते पदकों को गंगा में बहाने का फैसला लिया था। हालांकि, किसान नेता नरेश टिकैत की मांग पर पहलवानों ने गंगा में पदक बहाने के फैसले को टाल दिया दिया था।

पहलवानों को 1983 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम इंडिया का मिला था समर्थन
इसके बाद भारत के पदकवीरों को 1983 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम इंडिया के खिलाड़ियों का समर्थन मिला। इनमें कपिल देव, सुनील गावस्कर, दिलीप वेंगसरकर और मदनलाल समेत कई दिग्गज क्रिकेटर्स शामिल हैं। इन सब ने एक साझा बयान जारी किया था और पहलवानों से मेडल को गंगा में न बहाने की अपील की थी। बयान में इन पूर्व दिग्गज क्रिकेटर्स ने कहा था कि पहलवानों के साथ जो हुआ वह दुखद है, लेकिन वह मेहनत से हासिल किए गए पदकों को गंगा में न बहाएं। 1983 की चैंपियन टीम ने कहा कि पहलवानों ने देश का मान बढ़ाया है। वह जल्दबाजी में कोई फैसला न लें। उम्मीद है कि पहलवानों की मांग सुनी जाएगी।
इसके बाद भारत के पदकवीरों को 1983 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम इंडिया के खिलाड़ियों का समर्थन मिला। इनमें कपिल देव, सुनील गावस्कर, दिलीप वेंगसरकर और मदनलाल समेत कई दिग्गज क्रिकेटर्स शामिल हैं। इन सब ने एक साझा बयान जारी किया था और पहलवानों से मेडल को गंगा में न बहाने की अपील की थी। बयान में इन पूर्व दिग्गज क्रिकेटर्स ने कहा था कि पहलवानों के साथ जो हुआ वह दुखद है, लेकिन वह मेहनत से हासिल किए गए पदकों को गंगा में न बहाएं। 1983 की चैंपियन टीम ने कहा कि पहलवानों ने देश का मान बढ़ाया है। वह जल्दबाजी में कोई फैसला न लें। उम्मीद है कि पहलवानों की मांग सुनी जाएगी।

1983 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम ने पहलवानों का समर्थन किया है
- फोटो : सोशल मीडिया
शनिवार को अमित शाह से मिले पहलवान
इसके बाद शनिवार रात को साक्षी, बजरंग और विनेश ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इस दौरान पहलवानों ने गृह मंत्री से बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग की थी। इसके बाद गृह मंत्री ने पहलवानों से बिना भेदभाव के पूरी जांच का भरोसा दिया था। अमित शाह ने कहा कि इस मामले में कानून अपना काम करेगा। पुलिस जांच कर रही है। उन्होंने पहलवानों से यह भी पूछा था कि क्या पुलिस को अपने काम करने का समय नहीं देना चाहिए?
इसके बाद शनिवार रात को साक्षी, बजरंग और विनेश ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इस दौरान पहलवानों ने गृह मंत्री से बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग की थी। इसके बाद गृह मंत्री ने पहलवानों से बिना भेदभाव के पूरी जांच का भरोसा दिया था। अमित शाह ने कहा कि इस मामले में कानून अपना काम करेगा। पुलिस जांच कर रही है। उन्होंने पहलवानों से यह भी पूछा था कि क्या पुलिस को अपने काम करने का समय नहीं देना चाहिए?
'आंदोलन वापस लेने पर किसी खिलाड़ी पर कोई कार्रवाई नहीं होगी'
रविवार को ओलंपियन साक्षी मलिक की मां सुदेश मलिक ने अमर उजाला से हुई बातचीत में दावा किया था कि करीब एक से डेढ़ घंटे की मुलाकात में गृह मंत्री ने तीनों खिलाड़ियों से कहा कि वे जोश की बजाय समझदारी से काम लें। सुदेश मलिक ने बताया कि शाह ने पहलवानों को आंदोलन समाप्त करने के लिए समझाते हुए कहा कि किसी भी खिलाड़ी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी।
इसके बाद रविवार को बजरंग पूनिया सोनीपत स्थित मुंडलाना पंचायत में पहुंचे और आह्वान किया कि आज कोई फैसला नहीं लिया जाए। उन्होंने कहा कि जल्द ही सभी संगठनों को एक मंच पर लाकर बड़ी पंचायत बुलाई जाएगी। इस बारे में तीन-चार दिन में फैसला लिया जाएगा। फिर सभी को पंचायत के स्थान और समय के बारे सूचित कर दिया जाएगा। इसी पंचायत में अगला फैसला लिया जाएगा।
इसके बाद रविवार को बजरंग पूनिया सोनीपत स्थित मुंडलाना पंचायत में पहुंचे और आह्वान किया कि आज कोई फैसला नहीं लिया जाए। उन्होंने कहा कि जल्द ही सभी संगठनों को एक मंच पर लाकर बड़ी पंचायत बुलाई जाएगी। इस बारे में तीन-चार दिन में फैसला लिया जाएगा। फिर सभी को पंचायत के स्थान और समय के बारे सूचित कर दिया जाएगा। इसी पंचायत में अगला फैसला लिया जाएगा।