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सेहत की मिठास: ज्वार के डंठल के जूस से बनेगी चीनी, शहद से भी कम है कैलोरी, छह स्टार्टअप हो सकते हैं शुरू

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर Published by: हिमांशु अवस्थी Updated Fri, 14 Apr 2023 11:53 AM IST
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सार

Kanpur News: नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट ने ज्वार की पांच प्रजातियों में किए गए शोध में दावा किया है। ज्वार के डंठल से छह स्टार्ट अप शुरू हो सकते है, जिसकी तकनीक इंस्टीट्यूट ने तैयार की है। बताया जा रहा है कि ज्वार के डंठल से फाइबर, बिजली, इथेनॉल, बॉयो चार, वैनिलीन और लो कैलोरी शुगर बनेगी।

Sugar will be made from the juice of sorghum stalk, calories are less than honey, six startups can be started
शोधार्थियों की टीम के साथ एनएसआई के निदेशक प्रोफेसर नरेंद्र मोहन - फोटो : अमर उजाला
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ज्वार का डंठल जिसे मीठी चरी कहते हैं। उससे छह तरह के स्टार्ट अप शुरू किए जा सकते हैं। नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट (एनएसआई) ने शोध करके तकनीक विकसित की है। दावा है कि मीठी चरी से इथेनॉल, वैनिला स्वाद वाला एजेंट वैनिलीन, शहद से कम कैलोरी वाली चीनी बनेगी।

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साथ ही, हरित ऊर्जा, डाइट फाइबर और चीनी का पीलापन दूर करके अधिक सफेद बनाने वाला बॉयो-चार बनाया जा सकता है। एनएसआई के निदेशक प्रोफेसर नरेंद्र मोहन ने बताया कि इन सभी शोध तकनीक को पेटेंट कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
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गुरुवार को एनएसआई के शर्करा विभाग के सभागार में निदेशक ने शोधार्थियों की टीम के साथ पत्रकारों को इस संबंध में जानकारी दी।  उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स रिसर्च के सहयोग से ज्वार की पांच प्रजातियों पर काम किया।

स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं किसान 
इससे ज्वार पैदा करने वाले किसान और कोई भी नए स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं। अभी तक मीठी चरी का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है। उन्होंने बताया कि इंस्टीट्यूट के फार्मों में जिन ज्वार की जिन पांच प्रजातियों पर काम गया, वे प्रदेश की जलवायु के अनुरूप हैं।

ऐसे करेंगे मीठी चरी का इस्तेमाल
जूस से बनाएंगे इथेनॉल, लो कैलोरी शुगर...
  • डंठल को पीसकर जूस निकालेंगे। इस जूस से इथेनॉल बनाएंगे। एक टन जूस में 50 लीटर इथेनॉल बनेगा।
  • जूस से लो कैलोरी शुगर बनाई जाएगी। इसमें अच्छा स्वाद और सोंधापन रहेगा। इससे जेम-जैली भी बना सकते हैं।

बगास से मिलेगा वैनिलीन
  • जूस निकालने के बाद डंठल का जो कचरा (बगास) बचेगा, उससे वैनिला का स्वाद पैदा करने वाला एजेंट वैनिलीन मिलेगा। यह एजेंट वैनिला बींस से बहुत सस्ता होगा, इसका प्रयोग बेकरी, कन्फेक्शनरी, पेय पदार्थ, दवा उद्योग में हो सकता है।
  • डाइट फाइबर मिलेगा, इसे पाचन तंत्र दुरुस्त रखने वाले खाद्य पदार्थों में मिलाया जा सकता है।

  • -बॉयो-चार (बॉयो चारकोल) मिलेगा। यह एक प्रकार का चारकोल है। चीनी का पीलापन हटाने में इसका इस्तेमाल हो सकता है। गंदे पीले पानी का भी इससे शोधन हो सकता है।
  • बगास का इस्तेमाल हरित ऊर्जा उत्पादन के ईंधन के रूप में भी किया जा सकता है।
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