AI Slop: इंटरनेट पर इस साल AI ने खूब फैलाया 'कचरा', घटिया कंटेंट से परेशान हुए यूजर्स तो दे दिया ये नाम
AI Generated Content: मेरियम-वेबस्टर ने स्लॉप को 2025 का वर्ड ऑफ द ईयर घोषित किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि एआई स्लॉप न सिर्फ इंटरनेट की गुणवत्ता गिरा रहा है, बल्कि लोगों की सोचने-समझने की क्षमता पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है। जानिए समय के साथ कैसे बदला स्लॉप शब्द का मतलब?
विस्तार
180 साल से ज्यादा समय से भाषा और शब्दों का दस्तावेजीकरण कर रही मेरियम-वेबस्टर ने Slop को 2025 का वर्ड ऑफ द ईयर चुना है। डिक्शनरी के अनुसार, स्लॉप का मतलब कम क्वालिटी वाला डिजिटल कंटेंट है, जो आमतौर पर एआई की मदद से बड़ी मात्रा में तैयार किया जाता है।
AI स्लॉप क्या है?
मेरियम-वेबस्टर के अनुसार, AI स्लॉप ऐसा डिजिटल कंटेंट है जो दिखने में भले ही आकर्षक लगे, लेकिन उसमें न तो गुणवत्ता होती है और न ही कोई जानकारी। इसमें AI-जेनरेटेड वीडियो, फोटो, ऑडियो, फेक न्यूज, कमजाेर लेख और बिना मतलब का मनोरंजन शामिल है। इसे बड़ी तादात में काफी तेजी से बनाया जा रहा है।
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डिक्शनरी कंपनी का कहना है, कि 2025 में AI स्लॉप हर जगह नजर आया। सोशल मीडिया पर बेतुके वीडियो, अजीब विज्ञापन इमेज और फर्जी खबरें वायरल हुईं, जबकि वर्कप्लेस में AI से बनी ऐसी रिपोर्ट्स और प्रेजेंटेशन दिखीं, जो सहकर्मियों का समय बर्बाद करती हैं। इस ट्रेंड को विशेषज्ञों ने वर्कस्लॉप नाम दिया है।
बच्चों के प्लेटफॉर्म भी प्रभावित
इस साल की The Guardian की रिपोर्ट के अनुसार, यूट्यूब में जो चैनल सबसे तेजी से बढ़े हैं, उनमें कई पूरी तरह से एआई स्लॉप पर आधारित थे। बाद में ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट सामने आई, जिसमें कहा गया कि यूट्यूब किड्स पर भी बड़ी संख्या में एआई वीडियो मौजूद हैं। जिसे बहुत छोटे बच्चे देख रहे हैं। इसके बाद YouTube को अपनी मोनेटाइजेशन पॉलिसी में बदलाव करना पड़ा।
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सबसे पहले कब हुआ था स्लॉप शब्द का इस्तेमाल?
स्लॉप शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल 1700 के दशक में नरम कीचड़ के लिए किया गया था। धीरे-धीरे इसका मतलब बदलता गया और यह खाने की बर्बादी, फिर कचरे और आखिरकार कम मूल्य वाली चीजों के लिए इस्तेमाल होने लगा। आज के समय में इस शब्द का मतलब डिजिटल दुनिया में घटिया एआई कंटेंट का प्रतीक बन चुका है। जहां Wikipedia, Spotify और Pinterest जैसे प्लेटफॉर्म इसे रोकने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं मेटा और ओपनएआई जैसी कंपनियां ऐसे एप और फीचर की लॉन्च कर रही है। जिस वजह से एआई स्लॉप पर बहस और तेज हो गई है।
क्या कहती है MIT स्टडी?
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की एक स्टडी के अनुसार, चैटजीपीटी जैसे एआई टूल्स पर ज्यादा निर्भरता याददाश्त और सोचने की क्षमता को प्रभावित कर रही है। लंबे समय तक इसका इस्तेमाल एआई स्लॉप के संपर्क में रहने से बच्चों और किशोरों के मानसिक विकास पर नाकारात्मक असर डाल रहा है।