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Bhadohi News: जिला उपभोक्ता आयोग ने इश्योरेंस कंपनी पर लगाया 30 हजार का जुर्माना, बीमा क्लेम न देने का मामला
अमर उजाला नेटवर्क, भदोही
Published by: नितीश कुमार पांडेय
Updated Thu, 08 May 2025 06:07 PM IST
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सार
जिला उपभोक्ता आयोग ने इंश्योरेंस कंपनी को बीमा क्लेम की राशि 15 लाख रुपये छह फीसदी ब्याज से देने का आदेश दिया है। इससे उपभोक्ता को राहत मिली है।

जिला उपभोक्ता आयोग
- फोटो : Amar Ujala

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विस्तार
ज्ञानपुर जिला उपभोक्ता आयोग की अदालत ने बृहस्पतिवार को बीमा क्लेम न देने पर आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी पर 30 हजार का जुर्माना लगाया। वहीं इंश्योरेंस कंपनी को उपभोक्ता की बीमा क्लेम की राशि 15 लाख रुपये छह फीसदी वार्षिक ब्याज की दर से देने का आदेश दिया।
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चेताया कि अगर दो माह के अंदर भुगतान नहीं किया गया तो बीमा क्लेम की राशि नौ फीसदी ब्याज की दर से भुगतान करना होगा। उपभोक्ता आयोग के चेयरमैन संजय कुमार डे ने यह फैसला सुनाया। जिला उपभोक्ता आयोग के रीडर स्वतंत्र रावत ने बताया कि औराई कोतवाली के परषोत्तमपुर निवासी सत्य प्रकाश यादव के भाई विकास चन्द्र यादव ने बोलेरो पिकप ली थी।
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जिसका उन्होंने आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी, लखनऊ से बीमा भी कराया था। उन्होंने बीमा कंपनी को 21019 रुपये प्रीमियम भी अदा किया था। बताया कि 23 मार्च, 2023 को विकास दोपहर डेढ़ बजे के करीब औराई से वाराणसी जा रहे थे। इस बीच राजातालाब फ्लाईओवर पर इनके वाहन का एक्सल टूट गया और वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गई।
जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए। बाद में 24 मार्च को विकास की इलाज के दौरन मौत हो गई। परिजनों को जानकारी न होने पर पोस्टमार्टम नहीं कराया, लेकिन 28 मार्च को इसकी सूचना पुलिस को दी थी। 16 जून को संजय ने बीमा कंपनी में क्लेम करते हुए सारे कागजात जमा कर दिए, लेकिन बीमा कंपनी ने क्लेम देने से इनकार कर दिया।
जिसके बाद पीड़ित ने उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई। इस पर सुनवाई करते हुए जिला उपभोक्ता आयोग के चेयरमैन न्यायाधीश संजय कुमार डे, न्यायाधीश दीप्ति श्रीवास्तव व न्यायाधीश विजय बहादुर सिंह की पीठ ने बीमा कंपनी पर उपभोक्ता की सेवा में कमी के लिए 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।
वहीं बीमा क्लेम की राशि 15 लाख रुपये वाद दाखिल करने की तिथि से निर्णय की तिथि तक छह फीसदी वार्षिक ब्याज की दर से देने का आदेश दिया। चेताया कि दो महीने में भुगतान न करने पर पूरी धनराशि नौ फीसदी ब्याज की दर से चुकानी होगी। कोर्ट ने पीड़ित को पांच हजार रुपये मुकदमा खर्च भी देने का आदेश दिया।