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TRAI: विदेशी SIM कार्ड की बिक्री के लिए TRAI ने सुझाए आसान नियम, बिना भारी फीस के मिलेगा लाइसेंस

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: जागृति Updated Wed, 31 Dec 2025 11:20 AM IST
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सार

International M2M SIM Authorization: TRAI ने विदेशी सिम व ईसिम की बिक्री को आसान बनाने के लिए नया लाइट-टच रेगुलेटरी फ्रेमवर्क सुझाया है। जानिए इससे किसको फायदा होने वाला है?
 

TRAI major proposal Selling foreign SIM cards used  exported IoT devices become easier
टेलीकॉम रेगुलेटर ऑफ इंडिया - फोटो : trai.gov.in
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टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने सिफारिश कर कहा है कि एक्सपोर्ट के लिए बनाए गए एम2एम और IoT डिवाइस में इस्तेमाल होने वाले विदेशी टेलीकॉम ऑपरेटर्स की SIM/eSIM को दूरसंचार अधिनियम, 2023 के तहत लाइट टच सर्विस ऑथोराइज के जरिए रेगुलेट किया जाए। इस नए ढांचे को अंतर्राष्ट्रीय M2M सिम सेवा प्राधिकरण नाम देने का प्रस्ताव है। 

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किन कंपनियों को मिलेगा फायदा?

TRAI के मुताबिक, कंपनी अधिनियम के तहत कोई भी भारतीय रजिस्टर्ड कंपनी, जो IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) और M2M (मशीन-टू-मशीन) डिवाइस बनाती है और उन्हें एक्सपोर्ट करती है। वो इस ऑथराइजेशनके लिए पात्र होगी। इनकी कुछ शर्तें भी हैं, जो टीआरएआई ने ऑथराइजेशन की शर्तों को बेहद सरल बनाने का सुझाव दिया है। इनके अनुसार, इसके लिए कोई एंट्री फीस, न्यूनतम नेटवर्थ या इक्विटी की शर्त नहीं होगी और न ही किसी तरह की बैंक गारंटी या ऑथराइजेशन फीस देनी पड़ेगी। केवल पांच हजार रुपये की एकमुश्त एप्लीकेशन प्रोसेसिंग फीस तय की गई है। यह ऑथराइजेशन 10 साल की वैधता के साथ मिलेगा और पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी, जिसमें डिजिटल साइन के जरिए ऑटो-जेनरेटेड ऑथराइजेशन जारी किया जाएगा। इससे कंपनियों के लिए अनुपालन आसान होगा और समय व लागत दोनों की बचत होगी।

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टेस्टिंग के लिए क्या सुविधा मिलेगी?

टेस्टिंग के उद्देश्य से विदेशी टेलीकॉम कंपनियों की सिम या ईसिम को भारत में अधिकतम छह महीने तक एक्टिवेट करने की अनुमति देने का सुझाव दिया गया है। इसके लिए सरकारों के बीच समन्वय की जरूरत है। वहीं, टीआरएआई और डीओटी को सलाह दी है कि,  वित्त मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय व अन्य संबंधित विभागों के साथ मिलकर सिम या ईसिम के इंपोर्ट-एक्सपोर्ट के लिए स्पष्ट रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करें। ये फैसला इसलिए भी अहम है, क्योंकि टीआरएआई के अनुसार, इससे भारतीय एक्सपोर्टर्स की ग्लोबल प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। साथ ही मेक इन इंडिया को भी मजबूती मिलेगी। भारत में बने स्मार्ट डिवाइस दुनिया के बाजारों में ज्यादा आकर्षक भी बनेंगे।रेगुलेटर का मानना है कि यह कदम भारतीय कंपनियों को वैश्विक IoT/M2M कंपनियों के बराबर खड़ा करेगा।


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M2M और IoT क्या है ?

M2M यानी मशीन-टू-मशीन ऐसी तकनीक है, जिसमें दो या उससे ज्यादा डिवाइस आपस में बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के सीधे डेटा का आदान-प्रदान करते हैं। इसमें सेंसर, सॉफ्टवेयर और नेटवर्क के जरिए मशीनें खुद ही जानकारी भेजने और रिसीव करने में सक्षम होती हैं। वहीं, IoT यानी इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ये M2M टेक्नोलॉजी पर आधारित एक बड़ा नेटवर्क है, जिसमें इंटरनेट से जुड़े स्मार्ट डिवाइस शामिल होते हैं। ये डिवाइस डेटा कलेक्ट करते हैं, उसे इंटरनेट के जरिए प्रोसेस करते हैं और अपने आप निर्णय लेने या किसी एक्शन को अंजाम देने में सक्षम होते हैं, जैसे स्मार्ट मीटर, कनेक्टेड कार, इंडस्ट्रियल मशीन या स्मार्ट होम डिवाइस।

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