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बिना सत्यापन जीएसटी नंबर जारी: सहायक आयुक्त राज्यकर के खिलाफ केस दर्ज, फर्म ने किया 19 करोड़ रुपये का गोलमाल

संवाद न्यूज एजेंसी, झांसी Published by: दीपक महाजन Updated Mon, 06 Oct 2025 09:12 AM IST
सार

मामले में गंभीर अनियमितताओं के लिए दोषी मानते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर संयुक्त आयुक्त राज्यकर अरविंद कुमार को झांसी कार्यालय से संबद्ध किया गया था। उन्हें प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने के कारण अनुशासनिक विभागीय कार्रवाई की गई है।

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GST number issued without verification: Case filed against Assistant Commissioner of State Tax
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : istock
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विस्तार
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संतकबीरनगर जिले में पूर्व में तैनात सहायक आयुक्त राज्यकर के खिलाफ राजस्व क्षति के मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया है। आरोप है कि बिना सत्यापन के ही जीएसटी नंबर जारी कर दिया गया है। जिससे 19 करोड़ बोगस आईटीसी पास ऑन करते हुए संबंधित फर्म ने राजस्व को क्षति पहुंचाया है। इनके लाॅगिन से व्यापारी का पंजीयन हुआ था। मई माह में रिटर्न जांच में मामला खुला था। डिप्टी कमिश्नर राज्य कर के आदेश पर उपायुक्त राज्य कर खंड एक की तहरीर पर पुलिस ने केस दर्ज किया है।


उपायुक्त राज्य कर खंड एक राजेश कुमार पांडेय ने कोतवाली पुलिस को दी शिकायत पत्र में बताया कि तत्कालीन सहायक आयुक्त अरविंद कुमार पंजीयन प्राधिकारी थे। उनकी लाॅगिन से रंजीत सिंह यादव व्यापार स्थल फायर स्टेशन खलीलाबाद इंडस्टि्रयल एरिया के नाम से जीएसटी पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन किया गया था। उन्होंने 8 अप्रैल 2025 को अनियमित रूप से पंजीकरण जारी करने के बाद समय से संबंधित फर्म का सत्यापन नहीं किया।
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इसकी वजह से बोगस फर्म ने लगभग 19 करोड़ रुपये की बोगस आईटीसी दिल्ली राज्य के व्यापारी श्रीराधे इंटरप्राइजेज व हरियाणा राज्य की एल्फा इंटरप्राइजेज को पास ऑन करते हुए राजस्व क्षति पहुंचाया। मामले में गंभीर अनियमितताओं के लिए दोषी मानते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर संयुक्त आयुक्त राज्यकर अरविंद कुमार को झांसी कार्यालय से संबद्ध किया गया था। उन्हें प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने के कारण अनुशासनिक विभागीय कार्रवाई की गई है। शासन ने इस मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए आदेश दिया है। कोतवाल पंकज कुमार पांडेय ने बताया कि मामले में आरोपी तत्कालीन सहायक आयुक्त अरविंद कुमार के खिलाफ केस दर्जकर आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।

यह है पूरा मामला

जीएसटी चोरी की जांच में पता चला कि प्रतापगढ़ के रहने वाले रंजीत सिंह यादव ने खलीलाबाद के फायर स्टेशन खलीलाबाद सिटी के पते पर यादव इंटरप्राइजेज के नाम से फर्म का पंजीकरण कराया। जांच में वहां पर इस नाम से कोई फर्म नहीं मिला। फर्म ने बिना किसी बिक्री के फर्जी तरीके से मई माह में 18 करोड़ 96 लाख 53679 रुपये की फर्जी आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) यानी टैक्स भुगतान दर्शाया। गुरुग्राम की फर्म एल्फा इंटर प्राइजेज को 253 बिल के जरिये 39 करोड़ 23 लाख और नई दिल्ली के फर्म श्रीराधे इंटर प्राइजेज को 248 इनवाइस से 37 करोड़ 86 लाख रुपये का माल सप्लाई किया। 30 जून को मामले की दोबारा जांच की गई, जांच में यह लेनदेन फर्जी निकला। उक्त मामले में पहले ही 03 जुलाई को कोतवाली खलीलाबाद में संबंधित फर्म के प्रोपराइटर के खिलाफ केस दर्ज हुआ था।
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