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होलिका दहन आज, कल खेली जाएगी होली
अमर उजाला ब्यूूराो ललितपुर
Updated Tue, 22 Mar 2016 12:59 AM IST
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हाोलिकाोत्सव
- फोटो : amar ujala
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ललितपुर। मस्ती का पर्व होली की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। होलिका दहन से लेकर भाई दूज तक यह त्योहार मनाया जाता है। होलिका दहन मंगलवार को होगा। इसी के साथ त्योहार का रंग शुरू हो जाएगा।
जिले में शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में होलिका दहन की तैयारियां की जा रही हैं। एक सप्ताह पूर्व से ही हुरियारे होली जलाने लिए चंदा इकट्ठा करने लगे। होलिका दहन के लिए लकड़ियां पहले किसी के खेत खलिहान से किसानों की अनुमति से खुशी-खुशी एकत्रित की जाती थीं, लेकिन अब बाजार से खरीदी जाने लगी हैं। होली में मुहल्ले व पड़ोसियों के साथ एक स्थान पर मुख्य चौराहे या किसी मंदिर के पास होलिका दहन का रिवाज सदियों से चला रहा है। होलिका दहन आज भी पुरानी रीति-रिवाज व निर्धारित मुहूर्त के हिसाब से होता है। होली का हुड़दंग मचाती हुरियारों की टोलियां दिन भर रंगों में सराबोर घूमती हैं, जबकि महिलाएं घरों में या फिर रिश्तेदारी तक ही सीमित रहती हैं।
होलिका दहन के बाद पहले दिन जनपद में आज भी कीचड़ की होली खेलने का रिवाज वर्षों पूर्व की परंपरा के अनुसार चला आ रहा है। होली मिलन समारोह के माध्यम से शहर में विभिन्न संगठनों द्वारा फाग सजाकर पुरानी परंपराओं को सहेजने की कोशिश की जाती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में पुरानी परंपरा की झलक देखने को आसानी से मिल जाती है।
रंगों व पिचकारियों से सज गए बाजार
ललितपुर। होली को लेकर रंगों व पिचकारियों के बाजार सज गए हैं। घंटाघर के दोनों ओर दुकानें सजी होने के कारण वाहन चालकों के लिए आवागमन में परेशानी हो रही है। यहां पिचकारियों व गुलाल से सजी दुकानों पर लोगों की खरीदारी शुरू हो गई है। हालांकि, मार्केट में सही रौनक होली के दिन ही देखने को मिलती है।
गांव में आज भी जलती एक जगह होली
ललितपुर। पुरानी परंपराओं के अनुसार आज भी बहुत से गांवों में बड़े-बुजुर्गों के सानिध्य में देर रात को मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन किया जाता है, जिसमें गांव के सभी लोग एक साथ एकत्रित होकर होलिका का पूर्ण रीति रिवाज के अनुसार दहन करते हैं। उनकी कामना रहती है कि सभी में आपसी प्रेम व सद्भाव बना रहे। होलिका दहन के साथ ही सभी एक-दूसरे को बधाई देते हुए रंग व गुलाल से खुशियां मनाते हैं। यहां पिचकारियां 20 से लेकर 50 रुपये तक मिल रही हैं। बच्चे पाइप या खिलौने वाली पिचकारियां अधिक पसंद कर रहे हैं।
होलिका की अग्नि का है विशेष महत्व
ललितपुर। होलिका दहन में राजा हिरण्यकश्यप की बहन जलकर भष्म हो गई थी। शास्त्रों के अनुसार अग्नि को शुद्ध माना गया है। पुरानी मान्यता के अनुसार होलिका दहन की अग्नि से ही चूल्हे की अग्नि प्रज्ज्वलित करने की परंपरा है। मान्यता है कि इससे पुरानी बाधाएं दूर होती हैं। पुराने समय में तो इसी अग्नि का साल भर राख में दबा कर जलता हुआ रखा जाता था और फिर अगले दिन उसी अग्नि से चूल्हा की अग्नि प्रज्जवलित की जाती थी, जबकि होलिकाग्नि में गेहूूं की पकी बालों को सेंके जाने की परंपरा आज भी चली आ रही है।
मुहूर्त को लेकर है दुविधा
ललितपुर। आज होलिका दहन है, लेकिन होली को लेकर अलग-अलग पंचाग में अलग-अलग राय के कारण दुविधा है। पंचांग में होली खेलने की तारीख 24 मार्च है और यही तारीख सरकारी कलेंडर और प्राइवेट कलेंडर में भी होली की छुट्टी है। ओमप्रकाश शास्त्री के अनुसार पंचांग के अनुसार 22 मार्च की रात 11 बजे से देर रात एक बजे तक होलिका दहन माना गया है, जबकि बहुत से कलेंडरों में बताया गया है कि 22 व 23 मार्च की रात ढाई बजे से पूर्णिमा तिथि लगेगी, इसके बाद ही होलिका दहन शुभ माना गया है।
चंडी मंदिर पर होलिका दहन की तैयारियां
ललितपुर। नई बस्ती स्थित नेशनल स्कूल के पीछे और चंडी मंदिर परिसर में होलिका दहन की तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। स्थानीय समितियों द्वारा होलिका दहन करने का निर्णय लिया गया है। चंडी मंदिर परिसर में बुंदेलखंड विकास मंच के तत्वावधान में होलिका दहन किया जाएगा।

जिले में शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में होलिका दहन की तैयारियां की जा रही हैं। एक सप्ताह पूर्व से ही हुरियारे होली जलाने लिए चंदा इकट्ठा करने लगे। होलिका दहन के लिए लकड़ियां पहले किसी के खेत खलिहान से किसानों की अनुमति से खुशी-खुशी एकत्रित की जाती थीं, लेकिन अब बाजार से खरीदी जाने लगी हैं। होली में मुहल्ले व पड़ोसियों के साथ एक स्थान पर मुख्य चौराहे या किसी मंदिर के पास होलिका दहन का रिवाज सदियों से चला रहा है। होलिका दहन आज भी पुरानी रीति-रिवाज व निर्धारित मुहूर्त के हिसाब से होता है। होली का हुड़दंग मचाती हुरियारों की टोलियां दिन भर रंगों में सराबोर घूमती हैं, जबकि महिलाएं घरों में या फिर रिश्तेदारी तक ही सीमित रहती हैं।
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होलिका दहन के बाद पहले दिन जनपद में आज भी कीचड़ की होली खेलने का रिवाज वर्षों पूर्व की परंपरा के अनुसार चला आ रहा है। होली मिलन समारोह के माध्यम से शहर में विभिन्न संगठनों द्वारा फाग सजाकर पुरानी परंपराओं को सहेजने की कोशिश की जाती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में पुरानी परंपरा की झलक देखने को आसानी से मिल जाती है।
रंगों व पिचकारियों से सज गए बाजार
ललितपुर। होली को लेकर रंगों व पिचकारियों के बाजार सज गए हैं। घंटाघर के दोनों ओर दुकानें सजी होने के कारण वाहन चालकों के लिए आवागमन में परेशानी हो रही है। यहां पिचकारियों व गुलाल से सजी दुकानों पर लोगों की खरीदारी शुरू हो गई है। हालांकि, मार्केट में सही रौनक होली के दिन ही देखने को मिलती है।
गांव में आज भी जलती एक जगह होली
ललितपुर। पुरानी परंपराओं के अनुसार आज भी बहुत से गांवों में बड़े-बुजुर्गों के सानिध्य में देर रात को मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन किया जाता है, जिसमें गांव के सभी लोग एक साथ एकत्रित होकर होलिका का पूर्ण रीति रिवाज के अनुसार दहन करते हैं। उनकी कामना रहती है कि सभी में आपसी प्रेम व सद्भाव बना रहे। होलिका दहन के साथ ही सभी एक-दूसरे को बधाई देते हुए रंग व गुलाल से खुशियां मनाते हैं। यहां पिचकारियां 20 से लेकर 50 रुपये तक मिल रही हैं। बच्चे पाइप या खिलौने वाली पिचकारियां अधिक पसंद कर रहे हैं।
होलिका की अग्नि का है विशेष महत्व
ललितपुर। होलिका दहन में राजा हिरण्यकश्यप की बहन जलकर भष्म हो गई थी। शास्त्रों के अनुसार अग्नि को शुद्ध माना गया है। पुरानी मान्यता के अनुसार होलिका दहन की अग्नि से ही चूल्हे की अग्नि प्रज्ज्वलित करने की परंपरा है। मान्यता है कि इससे पुरानी बाधाएं दूर होती हैं। पुराने समय में तो इसी अग्नि का साल भर राख में दबा कर जलता हुआ रखा जाता था और फिर अगले दिन उसी अग्नि से चूल्हा की अग्नि प्रज्जवलित की जाती थी, जबकि होलिकाग्नि में गेहूूं की पकी बालों को सेंके जाने की परंपरा आज भी चली आ रही है।
मुहूर्त को लेकर है दुविधा
ललितपुर। आज होलिका दहन है, लेकिन होली को लेकर अलग-अलग पंचाग में अलग-अलग राय के कारण दुविधा है। पंचांग में होली खेलने की तारीख 24 मार्च है और यही तारीख सरकारी कलेंडर और प्राइवेट कलेंडर में भी होली की छुट्टी है। ओमप्रकाश शास्त्री के अनुसार पंचांग के अनुसार 22 मार्च की रात 11 बजे से देर रात एक बजे तक होलिका दहन माना गया है, जबकि बहुत से कलेंडरों में बताया गया है कि 22 व 23 मार्च की रात ढाई बजे से पूर्णिमा तिथि लगेगी, इसके बाद ही होलिका दहन शुभ माना गया है।
चंडी मंदिर पर होलिका दहन की तैयारियां
ललितपुर। नई बस्ती स्थित नेशनल स्कूल के पीछे और चंडी मंदिर परिसर में होलिका दहन की तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। स्थानीय समितियों द्वारा होलिका दहन करने का निर्णय लिया गया है। चंडी मंदिर परिसर में बुंदेलखंड विकास मंच के तत्वावधान में होलिका दहन किया जाएगा।