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झांसी: भ्रष्टाचार में फंसे रिटायर्ड प्रशासनिक अफसर के मामले की विवेचना शुरू, 55 लाख की अघोषित आय की छानबीन
अमर उजाला नेटवर्क, झांसी
Published by: दीपक महाजन
Updated Fri, 07 Nov 2025 08:34 AM IST
सार
भ्रष्टाचार के मामले में फंसे सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी दीपक कुमार मिश्रा का विभाग में खासा रुतबा रहा है। यही कारण रहा कि वह पिछले 39 वर्षों से आयुक्त कार्यालय के विभिन्न 15 पटलों पर तैनात रहा और वहीं से सेवानिवृत्त हो गया।
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भ्रष्टाचार
- फोटो : AI
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विस्तार
भ्रष्टाचार के मामले में फंसे सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी दीपक कुमार मिश्रा का विभाग में खासा रुतबा रहा है। यही कारण रहा कि वह पिछले 39 वर्षों से आयुक्त कार्यालय के विभिन्न 15 पटलों पर तैनात रहा और वहीं से सेवानिवृत्त हो गया। विभागीय कर्मचारियों का कहना है कि करीब तीन साल पहले दीपक के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत पर शासन से जांच शुरू होने के बाद भी वह महत्वपूर्ण पटलों पर रहा। तीन साल तक चली जांच के बाद उनके पास 55 लाख रुपये की अघोषित आय का खुलासा हुआ था। एसपी विजिलेंस राजेन्द्र सिंह ने बताया कि मामला दर्ज कर लिया गया है। विवेचना चल रही है।
मंडलायुक्त कार्यालय में पूर्व प्रशासनिक अफसर दीपक कुमार मिश्रा की तैनाती 10 दिसंबर 1985 में हुई थी। वह यहां पर भूलेख, नाजिर सहित करीब 15 पटलों पर तैनात रहे। इसी दौरान आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत की गई। बावजूद इसके दीपक कुमार मिश्रा का रुतबा कम नहीं हुआ। शासन ने विजिलेंस को गोपनीय जांच के आदेश दिए। तीन साल चली जांच के दौरान दीपक 31 दिसंबर 2024 को सेवानिवृत्त हो गए। आयुक्त कार्यालय में तैनात कर्मचारियों का कहना है कि दीपक मिश्रा का जब कभी पटल परिवर्तन हुआ तो उन्हें संवेदनशील पोस्ट पर ही नियुक्त किया गया। विजिलेंस जांच के दौरान भी वह खुलकर नौकरी करते रहे।
इधर, विजिलेंस थाने में मामला दर्ज होने के बाद आयुक्त कार्यालय में तैनात कर्मचारियों में हड़कंप मचा है। जांच में खुलासा हुआ कि सबसे अधिक गोलमाल दीपक ने बीमा पॉलिसी के नाम पर किया है। फिलहाल विजिलेंस सभी तथ्यों के आधार पर गहनता से छानबीन कर रही है।
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मंडलायुक्त कार्यालय में पूर्व प्रशासनिक अफसर दीपक कुमार मिश्रा की तैनाती 10 दिसंबर 1985 में हुई थी। वह यहां पर भूलेख, नाजिर सहित करीब 15 पटलों पर तैनात रहे। इसी दौरान आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत की गई। बावजूद इसके दीपक कुमार मिश्रा का रुतबा कम नहीं हुआ। शासन ने विजिलेंस को गोपनीय जांच के आदेश दिए। तीन साल चली जांच के दौरान दीपक 31 दिसंबर 2024 को सेवानिवृत्त हो गए। आयुक्त कार्यालय में तैनात कर्मचारियों का कहना है कि दीपक मिश्रा का जब कभी पटल परिवर्तन हुआ तो उन्हें संवेदनशील पोस्ट पर ही नियुक्त किया गया। विजिलेंस जांच के दौरान भी वह खुलकर नौकरी करते रहे।
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इधर, विजिलेंस थाने में मामला दर्ज होने के बाद आयुक्त कार्यालय में तैनात कर्मचारियों में हड़कंप मचा है। जांच में खुलासा हुआ कि सबसे अधिक गोलमाल दीपक ने बीमा पॉलिसी के नाम पर किया है। फिलहाल विजिलेंस सभी तथ्यों के आधार पर गहनता से छानबीन कर रही है।