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Bahraich News: पेट्रोल-डीजल की सप्लाई शुरू, खाद्य पदार्थों का संकट
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नेपाल में बवाल के बाद रुपईडीहा स्थित लैंडपोर्ट पर खड़े ट्रक। -संवाद
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रुपईडीहा।
भारत-नेपाल सीमा शुक्रवार को लगातार चौथे दिन भी सील रही। सीमावर्ती नेपालगंज में उपद्रव के बाद अभी हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। इसका सीधा असर अब खाने-पीने की वस्तुओं और लंबी दूरी की यात्राओं पर दिखने लगा है।
चावल, मक्का, दवा और रोजमर्रा की जरूरत की वस्तुएं लादे करीब एक हजार ट्रक सीमा पर खड़े हैं। मुंबई, दिल्ली, शिमला और गोवा तक चलने वाली बसें भी यात्रियों के अभाव में हाईवे किनारे खड़ी हैं। इस बीच शुक्रवार सुबह पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के 20 से अधिक टैंकर नेपाली सेना की निगरानी में नेपाल रवाना किए गए।
सप्लाई ठप होने से नेपाल में 150 ग्राम के पैकेट वाला जो बिस्कुट पहले 50 रुपये में मिलता था, अब वह 150 रुपये में मिल रहा है। यही हाल 600 ग्राम के पैक का भी है। यह बिस्कुट पहले नेपाल में 160 रुपये का मिलता था, जो अब 300 तक पहुंच चुका है। रसोई गैस के सिलिंडर की भी मारामारी मची है। कुछ क्षेत्रों में तो खाद्य पदार्थों की तस्करी भी शुरू हो गई है।
रुपईडीहा स्थित इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) पर माल लदे ट्रकों की लंबी कतार लगी है। इनमें पेट्रोलियम उत्पाद, दवा, चावल, मक्का और मशीनरी जैसी आवश्यक वस्तुएं हैं। शुक्रवार सुबह अधिकारियों ने पेट्रोल और डीजल टैंकरों को प्राथमिकता पर नेपाल सेना की सुरक्षा में भेजना शुरू कर दिया है, लेकिन बड़ी संख्या में ट्रक अब भी फंसे हुए हैं। बॉर्डर पर हालात ऐसे ही रहे तो नेपाल में खाद्य सामग्री और दवाओं की भारी किल्लत हो सकती है।
सीमा सील होने से परिवहन पूरी तरह प्रभावित है। आम दिनों में रुपईडीहा से मुंबई, गुजरात, दिल्ली, शिमला, हरिद्वार और गोवा जाने वाली निजी बसें नेपाली यात्रियों से भरी रहती थीं, लेकिन अब ये बसें हाईवे 927 के किनारे खड़ी धूल फांक रही हैं। रोडवेज बस अड्डे पर भी सन्नाटा है, जहां पहले रौनक रहती थी।
सीमा पर आवाजाही बंद होने से रुपईडीहा और नेपालगंज के बाजार भी विरान पड़े हैं। दुकानदारों का कहना है कि ग्राहक नहीं आ रहे और न ही बकाया भुगतान हो पा रहा है। नुकसान देखकर कारोबारी चिंतित हैं। सभी की नजर नेपाल के हालात पर है। उम्मीद है कि अंतरिम सरकार के गठन के बाद से हालात सामान्य होंगे।
नेपाल के बिगड़े हालात से सिर्फ कारोबार और यात्रा ही नहीं, शिक्षा भी प्रभावित हुई है। नेपालगंज और जमुनहा से प्रतिदिन सैकड़ों बच्चे रुपईडीहा के आठ स्कूलों में पढ़ने आते थे। सीमा सील होने से ये छात्र अब स्कूल नहीं पहुंच पा रहे हैं।

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भारत-नेपाल सीमा शुक्रवार को लगातार चौथे दिन भी सील रही। सीमावर्ती नेपालगंज में उपद्रव के बाद अभी हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। इसका सीधा असर अब खाने-पीने की वस्तुओं और लंबी दूरी की यात्राओं पर दिखने लगा है।
चावल, मक्का, दवा और रोजमर्रा की जरूरत की वस्तुएं लादे करीब एक हजार ट्रक सीमा पर खड़े हैं। मुंबई, दिल्ली, शिमला और गोवा तक चलने वाली बसें भी यात्रियों के अभाव में हाईवे किनारे खड़ी हैं। इस बीच शुक्रवार सुबह पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के 20 से अधिक टैंकर नेपाली सेना की निगरानी में नेपाल रवाना किए गए।
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सप्लाई ठप होने से नेपाल में 150 ग्राम के पैकेट वाला जो बिस्कुट पहले 50 रुपये में मिलता था, अब वह 150 रुपये में मिल रहा है। यही हाल 600 ग्राम के पैक का भी है। यह बिस्कुट पहले नेपाल में 160 रुपये का मिलता था, जो अब 300 तक पहुंच चुका है। रसोई गैस के सिलिंडर की भी मारामारी मची है। कुछ क्षेत्रों में तो खाद्य पदार्थों की तस्करी भी शुरू हो गई है।
रुपईडीहा स्थित इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) पर माल लदे ट्रकों की लंबी कतार लगी है। इनमें पेट्रोलियम उत्पाद, दवा, चावल, मक्का और मशीनरी जैसी आवश्यक वस्तुएं हैं। शुक्रवार सुबह अधिकारियों ने पेट्रोल और डीजल टैंकरों को प्राथमिकता पर नेपाल सेना की सुरक्षा में भेजना शुरू कर दिया है, लेकिन बड़ी संख्या में ट्रक अब भी फंसे हुए हैं। बॉर्डर पर हालात ऐसे ही रहे तो नेपाल में खाद्य सामग्री और दवाओं की भारी किल्लत हो सकती है।
सीमा सील होने से परिवहन पूरी तरह प्रभावित है। आम दिनों में रुपईडीहा से मुंबई, गुजरात, दिल्ली, शिमला, हरिद्वार और गोवा जाने वाली निजी बसें नेपाली यात्रियों से भरी रहती थीं, लेकिन अब ये बसें हाईवे 927 के किनारे खड़ी धूल फांक रही हैं। रोडवेज बस अड्डे पर भी सन्नाटा है, जहां पहले रौनक रहती थी।
सीमा पर आवाजाही बंद होने से रुपईडीहा और नेपालगंज के बाजार भी विरान पड़े हैं। दुकानदारों का कहना है कि ग्राहक नहीं आ रहे और न ही बकाया भुगतान हो पा रहा है। नुकसान देखकर कारोबारी चिंतित हैं। सभी की नजर नेपाल के हालात पर है। उम्मीद है कि अंतरिम सरकार के गठन के बाद से हालात सामान्य होंगे।
नेपाल के बिगड़े हालात से सिर्फ कारोबार और यात्रा ही नहीं, शिक्षा भी प्रभावित हुई है। नेपालगंज और जमुनहा से प्रतिदिन सैकड़ों बच्चे रुपईडीहा के आठ स्कूलों में पढ़ने आते थे। सीमा सील होने से ये छात्र अब स्कूल नहीं पहुंच पा रहे हैं।