इकलौते बेटे ने मां-बाप को मार डाला: कत्ल करके काशी गया... गंगा स्नान कर घूमा अम्बेश; हुए चौंकाने वाले खुलासे
पुलिस को जब इस दोहरे हत्याकांड की भनक लगी, तो उन्होंने तुरंत जांच शुरू की। प्रारंभिक पूछताछ में अम्बेश कुमार के व्यवहार में संदिग्धता पाई गई। कड़ाई से पूछताछ करने पर, उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और आगे की कार्रवाई जारी है।
विस्तार
माता-पिता की हत्या के बाद आरोपी अम्बेश कुमार काशी गया और गंगा स्नान करने के बाद घाटों पर घूमते देखा गया। पुलिस ने उसे पकड़ा तो दोहरे हत्याकांड का खुलासा हुआ।
जफराबाद थाना क्षेत्र के अहमदपुर गांव निवासी अम्बेश कुमार ने सिलबट्टे से अपनी मां बबिता देवी और पिता श्याम बहादुर की हत्या की। पुलिस की पूछताछ में यह बात सामने आई अम्बेश कुमार ने अपने माता-पिता की हत्या के बाद घर पर किसी के न होने का लाभ उठाते हुए शवों को बोरे में भरा, फिर उसे ठिकाने लगाने लगाने के लिए बोरे को कार में रखा।
बेलाव घाट से शवों को बोरे सहित गोमती नदी में फेंक दिया। किसी को शक न हो इसके लिए घर भी आ गया। इसके बाद खुद को बचाने के लिए अगले दिन नौ दिसंबर को माता पिता को खोजने का नाटक करने लगा। उसने माता-पिता के लापता होने की खबर अपने परिचित, रिश्तेदारों को भी दी। खोजबीन में जुटा अम्बेश कुमार 12 दिसंबर को खुद लापता हो गया।
घर न आने पर वाराणसी जनपद के सिंधौरा थाना क्षेत्र कटौना गांव निवासी बहन वंदना परेशान हो गई। वह अगले दिन अनहोनी की आशंका जाहिर करते हुए जफराबाद थाने पर पहुंची। जहां उसने माता-पिता के अलावा इकलौते भाई के भी लापता होने की गुमशुदगी दर्ज कराई।
पुलिस ने पूरे घटनाक्रम को गंभीरता से लेते हुए तीन टीम गठित कीं, जिसके बाद जांच शुरू हुई। इधर, घूमते-घूमते आरोपी अम्बेश कुमार वाराणसी चला गया। जहां उसने गंगा स्नान भी किया और घाट पर घूमते भी देखा गया। इसके बाद वह घर के नजदीक आने लगा तो खोजबीन में जुटी पुलिस ने उसे बरामद किया। पुलिस के सवालों में अम्बेश कुमार उलझ गया और माता-पिता की हत्या की पूरी कहानी बता दिया।
अपनी ससुराल में रहते थे श्याम बहादुर
श्याम बहादुर रेलवे में लोको पायलट थे। वह चार महीने पहले ही सेवानिवृत्त हुए थे। उनकी तीन बेटियां हैं। वैसे तो वह मूल रूप से थानागद्दी के खरसेनपुर के रहने वाले थे लेकिन ससुराल में नवासा पाए थे। रामनारायण के तीन दामाद हैं। इनमें श्याम बहादुर भी थे, जिन्हें रामनारायण ने नवासा दे दिया। यहां कई वर्षों से श्याम बहादुर परिवार सहित रहते थे।
शवों की तलाश में जुटे 15 गोताखोर
वंदना ने बताया कि माता-पिता आठ दिसंबर से लापता हैं। भाई अम्बेश कुमार का भी पता नहीं चल रहा है। पुलिस ने तीन टीमों का गठन किया। सोमवार की शाम अम्बेश कुमार घर के पास मिल गया।
पूछताछ में हत्या की बात कबूल की
पुलिस ने पूछताछ की तो उसने माता-पिता की हत्या की बात स्वीकार की। अम्बेश कुमार ने बताया कि 8 दिसंबर की रात करीब आठ बजे पैसों के लिए माता-पिता से झगड़ा हुआ था। वह आपा खो बैठा और माता-पिता पर सिलबट्टे से प्रहार कर दिया। शवों को ठिकाने लगाने के लिए उसने शवों को बोरे में भर दिया।
इसके बाद कार से लाकर शवों को गोमती नदी में फेंक दिया। 15 गोताखोर शवों की तलाश में जुटे हैं। एएसपी सिटी ने बताया कि खुलासे के बाद पुलिस ने हत्या की धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर ली है। आरोपी अम्बेश कुमार से पूछताछ की जा रही है। शवों की बरामदगी का प्रयास किया जा रहा है।
रुपये लेकर कोलकाता शिफ्ट होना चाहता था अम्बेश
जफराबाद थाना क्षेत्र के अहमदपुर गांव निवासी अम्बेश कुमार ने पांच साल पहले कोलकाता निवासी एक महिला से कोविड काल के दौरान प्रेम विवाह किया था जो वहीं पर पार्लर चलाती थी। इकलौते बेटे के इस तरह प्रेम विवाह करने से माता-पिता दुःखी रहते थे।
पूछताछ में यह बात सामने आई कि वह बहू को पसंद नहीं करते थे। तीन बेटियों के प्रति उनका झुकाव अधिक रहता था। इसी वजह से अम्बेश कुमार का उनसे कई बार विवाद हो चुका है। गांव के लोग दबी जुबान से यह भी कह रहे हैं कि अम्बेश कुमार अपनी पत्नी के साथ ही पिता के रुपये लेकर शिफ्ट होना चाहता था।
पहले मां फिर पिता पर किया वार
पुलिस पूछताछ में आरोपी अम्बेश कुमार ने बताया कि उसने पहले मां के सिर पर सिलबट्टा से वार किया था। इसके बाद पिता के सिर पर सिलबट्टा से वार किया था। दोनों की मौत होने के बाद शवों को वह कार में रखकर आठ किमी दूर नदी में फेंक फेंकने गया था।
अम्बेश कुमार चार-भाई-बहनों में दूसरे नंबर था। सभी तीन बहनों की शादी हो चुकी है। ननिहाल में अम्बेश कुमार अच्छी जिंदगी जी रहा था। वह पिता के पैसे से एक कार भी खरीदा था। कार से चलने का शौकीन था। पुलिस के मुताबिक इसी कार में रखकर उसने अपने माता-पिता के शव को ठिकाने लगाया। सोमवार की रात अम्बेश कुमार घर पर ताला लटका हुआ है। गांव के लोग उसकी करतूत सुनकर नफरत करने लगे हैं।
