{"_id":"581b91be4f1c1bc032437d76","slug":"trauma-centre","type":"story","status":"publish","title_hn":"ट्रॉमा सेंटर को ‘उपचार’ का इंतजार","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
    ट्रॉमा सेंटर को ‘उपचार’ का इंतजार
 
            	    lalitpur             
                                                
                        
       Updated Fri, 04 Nov 2016 01:06 AM IST
        
       
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                        प्रशासन
                                    - फोटो : amar ujala 
                    
    
        
    
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                ललितपुर। दुर्घटना में घायल लोगों को तत्काल उपचार मुहैया कराने के लिए जिला अस्पताल परिसर में बनाए ट्रॉमा सेंटर को खुद ‘उपचार’ की जरूरत है। इस ट्रॉमा सेंटर भवन को बने हुए करीब पांच वर्ष बीत गए हैं, लेकिन अभी तक यहां का कामकाज सुचारु रूप से शुरू नहीं हो सका है। इसके पीछे जिला अस्पताल प्रशासन स्टॉफ की कमी बताता है। भवन में ट्रॉमा सेंटर की जगह विगत डेढ़ वर्षों से हड्डी रोग विशेषज्ञों की ओपीडी संचालित की जा रही है, इससे पूर्व में यहां फिजियोथेरिपी सेंटर संचालित किया जाता था।
                                
                
                
                 
                    
                                                                                                        
                                                
                        
                        
 
                        
                                                                                      
                   
    
                                                                        
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                                                
                                                                
                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
जनपद से निकले झांसी-सागर नेशनल हाईवे पर सड़क के दोनों और आधा सैकड़ा से अधिक गांव बसे हुए हैं। तेज रफ्तार के कारण व गांव की सीमा पर बनी मोड़ के कारण प्रत्येक माह दो दर्जन से अधिक सड़क हादसे होते हैं। ट्रॉमा सेंटर में सेवाएं उपलब्ध नहीं हो पाने के करण दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायल लोगों को जिला अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में ले जाना पड़ता है। जिला अस्पताल में तैनात हड्डी रोग विशेषज्ञ भी इमरजेंसी सेवाओं में कोई दिलचस्पी नहीं लेते हैं। सड़क दुर्घटनाओं में जिला अस्पताल में आने वाले घायलों का प्राथमिक उपचार करके, मेडिकल कॉलेज झांसी रेफर कर दिया जाता है।    
             
                                                    
                                 
                                
                               
                                                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
इसमें कई घायल तो रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।
सीएमएस एसके वासवानी ने बताया कि ट्रामा सेंटर में स्टाफ की भारी कमी है। विगत पांच वर्षों के इंतजार के बाद शासन ने अगस्त माह में ही तीन डाक्टरों की तैनाती की है, लेकिन वह भी ऊंट के मुंह में जीरा होने के समान है। स्थानीय ट्रामा सेंटर में आर्थोपेडिक सर्जन, न्यूरो सर्जन, निश्चेतना विशेषज्ञ के तीन-तीन पद स्वीकृत है, लेकिन इनके सापेक्ष केवल एक आर्थोपेडिक सर्जन डा. एमसी गुप्ता व निश्चेतना विशेषज्ञ डा. वीके दीक्षित तैनात हैं। इसके अलावा मेडिकल आफीसर के आठ पदों के सापेक्ष केवल एक ही डा. जावेद कालीम तैनात हैं। इसके लिए अलावा अन्य स्टाफ पूरी तरह से निल है, नर्सिंग स्टाफ के लिए 40 उपचारिका व 16 नर्सिंग अटेंडेंट की आवश्यकता है, पैरा मेडिकल स्टाफ में 05 ओटी टैक्नीशियन, 02 रेडियो ग्राफर व 04 लैब टेक्नीशियन की आवश्यकता है। वहीं, साफ-सफाई के लिए 15 सफाई कर्मचारियों की आवश्यकता है। उक्त सभी पद रिक्त पड़े हुए हैं।
                                
                
                
                                
                
                                                                                     
            
                            
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
नहीं भेजा ट्रेनिंग पर
जिला अस्पताल में दो हड्डी रोग डाक्टर तैनात हैं, लेकिन दोनों ने ही किसी भी महीने में मरीजों के ऑपरेशन करने के लक्ष्य को पूरा नहीं किया है, इसमें मेजर ऑपरेशन की संख्या तो हर माह नहीं के बराबर ही होती है। विगत 17 अप्रैल को चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया था, इस दौरान उन्होंने ऑपरेशन लक्ष्य में लापरवाही बरतने पर दोनों हड्डी रोग चिकित्सकों डा. एमसी गुप्ता व डा. राजेश त्रिपाठी को फटकार लगाई थी। इस दौरान डा. राजेश त्रिपाठी ने अपनी दलील पेश की थी कि काफी समय से मेजर ऑपरेशन नहीं किया है, जिससे मनोबल डाउन हो गया है। इस पर प्रमुख सचिव ने सीएमएस को निर्देश दिए थे कि दोनों ही हड्डी रोग चिकित्सकों को मेडिकल कॉलेज झांसी ट्रेनिंग पर भेजा जाए छह माह बीतने के बाद भी अभी तक दोनों ही डाक्टरों को मेडिकल कॉलेज ट्रेनिंग पर नहीं भेजा गया है। जबकि डा. एमसी गुप्ता को ट्रॉमा सेंटर में स्थानंतरित कर दिया गया है।
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                                                                
                                
                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
ट्रॉमा सेंटर के नाम पर होती रही है खानापूर्ति
जिला चिकित्सालय परिसर में बने ट्रामा सेंटर में दो वर्षों तक तो ताले लटकते रहे। करोड़ों की बिल्डिंग बिना किसी उपयोग के धूलफांक रही है, इस संबंध में समाचार प्रकाशित भी किए गए। जिसके बाद जिला अस्पताल प्रशासन ने इसमें ट्रॉमा सेंटर के नाम खानापूर्ति करने के लिए फिजियोथैरिपी सेंटर की स्थापना कर दी। जब समाचारों में एक बार फिर इस मुद्दे ने जोर पकड़ा तो जिला अस्पताल प्रशासन ने अपने हड्डी रोग विशेषज्ञ डाक्टरों की ओपीडी चालू कर दी।
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                                                
                                
                                
                
                                                                
                               
                                                        
         
जनपद से निकले झांसी-सागर नेशनल हाईवे पर सड़क के दोनों और आधा सैकड़ा से अधिक गांव बसे हुए हैं। तेज रफ्तार के कारण व गांव की सीमा पर बनी मोड़ के कारण प्रत्येक माह दो दर्जन से अधिक सड़क हादसे होते हैं। ट्रॉमा सेंटर में सेवाएं उपलब्ध नहीं हो पाने के करण दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायल लोगों को जिला अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में ले जाना पड़ता है। जिला अस्पताल में तैनात हड्डी रोग विशेषज्ञ भी इमरजेंसी सेवाओं में कोई दिलचस्पी नहीं लेते हैं। सड़क दुर्घटनाओं में जिला अस्पताल में आने वाले घायलों का प्राथमिक उपचार करके, मेडिकल कॉलेज झांसी रेफर कर दिया जाता है।
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            इसमें कई घायल तो रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।
सीएमएस एसके वासवानी ने बताया कि ट्रामा सेंटर में स्टाफ की भारी कमी है। विगत पांच वर्षों के इंतजार के बाद शासन ने अगस्त माह में ही तीन डाक्टरों की तैनाती की है, लेकिन वह भी ऊंट के मुंह में जीरा होने के समान है। स्थानीय ट्रामा सेंटर में आर्थोपेडिक सर्जन, न्यूरो सर्जन, निश्चेतना विशेषज्ञ के तीन-तीन पद स्वीकृत है, लेकिन इनके सापेक्ष केवल एक आर्थोपेडिक सर्जन डा. एमसी गुप्ता व निश्चेतना विशेषज्ञ डा. वीके दीक्षित तैनात हैं। इसके अलावा मेडिकल आफीसर के आठ पदों के सापेक्ष केवल एक ही डा. जावेद कालीम तैनात हैं। इसके लिए अलावा अन्य स्टाफ पूरी तरह से निल है, नर्सिंग स्टाफ के लिए 40 उपचारिका व 16 नर्सिंग अटेंडेंट की आवश्यकता है, पैरा मेडिकल स्टाफ में 05 ओटी टैक्नीशियन, 02 रेडियो ग्राफर व 04 लैब टेक्नीशियन की आवश्यकता है। वहीं, साफ-सफाई के लिए 15 सफाई कर्मचारियों की आवश्यकता है। उक्त सभी पद रिक्त पड़े हुए हैं।
नहीं भेजा ट्रेनिंग पर
जिला अस्पताल में दो हड्डी रोग डाक्टर तैनात हैं, लेकिन दोनों ने ही किसी भी महीने में मरीजों के ऑपरेशन करने के लक्ष्य को पूरा नहीं किया है, इसमें मेजर ऑपरेशन की संख्या तो हर माह नहीं के बराबर ही होती है। विगत 17 अप्रैल को चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया था, इस दौरान उन्होंने ऑपरेशन लक्ष्य में लापरवाही बरतने पर दोनों हड्डी रोग चिकित्सकों डा. एमसी गुप्ता व डा. राजेश त्रिपाठी को फटकार लगाई थी। इस दौरान डा. राजेश त्रिपाठी ने अपनी दलील पेश की थी कि काफी समय से मेजर ऑपरेशन नहीं किया है, जिससे मनोबल डाउन हो गया है। इस पर प्रमुख सचिव ने सीएमएस को निर्देश दिए थे कि दोनों ही हड्डी रोग चिकित्सकों को मेडिकल कॉलेज झांसी ट्रेनिंग पर भेजा जाए छह माह बीतने के बाद भी अभी तक दोनों ही डाक्टरों को मेडिकल कॉलेज ट्रेनिंग पर नहीं भेजा गया है। जबकि डा. एमसी गुप्ता को ट्रॉमा सेंटर में स्थानंतरित कर दिया गया है।
ट्रॉमा सेंटर के नाम पर होती रही है खानापूर्ति
जिला चिकित्सालय परिसर में बने ट्रामा सेंटर में दो वर्षों तक तो ताले लटकते रहे। करोड़ों की बिल्डिंग बिना किसी उपयोग के धूलफांक रही है, इस संबंध में समाचार प्रकाशित भी किए गए। जिसके बाद जिला अस्पताल प्रशासन ने इसमें ट्रॉमा सेंटर के नाम खानापूर्ति करने के लिए फिजियोथैरिपी सेंटर की स्थापना कर दी। जब समाचारों में एक बार फिर इस मुद्दे ने जोर पकड़ा तो जिला अस्पताल प्रशासन ने अपने हड्डी रोग विशेषज्ञ डाक्टरों की ओपीडी चालू कर दी।