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Kannauj: ऑनलाइन गेमिंग से ठगी करने वाले 10 साइबर ठग गिरफ्तार, रोज पांच से दस करोड़ रुपये की करते थे ठगी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कन्नौज
Published by: शिखा पांडेय
Updated Sat, 23 Aug 2025 10:19 PM IST
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सार
साइबर ठगों के पास से दो लग्जरी कारें, 13 मोबाइल, 18 डेबिट व क्रेडिट कार्ड समेत 1.76 लाख रुपये बरामद हुआ।

पुलिस की गिरफ्त में साइबर ठग व जानकारी देते एसपी विनोद कुमार
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
ऑनलाइन गेमिंग के माध्यम से लोगों से ठगी करने वाले गिरोह का पुलिस ने शनिवार को भंडाफोड़ किया। मामले में 10 ठगों को गिरफ्तार कर उनके पास से दो लग्जरी कारें, 13 मोबाइल फोन, 18 डेबिट व क्रेडिट कार्ड समेत 1.76 लाख रुपये भी बरामद किए हैं। बताया गया कि गिरोह का सरगना फिलीपींस में बैठा है और भारत में उसके गुर्गे प्रतिदिन पांच से दस करोड़ रुपये की ठगी को अंजाम देते थे।
एसपी विनोद कुमार ने बताया कि सदर कोतवाल जितेंद्र प्रताप सिंह की टीम ने अलीगढ़-कानपुर हाईवे पर तिखवा कट के पास दो कारों में सवार 10 ठगों को गिरफ्तार किया। इनमें नई दिल्ली के विकासपुरी निवासी मोहित चोपड़ा, जिला संत कबीर नगर निवासी अजीत कुमार, लखनऊ के थाना मड़ियांव निवासी आशुतोष कुमार, आजमगढ़ के कस्बा फूलपुर निवासी अमित गुप्ता, नई दिल्ली के महावीर विहार निवासी संदीप गुप्ता, लखनऊ के राजाजीपुरम निवासी यश श्रीवास्तव, अलीगंज निवासी आयुष पाल, मड़ियांव थाना निवासी मोहम्मद साहिल, जिला प्रतापगढ़ के थाना जेठवारा निवासी अंकित सिंह शामिल हैं। इनमें आशुताेष कुमार व अंकित सिंह पर लखनऊ में मुकदमे दर्ज हैं। आशुतोष गिरोह का सरगना है। एसपी ने बताया कि सभी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से जेल भेज दिया गया।
चार स्तर पर करते हैं ठगी, कोड वर्ड से फंसाते थे शिकार
ठगों ने पूछताछ में बताया कि उनका गिराेह चार स्तरों पर काम करता है। पहले निचले स्तर पर काम करने वालों को मीडिया का नाम दिया गया है तो जनता के बीच जाकर ऐसे लोगों को चिह्नित करते हैं, जिनका कॉर्पोरेट अकाउंट होता है। उनका संपर्क द्वितीय स्तर पर होल्डर से कराया जाता है जो खाताधारक को विश्वास में लेते हैं और लालच देते हैं कि यदि उनका अकाउंट जुड़ेगा तो ऑनलाइन गेमिंग और ट्रेडिंग के 20-25 प्रतिशत रुपये खाताधारक को मिलेंगे। तीसरे स्तर पर किट होल्डर होते हैं, किट के अंतर्गत पासबुक, एटीएम, पैन कार्ड, आधार कार्ड, सिम, चेक बुक व ऑनलाइन बैंकिंग डिटेल होती है। चौथा पैनल होता है, जो एक एपीके फाइल उपलब्ध कराता है। जैसे ही खाताधारक का सिम फोन में लगाकर एपीके फाइल रन की जाती है तो वह बैंक अकाउंट पूरी तरह से पैनल के कंट्रोल में हो जाता है और पैनल ही उस अकाउंट नंबर को फर्जी ऑनलाइन गेमिंग एप से कनेक्ट कर देता है। लोग जब ऑनलाइन गेमिंग में पैसा लगाते हैं तो पैसा इन्ही खातों में आने लगता है। इस तरह यह गिरोह प्रतिदिन पांच से दस करोड़ रुपये की ठगी को अंजाम देता है।
फाइव स्टार होटलों में रुक कर करते थे ऑनलाइन ठगी
सदर कोतवाल जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि पकड़े गए ठग लखनऊ समेत बड़े शहरों में फाइव स्टार होटलों में रुकते हैं। वहीं से उद्योगपतियों को फांस कर ऑनलाइन ठगी को अंजाम देते थे। इस गिरोह का सरगना आशुतोष फिलीपींस में बैठा है, जो पैनल के संपर्क में रहता है और रोजाना करोड़ों रुपये कमाता है। उसका भारत ही नहीं कई अन्य देशों में भी नेटवर्क है।

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एसपी विनोद कुमार ने बताया कि सदर कोतवाल जितेंद्र प्रताप सिंह की टीम ने अलीगढ़-कानपुर हाईवे पर तिखवा कट के पास दो कारों में सवार 10 ठगों को गिरफ्तार किया। इनमें नई दिल्ली के विकासपुरी निवासी मोहित चोपड़ा, जिला संत कबीर नगर निवासी अजीत कुमार, लखनऊ के थाना मड़ियांव निवासी आशुतोष कुमार, आजमगढ़ के कस्बा फूलपुर निवासी अमित गुप्ता, नई दिल्ली के महावीर विहार निवासी संदीप गुप्ता, लखनऊ के राजाजीपुरम निवासी यश श्रीवास्तव, अलीगंज निवासी आयुष पाल, मड़ियांव थाना निवासी मोहम्मद साहिल, जिला प्रतापगढ़ के थाना जेठवारा निवासी अंकित सिंह शामिल हैं। इनमें आशुताेष कुमार व अंकित सिंह पर लखनऊ में मुकदमे दर्ज हैं। आशुतोष गिरोह का सरगना है। एसपी ने बताया कि सभी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से जेल भेज दिया गया।
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चार स्तर पर करते हैं ठगी, कोड वर्ड से फंसाते थे शिकार
ठगों ने पूछताछ में बताया कि उनका गिराेह चार स्तरों पर काम करता है। पहले निचले स्तर पर काम करने वालों को मीडिया का नाम दिया गया है तो जनता के बीच जाकर ऐसे लोगों को चिह्नित करते हैं, जिनका कॉर्पोरेट अकाउंट होता है। उनका संपर्क द्वितीय स्तर पर होल्डर से कराया जाता है जो खाताधारक को विश्वास में लेते हैं और लालच देते हैं कि यदि उनका अकाउंट जुड़ेगा तो ऑनलाइन गेमिंग और ट्रेडिंग के 20-25 प्रतिशत रुपये खाताधारक को मिलेंगे। तीसरे स्तर पर किट होल्डर होते हैं, किट के अंतर्गत पासबुक, एटीएम, पैन कार्ड, आधार कार्ड, सिम, चेक बुक व ऑनलाइन बैंकिंग डिटेल होती है। चौथा पैनल होता है, जो एक एपीके फाइल उपलब्ध कराता है। जैसे ही खाताधारक का सिम फोन में लगाकर एपीके फाइल रन की जाती है तो वह बैंक अकाउंट पूरी तरह से पैनल के कंट्रोल में हो जाता है और पैनल ही उस अकाउंट नंबर को फर्जी ऑनलाइन गेमिंग एप से कनेक्ट कर देता है। लोग जब ऑनलाइन गेमिंग में पैसा लगाते हैं तो पैसा इन्ही खातों में आने लगता है। इस तरह यह गिरोह प्रतिदिन पांच से दस करोड़ रुपये की ठगी को अंजाम देता है।
फाइव स्टार होटलों में रुक कर करते थे ऑनलाइन ठगी
सदर कोतवाल जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि पकड़े गए ठग लखनऊ समेत बड़े शहरों में फाइव स्टार होटलों में रुकते हैं। वहीं से उद्योगपतियों को फांस कर ऑनलाइन ठगी को अंजाम देते थे। इस गिरोह का सरगना आशुतोष फिलीपींस में बैठा है, जो पैनल के संपर्क में रहता है और रोजाना करोड़ों रुपये कमाता है। उसका भारत ही नहीं कई अन्य देशों में भी नेटवर्क है।