{"_id":"68c5cadc05ecbcf19d0953ee","slug":"crime-news-in-district-badaun-news-c-123-1-bdn1010-146934-2025-09-14","type":"story","status":"publish","title_hn":"Budaun News: बाढ़ पीड़ितों की मुश्किलें नहीं हुईं कम, कटान का खौफ बरकरार","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Budaun News: बाढ़ पीड़ितों की मुश्किलें नहीं हुईं कम, कटान का खौफ बरकरार
संवाद न्यूज एजेंसी, बदायूं
Updated Sun, 14 Sep 2025 01:19 AM IST
विज्ञापन

विज्ञापन
बदायूं। बाढ़ का प्रकोप बीते चार अगस्त से शुरू हुआ था। सर्वाधिक पानी 10 अगस्त को तीन लाख क्यूसेक से भी अधिक था। उसके बाद बाढ़ के कारण गंगा ने भारी नुकसान पहुंचाया। जिले के 26 गांवों पर सर्वाधिक संकट था और 40 से भी अधिक गांव इससे प्रभावित हुए थे। बाढ़ पीड़ित अभी भी मुश्किलों में हैं। कटान का खौफ बरकरार है। गांवों में गंदगी के कारण बीमारियों ने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। बुखार ने दस्तक दे दी है।
लगातार 25 दिन गंगा खतरे के निशान से ऊपर रही। केवल एक दिन 29 अगस्त को गंगा खतरे के निशान से एक सेंटीमीटर नीचे आई और उसके बाद खतरे के निशान से ऊपर ही बनी रही। अब आठ सितंबर से खतरे के निशान से नीचे आई है और गिरावट तभी से जारी है। शनिवार को गंगा का जलस्तर मीटर गेज पर 161.96 रहा जबकि 162.40 मीटर पर खतरे का निशान है। राहत की बात यह है कि गंगा में जलस्तर लगातार गिर रहा है।
10 अगस्त को सर्वाधिक तीन लाख क्यूसेक से भी ज्यादा पानी होने के कारण गंगा उफान पर थी। पूरा अगस्त और सितंबर का पहला सप्ताह बाढ़ प्रभावित इलाकों में खलबली मचाता रहा। कटान के कारण मकान गिरने का सिलसिला जारी हो गया। सैकड़ों बीघा खेतिहर जमीन गंगा में समा गई। रामगंगा में भी पानी लगातार कम हो रहा है। कटान से ग्रामीण दहशत में हैं।
25 मकान कटान की भेंट चढ़े
उसहैत। अहमद नगर बचौरा में तो 25 मकान कटान की भेंट चढ़ चुके हैं। साथ ही अटैना पुल के नीचे कटान चल रहा है। बृहस्पतिवार से जटा गांव के पास भी भूखंड का बड़ा भाग गंगा में समा चुका है। लोगों के घर कट जाने से वे सड़कों पर रहने के लिए मजबूर हैं। सड़क किनारे टैंट लगा कर जीवन-यापन कर रहे हैं। गांवों में बाढ़ ढेर सारी गंदगी छोड़ गई है। कीचड़ और गंदगी से मच्छर बढ़ गए हैं और दुर्गंध है। स्वास्थ्य विभाग लोगों को दवा दे रहा है। जांचें कर रहा है। इन दिनों सर्दी जुकाम और बुखार आदि बीमारियों से लोग ग्रसित हो रहे हैं। ग्राम पंचायतों ने अभी तक मच्छरों से बचाव के कोई उपाय नहीं किए हैं। संक्रामक रोग फैलने का खतरा है।
कटान करते-करते रामगंगा पहुंची सोरहा गांव के पास
दातागंज। दातागंज क्षेत्र का आखिरी गांव सेरहा रामगंगा के कटान का शिकार हाेने को है। केवल 18 मीटर की दूरी रह गई है। रामगंगा कटान करते हुए गांव के बेहद करीब पहुंच गई है। शनिवार को बाढ़ खंड की टीम के साथ एसडीएम धर्मेंद्र कुमार सिंह और ब्लॉक प्रमुख यतेंद्र विक्रम सिंह मौका मुआयना के लिए यहां पहुंचे। उन्होंने स्थिति को गंभीर बताया। सेहरा बछलिया के प्रधान अवनीश सिंह ओर सेहरा के पूर्व प्रधान गुड्डू सिंह ने बताया कि 300 बीघा गांव की मय फसलों के जमीन नदी में समा गई। बताया कि 1984 में आई बाढ़ में उनका आधा गांव रामगंगा निगल गई है। कटान के बुरे हालात देख गांव वाले सहमे हुए हैं। बाढ़ खंड के एई रवेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि कटान की समस्या अब दूर होगी।
सिमरिया तेंदू गांव में बुखार का प्रकोप
दातागंज। सिमरिया तेंदू में कटान के बाद बुखार का प्रकोप है। गांव के कई महिलाएं, पुरुष, बुजुर्ग और बच्चे बुखार से पीड़ित हैं। गांव वालों के अनुसार ऊषा, सुखरानी, अमन, पुष्पा, गुरप्रीत, सचिन, राया छोटे, रामप्रसाद, महीपाल आदि दो दर्जन से अधिक गांव के लोग बुखार से पीड़ित हैं। गांव में झोला छाप इलाज करने पहुंच रहे हैं। चिकित्सा विभाग ने इस गांव के लोगाें की सुध नहीं ली है। संवाद

Trending Videos
लगातार 25 दिन गंगा खतरे के निशान से ऊपर रही। केवल एक दिन 29 अगस्त को गंगा खतरे के निशान से एक सेंटीमीटर नीचे आई और उसके बाद खतरे के निशान से ऊपर ही बनी रही। अब आठ सितंबर से खतरे के निशान से नीचे आई है और गिरावट तभी से जारी है। शनिवार को गंगा का जलस्तर मीटर गेज पर 161.96 रहा जबकि 162.40 मीटर पर खतरे का निशान है। राहत की बात यह है कि गंगा में जलस्तर लगातार गिर रहा है।
विज्ञापन
विज्ञापन
10 अगस्त को सर्वाधिक तीन लाख क्यूसेक से भी ज्यादा पानी होने के कारण गंगा उफान पर थी। पूरा अगस्त और सितंबर का पहला सप्ताह बाढ़ प्रभावित इलाकों में खलबली मचाता रहा। कटान के कारण मकान गिरने का सिलसिला जारी हो गया। सैकड़ों बीघा खेतिहर जमीन गंगा में समा गई। रामगंगा में भी पानी लगातार कम हो रहा है। कटान से ग्रामीण दहशत में हैं।
25 मकान कटान की भेंट चढ़े
उसहैत। अहमद नगर बचौरा में तो 25 मकान कटान की भेंट चढ़ चुके हैं। साथ ही अटैना पुल के नीचे कटान चल रहा है। बृहस्पतिवार से जटा गांव के पास भी भूखंड का बड़ा भाग गंगा में समा चुका है। लोगों के घर कट जाने से वे सड़कों पर रहने के लिए मजबूर हैं। सड़क किनारे टैंट लगा कर जीवन-यापन कर रहे हैं। गांवों में बाढ़ ढेर सारी गंदगी छोड़ गई है। कीचड़ और गंदगी से मच्छर बढ़ गए हैं और दुर्गंध है। स्वास्थ्य विभाग लोगों को दवा दे रहा है। जांचें कर रहा है। इन दिनों सर्दी जुकाम और बुखार आदि बीमारियों से लोग ग्रसित हो रहे हैं। ग्राम पंचायतों ने अभी तक मच्छरों से बचाव के कोई उपाय नहीं किए हैं। संक्रामक रोग फैलने का खतरा है।
कटान करते-करते रामगंगा पहुंची सोरहा गांव के पास
दातागंज। दातागंज क्षेत्र का आखिरी गांव सेरहा रामगंगा के कटान का शिकार हाेने को है। केवल 18 मीटर की दूरी रह गई है। रामगंगा कटान करते हुए गांव के बेहद करीब पहुंच गई है। शनिवार को बाढ़ खंड की टीम के साथ एसडीएम धर्मेंद्र कुमार सिंह और ब्लॉक प्रमुख यतेंद्र विक्रम सिंह मौका मुआयना के लिए यहां पहुंचे। उन्होंने स्थिति को गंभीर बताया। सेहरा बछलिया के प्रधान अवनीश सिंह ओर सेहरा के पूर्व प्रधान गुड्डू सिंह ने बताया कि 300 बीघा गांव की मय फसलों के जमीन नदी में समा गई। बताया कि 1984 में आई बाढ़ में उनका आधा गांव रामगंगा निगल गई है। कटान के बुरे हालात देख गांव वाले सहमे हुए हैं। बाढ़ खंड के एई रवेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि कटान की समस्या अब दूर होगी।
सिमरिया तेंदू गांव में बुखार का प्रकोप
दातागंज। सिमरिया तेंदू में कटान के बाद बुखार का प्रकोप है। गांव के कई महिलाएं, पुरुष, बुजुर्ग और बच्चे बुखार से पीड़ित हैं। गांव वालों के अनुसार ऊषा, सुखरानी, अमन, पुष्पा, गुरप्रीत, सचिन, राया छोटे, रामप्रसाद, महीपाल आदि दो दर्जन से अधिक गांव के लोग बुखार से पीड़ित हैं। गांव में झोला छाप इलाज करने पहुंच रहे हैं। चिकित्सा विभाग ने इस गांव के लोगाें की सुध नहीं ली है। संवाद