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Kushinagar News: बिहार में बनाता था योजना, पूरी रात कुशीनगर के रास्ते करता था तस्करी

संवाद न्यूज एजेंसी, कुशीनगर। Published by: गोरखपुर ब्यूरो Updated Tue, 07 Nov 2023 01:05 AM IST
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सार

पुलिस के मुताबिक माजिद के कई करीबियों के नाम सामने आए हैं। उनकी डिटेल निकवाई जा रही है। पुलिस के मुताबिक अक्तूबर महीने के अंतिम रविवार को दो डीसीएम सीमा पर पंक्चर हो गई थी। इसमें मवेशी मिले थे। इस डीसीएम में माजिद खुद सवार था। पंक्चर होने के बाद वह बिहार भाग गया।

Used to make plans in Bihar, used to smuggle through Kushinagar all night
UP Police - फोटो : iStock
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पशु तस्करों का सरगना मोहम्मद हाजी माजिद व उसके गिरोह की कुंडली पुलिस खंगाल रही है। पुलिस की पड़ताल में सामने आया कि वह बिहार में बैठकर योजना बनाता था। वहीं से अपने नेटवर्क को सक्रिय रखता था। देर रात को खुद सीमा पर पहुंचकर पशुओं की तस्करी करता था।

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पुलिस के मुताबिक माजिद के कई करीबियों के नाम सामने आए हैं। उनकी डिटेल निकवाई जा रही है। पुलिस के मुताबिक अक्तूबर महीने के अंतिम रविवार को दो डीसीएम सीमा पर पंक्चर हो गई थी। इसमें मवेशी मिले थे। इस डीसीएम में माजिद खुद सवार था। पंक्चर होने के बाद वह बिहार भाग गया।
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शामली जिले के कांधला स्थित शेखजादगान निवासी मोहम्मद माजिद उर्फ हाजी मजीद और पुलिस की आंखमिचौली पिछले कई महीनों से चल रही थी। वह दिन में बिहार अपने साथियों के संग योजना बनाता था। इसके बाद कुशीनगर पहुंचकर तस्करी को अंजाम देता था। यह बात पूछताछ में उसने पुलिस के सामने कुबूल किया है।

कुबूल किया अक्तूबर के अंतिम रविवार को डीसीएम छोड़कर भागने वालों में माजिद और उसका साथी था। तुर्कपट्टी के थानाध्यक्ष अनिल कुमार सिंह ने बताया कि पिछले रविवार को पशु बरामदगी के साथ जिन अज्ञात तस्करों पर मुकदमा पंजीकृत हुआ था, वह हाजी माजिद और उसका साथी ही था। वाहन से हाजी का क्या कनेक्शन है और वह यहां तक कैसे पहुंचा, इसकी जांच की जा रही है। हरियाणा जाकर इसमें पता लगाया जाएगा।

 

राष्ट्रीय राजमार्ग से जाने में कतराता था हाजी

इन दिनों हाजी माजिद का सबसे सुरक्षित ठिकाना गोपालगंज बिहार था। वहीं, तस्करी का रूट तुर्कपट्टी और कसया का इलाका। हाजी माजिद अक्सर राष्ट्रीय राजमार्ग से तस्करी में परहेज करता था। यही वजह था कि वह कसया सेवरही मार्ग होते हुए कभी फाजिलनगर होते हुए बड़हरा, बाढू चौराहा, कटेया होते हुए बिहार तो कभी समउर, पंचदेवरी, महुअवा के रास्ते बिहार निकल जाता था। इस दरम्यान समउर और कटेया चेकपोस्ट के पहले वह वैकल्पिक सड़कों का प्रयोग कर बिहार निकल जाता था। वह अपने साथ दोनों प्रांतों में ऐसे साथी को रखता था, जो दोनों जगहों की पुलिस गतिविधियों, थानों, चेकपोस्ट, पुलिस पिकेट आदि से वाकिफ हो। इस दौरान वह अपने तस्करी के काले धंधे में लंबे समय से लगा था।

 

लग्जरी कार से करता था रेकी, रात में डीसीएम से तस्करी

तस्कर हाजी माजिद का दो रूप था। वह पूरे दिन लक्जरी कार से घूमकर तस्करी के रास्तों और पुलिस ठिकानों की रेकी करता था। साथ में गिरोह के सदस्य भी रहते थे। साथियों से नेटवर्क कायम रखने के लिए गोपालगंज से बिहार तक सफेद लक्जरी कार से आवाजाही करता था। इसका एक साथी मुठभेड़ में गिरफ्तार हुआ, लेकिन बिहार प्रांत और पड़ोसी जनपद गोपालगंज का साथी अभी पुलिस राडार से दूर है। जबकि जिस दिन हाजी मुठभेड़ में गिरफ्तार हुआ, उस दिन भी वह रात को अपने बिहार के उन्हीं साथियों से मिलकर आ रहा था।

 

हरियाणा से बिहार तक का कनेक्शन खंगाल रही पुलिस

जिस डीसीएम से हाजी माजिद पिछले रविवार को हरियाणा के डीसीएम से पशुओं की तस्करी कर रहा था। डीसीएम का मालिक हरियाणा के झज्जर का रहने वाला है। पुलिस डीसीएम के मालिक की भी कुंडली खंगाल रही है। वहीं हरियाणा से बिहार तक का पशु तस्करों का कनेक्शन भी तलाश रही है। आखिरी बार 2020 में उनकी गाड़ी शराब तस्करी में बिहार प्रांत के सिवान जिले में पकड़ी गई थी।
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