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Amethi News: अंग्रेजी में की पढ़ाई, हिंदी के अध्यापक

संवाद न्यूज एजेंसी, अमेठी Updated Sun, 14 Sep 2025 12:23 AM IST
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Studied in English, Hindi teacher
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अमेठी सिटी। हिंदी केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि भारतीय आत्मा की जीवंत अभिव्यक्ति है। विश्व हिंदी दिवस पर यह स्मरण करना आवश्यक हो जाता है कि देश के कोने-कोने में हिंदी को समर्पित व्यक्तित्व न केवल इस भाषा का मान बढ़ा रहे हैं, बल्कि उसे नई पीढ़ी के साथ जोड़ भी रहे हैं। इंग्लिश मीडियम में पढ़ाई करके शिक्षक बने शिवम हिंदी को अपने जीवन और शिक्षा का आधार बना चुके हैं।
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प्राथमिक विद्यालय जामों प्रथम में कार्यरत शिवम सिंह चौहान की शिक्षा की शुरुआत डीएवी स्कूल एचएएल कोरवा छत्तीसगढ़ से हुई। उन्होंने कक्षा एक से 12 तक अंग्रेजी माध्यम से अध्ययन किया। विज्ञान विषय में स्नातक और बीटीसी प्रशिक्षण के बाद जब उन्होंने परिषदीय विद्यालय में शिक्षण आरंभ किया तो भाषा ही सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आई।
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बच्चों की स्थानीय बोली और संवाद शैली को समझना, फिर उनके मानसिक स्तर पर उतरकर शिक्षा देना यह सफर आसान नहीं रहा। पहले संवाद में रुकावट, समझ में कमी और आपसी जुड़ाव की कमी जैसी समस्याओं से जूझने के बाद उन्होंने स्वयं को पूरी तरह हिंदी में ढाल लिया। आज वही शिक्षक अपने विद्यार्थियों को उनके स्तर और भाषा में पढ़ाकर सीखने की प्रक्रिया को रुचिकर और प्रभावशाली बना चुके हैं। उनका मानना है कि बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाना आसान ही नहीं, प्रभावी भी होता है।


प्राथमिक विद्यालय मैदन मवई में कार्यरत शिक्षामित्र डॉ. अर्चना शुक्ला का जीवन हिंदी भाषा के प्रति समर्पित है। उन्होंने प्रारंभिक पढ़ाई के साथ ही शिक्षण कार्य में कदम रखा और हिंदी साहित्य में गहराई से जुड़ गईं।


हिंदी से पीएचडी कर चुकीं अर्चना का शोध विषय अवधी भाषा रहा है, जिसे उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से विशेष पहचान दिलाई। उनकी कविताएं जैसे हिंदी हिंदी परिधान है भारत की... और मैं बेटी भारत माता की... कई मंचों पर सराही गई हैं।


मिशन शक्ति, मतदाता जागरूकता, दहेज उन्मूलन, बेरोजगारी, शिक्षा और नारी सशक्तीकरण जैसे विषयों पर उनकी लेखनी समाज को जागरूक करती रही है। बच्चों को कविता, कहानी और गद्य-पद्य के माध्यम से हिंदी से जोड़ना, उन्हें मातृभाषा की मिठास और गरिमा से परिचित कराना, यह कार्य वह पूरी निष्ठा से कर रही हैं। उनकी रचनाएं विभिन्न पुस्तकों में प्रकाशित हो चुकी हैं। (संवाद)
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