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Tips: बैंक में अचानक 100 रुपये डिपॉजिट हो जाएं तो खुश मत होना, अगले ही पल फ्रीज हो सकता है खाता, जानें क्यों?
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Sun, 28 Dec 2025 05:19 PM IST
सार
Cyber Crime: अगर आपके बैंक खाते में अचानक कहीं से 100 रुपये आ जाएं, तो खुश होने के बजाय सावधान हो जाइए। ये मामूली रकम आपके पूरे अकाउंट को फ्रीज करवा सकती है। साइबर पुलिस की मनी ट्रेल जांच में फंसने के कारण आपकी मेहनत की पूरी कमाई पर ताला लग सकता है।
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बैंक अकाउंट फ्रीज (सांकेतिक)
- फोटो : AI
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विस्तार
कल्पना कीजिए कि आप सुबह सोकर उठते हैं और आपको पता चलता है कि आपका बैंक अकाउंट ब्लॉक हो गया है। आप घबराकर बैंक भागते हैं, लेकिन वहां पता चलता है कि यह काम बैंक ने नहीं बल्कि साइबर पुलिस ने किया है। बैंकिंग की भाषा में इसे लियन (Lien) लगाना कहते हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसा तब भी हो सकता है जब आपने कोई अपराध न किया हो, बस किसी फ्रॉड के पैसे का एक छोटा सा हिस्सा, जैसे अगर कोई 100 रुपये ही आपके खाते में जमा कर दे तो आपका बैंक अकाउंट फ्रीज किया जा सकता है। इसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि बैंक आपको पहले से कोई सूचना नहीं देता। आपको इसका पता तब चलता है जब आप पैसे निकालने या ट्रांसफर करने की कोशिश करते हैं और ट्रांजेक्शन फेल हो जाता है।
क्या है मनी ट्रेल और क्यों फंसते हैं आम लोग?
जब साइबर पुलिस किसी ऑनलाइन धोखाधड़ी या स्कैम की जांच करती है, तो वे देखते हैं कि ठगी का पैसा किन-किन रास्तों से होकर गुजरा है। इसे मनी ट्रेल कहा जाता है। अपराधी अक्सर पुलिस को गुमराह करने के लिए ठगी गई बड़ी रकम को छोटे-छोटे हिस्सों में सैकड़ों अलग-अलग अकाउंट्स में ट्रांसफर कर देते हैं। इस पूरी चेन में अगर गलती से 100 रुपये भी आपके खाते में पहुंच गए, तो पुलिस को यह शक हो जाता है कि आप भी उस सिंडिकेट का हिस्सा हो सकते हैं। नतीजा यह होता है कि पुलिस पूरे खाते को ही संदिग्ध मानकर फ्रीज करने का आदेश दे देती है।
राजस्थान हाई कोर्ट का अहम फैसला जान लें
अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा ही होता है और आपका खाता फ्रीज हो जाता है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। कानून आपकी रक्षा के लिए मौजूद है। राजस्थान हाई कोर्ट ने 'सय्यद सरफराज बनाम भारतीय रिजर्व बैंक' (Sayed Sarfaraj vs RBI) के केस में साफ निर्देश दिए हैं कि साइबर पुलिस किसी भी व्यक्ति का पूरा बैंक खाता सिर्फ एक संदिग्ध लेनदेन के लिए ब्लॉक नहीं कर सकती। अदालत के अनुसार, पुलिस को केवल उतनी ही राशि होल्ड करने का अधिकार है जितनी विवादित है। उदाहरण के तौर पर, अगर 100 रुपये की गड़बड़ी है, तो सिर्फ 100 रुपये ही ब्लॉक होने चाहिए, न कि आपके अकाउंट में पड़े बाकी रुपये।
खाता अनफ्रीज करवाने की सही प्रक्रिया
अकाउंट फ्रीज होने की स्थिति में आपको सबसे पहले अपनी बैंक ब्रांच जाना चाहिए। वहां से उस साइबर सेल का विवरण मांगें जिसने आपके खाते पर पाबंदी लगाई है। बैंक को यह जानकारी 7 दिनों के भीतर पुलिस से लेनी होती है। इसके बाद, आपको उस साइबर सेल के ईमेल या फोन नंबर पर संपर्क करना होगा और अपने लेनदेन का सबूत देना होगा। यदि पुलिस सहयोग नहीं करती, तो आप एक वकील के जरिए साइबर सेल को कानूनी नोटिस भेज सकते हैं। आमतौर पर, उचित स्पष्टीकरण और कानूनी हस्तक्षेप के बाद 15 दिनों के भीतर बैंक अकाउंट फिर से चालू हो जाता है।
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क्या है मनी ट्रेल और क्यों फंसते हैं आम लोग?
जब साइबर पुलिस किसी ऑनलाइन धोखाधड़ी या स्कैम की जांच करती है, तो वे देखते हैं कि ठगी का पैसा किन-किन रास्तों से होकर गुजरा है। इसे मनी ट्रेल कहा जाता है। अपराधी अक्सर पुलिस को गुमराह करने के लिए ठगी गई बड़ी रकम को छोटे-छोटे हिस्सों में सैकड़ों अलग-अलग अकाउंट्स में ट्रांसफर कर देते हैं। इस पूरी चेन में अगर गलती से 100 रुपये भी आपके खाते में पहुंच गए, तो पुलिस को यह शक हो जाता है कि आप भी उस सिंडिकेट का हिस्सा हो सकते हैं। नतीजा यह होता है कि पुलिस पूरे खाते को ही संदिग्ध मानकर फ्रीज करने का आदेश दे देती है।
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राजस्थान हाई कोर्ट का अहम फैसला जान लें
अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा ही होता है और आपका खाता फ्रीज हो जाता है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। कानून आपकी रक्षा के लिए मौजूद है। राजस्थान हाई कोर्ट ने 'सय्यद सरफराज बनाम भारतीय रिजर्व बैंक' (Sayed Sarfaraj vs RBI) के केस में साफ निर्देश दिए हैं कि साइबर पुलिस किसी भी व्यक्ति का पूरा बैंक खाता सिर्फ एक संदिग्ध लेनदेन के लिए ब्लॉक नहीं कर सकती। अदालत के अनुसार, पुलिस को केवल उतनी ही राशि होल्ड करने का अधिकार है जितनी विवादित है। उदाहरण के तौर पर, अगर 100 रुपये की गड़बड़ी है, तो सिर्फ 100 रुपये ही ब्लॉक होने चाहिए, न कि आपके अकाउंट में पड़े बाकी रुपये।
खाता अनफ्रीज करवाने की सही प्रक्रिया
अकाउंट फ्रीज होने की स्थिति में आपको सबसे पहले अपनी बैंक ब्रांच जाना चाहिए। वहां से उस साइबर सेल का विवरण मांगें जिसने आपके खाते पर पाबंदी लगाई है। बैंक को यह जानकारी 7 दिनों के भीतर पुलिस से लेनी होती है। इसके बाद, आपको उस साइबर सेल के ईमेल या फोन नंबर पर संपर्क करना होगा और अपने लेनदेन का सबूत देना होगा। यदि पुलिस सहयोग नहीं करती, तो आप एक वकील के जरिए साइबर सेल को कानूनी नोटिस भेज सकते हैं। आमतौर पर, उचित स्पष्टीकरण और कानूनी हस्तक्षेप के बाद 15 दिनों के भीतर बैंक अकाउंट फिर से चालू हो जाता है।