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eSafety law: ऑस्ट्रेलिया में गूगल सर्च पर बदल जाएंगे नियम; अब बच्चों को नहीं दिखेगा एडल्ट कंटेंट

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: सुयश पांडेय Updated Tue, 23 Dec 2025 02:03 PM IST
सार

ऑस्ट्रेलिया ने बच्चों को ऑनलाइन हानिकारक कंटेंट से बचाने के लिए नए ई-सेफ्टी नियम लागू करने का फैसला किया है। 27 दिसंबर से लागू होने वाले नियमों के तहत सर्च इंजनों, खासतौर पर गूगल और बिंग, को बच्चों के लिए अश्लील और हिंसक कंटेंट को फिल्टर करना होगा।

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Australia Tightens Google Search Rules: Adult Content to Be Hidden From Children Under New E-Safety Law
ऑस्ट्रेलिया में 27 दिसंबर से लागू होंगे ऑनलाइन सेफ्टी नियम (सांकेतिक तस्वीर) - फोटो : Amar Ujala
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इंटरनेट पर बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऑस्ट्रेलिया ने एक और बड़ा कदम उठाया गया है। 27 दिसंबर से लागू होने वाले नए ऑनलाइन सेफ्टी कोड (ई सेफ्टी रूल्स) के तहत, अब सर्च इंजनों को कुछ खास मामलों में अश्लील और हिंसक तस्वीरों को धुंधला करना होगा। इन नए नियमों का उद्देश्य इंटरनेट पर मौजूद हानिकारक सामग्री से बच्चों को बचाना है। आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए के लिए सोशल मीडिया भी बैन किया था। साथ ही सरकार ने चेतावनी भी दी थी कि अगर कंपनियां सरकार के आदेश का पालन नहीं करती हैं तो उन पर 49.5 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया जाएगा।

नए नियम क्यों लाए जा रहे हैं?

ऑस्ट्रेलिया की ऑनलाइन सुरक्षा संस्था ई सेफ्टी ने 2022 में एक सर्वे किया था। इसमें पाया गया कि 16 से 18 साल के युवाओं में से हर तीन में से एक ने माना कि जब उन्होंने पहली बार अश्लील सामग्री देखी थी, तब उनकी उम्र 13 साल से भी कम थी। अक्सर यह कंटेंट जानबूझकर नहीं, बल्कि गलती से सर्च इंजन के जरिए सामने आ जाता है, जिसे युवाओं ने 'डिस्टर्बिंग' बताया। ई सेफ्टी कमिश्नर जूली इनमैन ग्रांट ने कहा कि सर्च इंजन हानिकारक कंटेंट तक पहुंचने का 'मुख्य द्वार' हैं, इसलिए यहां लगाम लगाना जरूरी है। अगर टेक कंपनियां (जैसे गूगल, मेटा, माइक्रोसॉफ्ट) इन नियमों का उल्लंघन करती हैं। तो उन पर 49.5 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर तक का भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।

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बच्चों के उम्र की जांच कैसे होगी?

नियमों के मुताबिक, गूगल और बिंग जैसी कंपनियों को 27 जून 2026 तक ऑस्ट्रेलिया में अपने यूजर्स की उम्र की पुष्टि के लिए कड़े इंतजाम करने होंगे। कंपनियां यह पता लगाने के लिए कि यूजर 18 साल से ऊपर है या नहीं, फोटो आईडी (डिजिटल आईडी सिस्टम) और चेहरे से उम्र का अनुमान लगाने वाली तकनीक (फेशियल एज एस्टीमेशन) का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके अलावा उम्र का पता लगाने के लिए क्रेडिट कार्ड चेक और एआई का उपयोग करके यूजर डाटा से उम्र का पता लगाना जैसे विकल्प भी मौजूद हैं।

सर्च इंजन के इस्तेमाल में क्या बदलाव आएंगे?

नए कोड के लागू होने के बाद इंटरनेट सर्चिंग का अनुभव काफी बदल जाएगा। 18 साल से कम उम्र के अकाउंट होल्डर्स के लिए कंपनियों को कंटेंट फिल्टर करना होगा। उदाहरण के लिए, अगर कोई बच्चा 'अश्लील साइट' सर्च करता है, तो उसे कोई रिजल्ट नहीं दिखेगा। अगर कोई यूजर लॉग-इन नहीं है, तो सर्च रिजल्ट में आने वाली अश्लील या हिंसक थंबनेल तस्वीरें अपने आप धुंधली हो जाएंगी। सर्च बार में टाइप करते समय सेक्सुअली एक्सप्लिसिट या हिंसक शब्दों के 'सुझाव' आना बंद हो जाएंगे। यह नियम सिर्फ सामान्य सर्च पर ही नहीं, बल्कि गूगल के जेमिनी जैसे एआई टूल्स के जरिए दिखाए गए रिजल्ट्स पर भी लागू होगा।

आत्महत्या और सेल्फ-हार्म रोकने की पहल

नए नियमों में मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा गया है। अगर कोई व्यक्ति आत्महत्या या आत्म-क्षति के बारे में सर्च करता है, तो ऐसे कंटेंट को सर्च रिजल्ट में नीचे (डाउन रैंक) कर दिया जाएगा। इसके बजाय, सबसे ऊपर हेल्पलाइन नंबर और संकट निवारण जानकारी दिखाई जाएगी। यह 2025 में आने वाले कई नए कड़े नियमों में से एक है, जो इंटरनेट को बच्चों के लिए सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल है।

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