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Cyber Security: देश में क्वांटम कंप्यूटिंग से साइबर अटैक का खतरा बढ़ा, संवेदनशील डेटा पर हो सकता है हमला
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Tue, 18 Nov 2025 10:57 AM IST
सार
Risk of Quantum Computing Cyber Attack: भारत में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसी बीच PwC की एक नई रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि क्वांटम कंप्यूटिंग आने वाले समय में साइबर सिक्योरिटी के लिए सबसे बड़ा खतरा बन सकती है। रिपोर्ट के अनुसार संगठनों को तुरंत क्वांटम-रेजिलिएंट सुरक्षा अपनाने की जरूरत है।
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साइबर हमला (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : फ्रीपिक
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विस्तार
भारत डिजिटल युग में तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन इसी रफ्तार के साथ साइबर खतरे भी बढ़ते जा रहे हैं। PwC की ताजा रिपोर्ट के अनुसार क्वांटम कंप्यूटिंग भविष्य में देश की साइबर सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बनने वाली है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि जिन कंपनियों के पास बड़ी मात्रा में संवेदनशील डेटा है, उनके लिए क्वांटम अटैक से सुरक्षा उपाय अब विकल्प नहीं बल्कि जरूरत बन चुका है।
डिजिटल विस्तार ने बढ़ाई नई चुनौतियां
PwC ने चेताया कि डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, क्लाउड और AI सिस्टम्स के तेज विस्तार के बीच डेटा संप्रभुता और साइबर रेजिलिएंस देश की प्राथमिकताओं में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में कंपनियों को केवल जागरूकता तक सीमित न रहते हुए क्वांटम युग के लिए वास्तविक तैयारी शुरू करनी होगी। रिपोर्ट के अनुसार संगठनों को पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी को बोर्ड-लेवल एजेंडा बनाना चाहिए, क्वांटम जोखिमों पर विशेषज्ञता विकसित करनी चाहिए और सिस्टम को चरणबद्ध तरीके से अपग्रेड करने के लिए मल्टी-ईयर रोडमैप तैयार करना चाहिए।
यह भी पढ़ें: 32 वर्षीय महिला ने AI को बनाया जीवनसाथी, कहा- अब इंसानों से ज्यादा एआई पर भरोसा
जागरूकता बढ़ी, लेकिन कार्रवाई की कमी
हालांकि क्वांटम जोखिमों को लेकर जागरूकता बढ़ी है, फिर भी एक बड़ी कमी बनी हुई है। रिपोर्ट में बताया गया कि 40% भारतीय कंपनियों ने अब तक क्वांटम-रेसिस्टेंट सुरक्षा उपायों की शुरुआत भी नहीं की है। वहीं केवल 5% सिक्योरिटी लीडर्स ने आने वाले वित्त वर्ष के बजट में क्वांटम रेडीनेस को अपनी शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल किया है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब भारत की साइबर सिक्योरिटी रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। भारतीय कंपनियां क्षमता और टैलेंट की कमी को पूरा करने के लिए AI में सबसे ज्यादा निवेश कर रही हैं। PwC के अनुसार संगठन अब एनालिटिकल AI से आगे बढ़कर एजेंटिक AI की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसी ऑटोनॉमस तकनीक जो कम मानवीय हस्तक्षेप में निर्णय लेने और कार्रवाई करने में सक्षम होती है।
क्लाउड, डेटा और साइबर डिफेंस में एजेंटिक AI की एंट्री
सुरक्षा विशेषज्ञ क्लाउड सिक्योरिटी, डेटा प्रोटेक्शन, साइबर डिफेंस और सुरक्षा संचालन में एजेंटिक AI का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं। इससे कंपनियों को तेजी से खतरों की पहचान करने, प्रतिक्रिया समय कम करने और बड़े स्तर पर रेजिलिएंस हासिल करने में मदद मिलेगी। हालांकि DevSecOps और IAM जैसे हाई-रिस्क क्षेत्रों में अभी भी झिझक बनी हुई है, क्योंकि ऑटोमेटेड पैचिंग या एक्सेस कंट्रोल में छोटी सी गलती भी बड़े सुरक्षा जोखिम पैदा कर सकती है।
यह भी पढ़ें: एआई को कोसों पीछे छोड़ देगी नई इंटेलिजेंस तकनीक, अनुभव से सीखेंगी मशीनें और खुद लेंगी फैसले
रिपोर्ट ने यह भी बताया कि DPDP एक्ट के लागू होने से डेटा गवर्नेंस और डेटा हाइजीन में तेजी से सुधार होगा। कंपनियों को अब डेटा मिनिमाइजेशन, डेटा सटीकता और रिस्पॉन्सिबल AI प्रैक्टिसेज पर अधिक निवेश करना होगा ताकि वे नए प्राइवेसी मानकों का पालन कर सकें।
अंत में PwC ने संगठनों को सलाह दी कि वे AI-आधारित थ्रेट डिटेक्शन को प्राथमिकता दें, एजेंटिक AI को तेजी से अपनाएं, जिम्मेदार AI सिद्धांत लागू करें, पूरे संगठन में मजबूत डेटा गवर्नेंस बनाएं और AI-नेटिव साइबर सिक्योरिटी टैलेंट तैयार करें, ताकि आने वाले साइबर खतरों से आगे रहा जा सके।
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डिजिटल विस्तार ने बढ़ाई नई चुनौतियां
PwC ने चेताया कि डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, क्लाउड और AI सिस्टम्स के तेज विस्तार के बीच डेटा संप्रभुता और साइबर रेजिलिएंस देश की प्राथमिकताओं में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में कंपनियों को केवल जागरूकता तक सीमित न रहते हुए क्वांटम युग के लिए वास्तविक तैयारी शुरू करनी होगी। रिपोर्ट के अनुसार संगठनों को पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी को बोर्ड-लेवल एजेंडा बनाना चाहिए, क्वांटम जोखिमों पर विशेषज्ञता विकसित करनी चाहिए और सिस्टम को चरणबद्ध तरीके से अपग्रेड करने के लिए मल्टी-ईयर रोडमैप तैयार करना चाहिए।
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जागरूकता बढ़ी, लेकिन कार्रवाई की कमी
हालांकि क्वांटम जोखिमों को लेकर जागरूकता बढ़ी है, फिर भी एक बड़ी कमी बनी हुई है। रिपोर्ट में बताया गया कि 40% भारतीय कंपनियों ने अब तक क्वांटम-रेसिस्टेंट सुरक्षा उपायों की शुरुआत भी नहीं की है। वहीं केवल 5% सिक्योरिटी लीडर्स ने आने वाले वित्त वर्ष के बजट में क्वांटम रेडीनेस को अपनी शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल किया है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब भारत की साइबर सिक्योरिटी रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। भारतीय कंपनियां क्षमता और टैलेंट की कमी को पूरा करने के लिए AI में सबसे ज्यादा निवेश कर रही हैं। PwC के अनुसार संगठन अब एनालिटिकल AI से आगे बढ़कर एजेंटिक AI की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसी ऑटोनॉमस तकनीक जो कम मानवीय हस्तक्षेप में निर्णय लेने और कार्रवाई करने में सक्षम होती है।
क्लाउड, डेटा और साइबर डिफेंस में एजेंटिक AI की एंट्री
सुरक्षा विशेषज्ञ क्लाउड सिक्योरिटी, डेटा प्रोटेक्शन, साइबर डिफेंस और सुरक्षा संचालन में एजेंटिक AI का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं। इससे कंपनियों को तेजी से खतरों की पहचान करने, प्रतिक्रिया समय कम करने और बड़े स्तर पर रेजिलिएंस हासिल करने में मदद मिलेगी। हालांकि DevSecOps और IAM जैसे हाई-रिस्क क्षेत्रों में अभी भी झिझक बनी हुई है, क्योंकि ऑटोमेटेड पैचिंग या एक्सेस कंट्रोल में छोटी सी गलती भी बड़े सुरक्षा जोखिम पैदा कर सकती है।
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रिपोर्ट ने यह भी बताया कि DPDP एक्ट के लागू होने से डेटा गवर्नेंस और डेटा हाइजीन में तेजी से सुधार होगा। कंपनियों को अब डेटा मिनिमाइजेशन, डेटा सटीकता और रिस्पॉन्सिबल AI प्रैक्टिसेज पर अधिक निवेश करना होगा ताकि वे नए प्राइवेसी मानकों का पालन कर सकें।
अंत में PwC ने संगठनों को सलाह दी कि वे AI-आधारित थ्रेट डिटेक्शन को प्राथमिकता दें, एजेंटिक AI को तेजी से अपनाएं, जिम्मेदार AI सिद्धांत लागू करें, पूरे संगठन में मजबूत डेटा गवर्नेंस बनाएं और AI-नेटिव साइबर सिक्योरिटी टैलेंट तैयार करें, ताकि आने वाले साइबर खतरों से आगे रहा जा सके।