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Fake Mobile Charger: कैसे पहचानें फोन का चार्जर असली है या नकली, जान लीजिए कुछ जबरदस्त ट्रिक
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Sun, 07 Dec 2025 06:28 PM IST
सार
How To Identify Fake Charger: मोबाइल चार्जर खराब होने पर लोग अक्सर सस्ती कीमत वाला चार्जर खरीद लेते हैं। लेकिन यही लापरवाही फोन और बैटरी दोनों को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। बाजार में एक जैसे दिखने वाली असली और नकली चार्जर के बीच सही फर्क कैसे करें, यहां जानिए।
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नकली चार्जर से फोन हो सकता है बेकार
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मोबाइल का चार्जर खराब होते ही कई लोग बिना सोचे-समझे मार्केट से किसी भी कंपनी का चार्जर उठा ले आते हैं। अक्सर हमें लगता है कि कोई भी चार्जर फोन चार्ज तो कर ही देगा, लेकिन यही सोच फोन को गंभीर नुकसान पहुंचाती है। बाजार में उपलब्ध कई चार्जर ब्रांड के नाम से बेचे जाते हैं, लेकिन उनकी क्वालिटी असली चार्जर से बिलकुल अलग होती है। ऐसे चार्जर न केवल फोन की बैटरी खराब करते हैं, बल्कि उसे इतना अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं कि आपको फोन भी बदलना पड़ सकता है।
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नकली चार्जर इतने खतरनाक क्यों होते हैं? (Why Fake Chargers Are Dangerous)
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असली और नकली चार्जर में कैसे करें फर्क? (How To Identify Fake Charger)
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नकली चार्जर इतने खतरनाक क्यों होते हैं? (Why Fake Chargers Are Dangerous)
- नकली चार्जरों में सस्ते और खराब क्वालिटी के पार्ट लगाए जाते हैं। चार्जिंग के दौरान यह जल्दी गर्म हो जाते हैं और बार-बार शॉर्ट-सर्किट का खतरा बढ़ जाता है, जिससे आग लगने जैसे हादसे हो सकते हैं।
- फेक चार्जर सही वोल्टेज और एम्पीयर नहीं दे पाते। ऐसे में बैटरी की चार्जिंग साइकिल बिगड़ने लगती है। बैटरी के फूलने, गर्म होने या अचानक नुकसान का जोखिम बढ़ जाता है।
- गलत वोल्टेज सप्लाई होने से फोन का मदरबोर्ड और चार्जिंग इंटिग्रेटेड सर्किट (IC) खराब हो सकती है, जिससे पूरा फोन बेकार होने की संभावना रहती है।
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असली और नकली चार्जर में कैसे करें फर्क? (How To Identify Fake Charger)
- असली चार्जर थोड़ा भारी होता है क्योंकि इसमें अच्छी क्वालिटी का प्लास्टिक, ट्रांसफॉर्मर और इंटरनल कंपोनेंट लगा होता है। नकली चार्जर खराब क्वालिटी के पार्ट्स के वजह से हल्के और कमजोर महसूस होते हैं।
- ब्रांडेड चार्जर पर प्रिंटिंग साफ, समान और सटीक होती है। जबकि फेक चार्जर पर प्रिंटिंग हल्की, धुंधली या गलत स्पेलिंग के साथ मिलती है।
- अगर किसी कंपनी के असली चार्जर की कीमत 1,000-1,200 रुपये है और उसी ब्रांड का चार्जर किसी दुकान में 250-300 रुपये में मिल रहा है, तो यह साफ संकेत है कि वह नकली है। लोकल चार्जर पर भी कंपनियों का नाम छापकर बेचा जाता है।
- नकली चार्जर की पहचान BIS Care App से की जा सकती है। आपको एप में चार्जर का प्रोडक्ट रजिस्ट्रेशन नंबर डालना होगा। अगर एप में चार्जर रजिस्टर्ड नहीं दिखता है, तो समझ लें कि वह नकली है।