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D2D Service: बदल जाएगा मोबाइल कम्यूनिकेशन का भविष्य, सरकार उठाने जा रही बड़ा कदम, जानिए पूरी जानकारी
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Sun, 16 Nov 2025 05:44 PM IST
सार
What Is D2D Service: सरकार एक ऐसी नई तकनीक पर काम कर रही है, जिसके आने के बाद मोबाइल यूजर्स बिना नेटवर्क, इंटरनेट या वाई-फाई के भी एक-दूसरे से बात कर सकेंगे। D2D सर्विस मोबाइल कनेक्टिविटी का पूरा सिस्टम बदल सकती है और खासकर आपातकाल में बड़ी मदद साबित हो सकती है।
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क्या है D2D सर्विस?
- फोटो : AI
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विस्तार
भारत में मोबाइल कनेक्टिविटी को नई दिशा देने की तैयारी चल रही है। सरकार ऐसी तकनीक पर काम कर रही है, जिसके बाद मोबाइल फोन बिना इंटरनेट, मोबाइल डेटा, वाई-फाई या नेटवर्क टावर के भी एक-दूसरे से जुड़कर कम्युनिकेशन कर सकेंगे। यह अगली पीढ़ी की तकनीक D2D यानी Device-to-Device सर्विस कहलाती है और इसकी शुरुआत मोबाइल यूजर्स के अनुभव को पूरी तरह बदल सकती है।
कैसे काम करेगी D2D तकनीक?
अभी कॉल या मैसेज करने पर आपका सिग्नल पहले मोबाइल टावर तक जाता है और फिर वहां से रिसीवर तक पहुंचता है। लेकिन D2D इस पूरी प्रक्रिया को हटाकर फोन से सीधा फोन का संपर्क बनाने में मदद करेगी। मोबाइल में मौजूद रेडियो वेव्स और शॉर्ट-रेंज कम्युनिकेशन तकनीक की मदद से दो डिवाइस अपने आसपास मौजूद दूसरी डिवाइस से सीधा लिंक बना लेते हैं। इससे नेटवर्क पर दबाव भी घटेगा और नो-नेटवर्क जोन में भी जरूरी कम्युनिकेशन संभव हो सकेगा।
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कैसे काम करेगी D2D तकनीक?
अभी कॉल या मैसेज करने पर आपका सिग्नल पहले मोबाइल टावर तक जाता है और फिर वहां से रिसीवर तक पहुंचता है। लेकिन D2D इस पूरी प्रक्रिया को हटाकर फोन से सीधा फोन का संपर्क बनाने में मदद करेगी। मोबाइल में मौजूद रेडियो वेव्स और शॉर्ट-रेंज कम्युनिकेशन तकनीक की मदद से दो डिवाइस अपने आसपास मौजूद दूसरी डिवाइस से सीधा लिंक बना लेते हैं। इससे नेटवर्क पर दबाव भी घटेगा और नो-नेटवर्क जोन में भी जरूरी कम्युनिकेशन संभव हो सकेगा।
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मोबाइल टावर
- फोटो : FREEPIK
सरकार क्यों ला रही है यह सुविधा?
देश के कई हिस्सों जैसे पहाड़ी इलाके, जंगल, सुरंगें और ग्रामीण क्षेत्र आज भी कमजोर नेटवर्क से जूझ रहे हैं। प्राकृतिक आपदाओं या टावर फेल होने की स्थिति में लोग मदद से वंचित रह जाते हैं। सरकार चाहती है कि D2D सर्विस के जरिए ऐसा विकल्प दिया जाए, जहां इमरजेंसी में भी लोग संपर्क में रहें। यह तकनीक आपदा प्रबंधन, राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों और आम जनता सभी के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
साधारण मोबाइल यूजर्स को क्या फायदा होगा?
D2D सर्विस आने के बाद मोबाइल अनुभव में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। इसके जरिए नेटवर्क न होने पर भी कॉल व मैसेज की सुविधा मिलेगी, आपदा के समय तुरंत संपर्क संभव हो पाएगा और टावर पर कम लोड पड़ेगा जिससे नेटवर्क क्वालिटी बेहतर होगी। इसके साथ ही, तेज फाइल शेयरिंग, लोकेशन शेयरिंग और लोकल कम्युनिकेशन को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। यह फीचर स्मार्टफोन को और अधिक सुरक्षित व सक्षम बना सकता है।
यह सर्विस कब तक आएगी?
सूत्रों की मानें तो सरकार इस तकनीक पर तेजी से काम कर रही है और जल्द ही इसका पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया जा सकता है। टेस्ट सफल रहने पर इसे धीरे-धीरे सभी स्मार्टफोन ब्रांड्स और टेलीकॉम ऑपरेटरों में लागू किया जाएगा। आने वाले वर्षों में यह तकनीक भारत की डिजिटल यात्रा का बड़ा परिवर्तनकारी कदम बन सकती है।
देश के कई हिस्सों जैसे पहाड़ी इलाके, जंगल, सुरंगें और ग्रामीण क्षेत्र आज भी कमजोर नेटवर्क से जूझ रहे हैं। प्राकृतिक आपदाओं या टावर फेल होने की स्थिति में लोग मदद से वंचित रह जाते हैं। सरकार चाहती है कि D2D सर्विस के जरिए ऐसा विकल्प दिया जाए, जहां इमरजेंसी में भी लोग संपर्क में रहें। यह तकनीक आपदा प्रबंधन, राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों और आम जनता सभी के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
साधारण मोबाइल यूजर्स को क्या फायदा होगा?
D2D सर्विस आने के बाद मोबाइल अनुभव में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। इसके जरिए नेटवर्क न होने पर भी कॉल व मैसेज की सुविधा मिलेगी, आपदा के समय तुरंत संपर्क संभव हो पाएगा और टावर पर कम लोड पड़ेगा जिससे नेटवर्क क्वालिटी बेहतर होगी। इसके साथ ही, तेज फाइल शेयरिंग, लोकेशन शेयरिंग और लोकल कम्युनिकेशन को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। यह फीचर स्मार्टफोन को और अधिक सुरक्षित व सक्षम बना सकता है।
यह सर्विस कब तक आएगी?
सूत्रों की मानें तो सरकार इस तकनीक पर तेजी से काम कर रही है और जल्द ही इसका पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया जा सकता है। टेस्ट सफल रहने पर इसे धीरे-धीरे सभी स्मार्टफोन ब्रांड्स और टेलीकॉम ऑपरेटरों में लागू किया जाएगा। आने वाले वर्षों में यह तकनीक भारत की डिजिटल यात्रा का बड़ा परिवर्तनकारी कदम बन सकती है।