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Maharajganj News: अस्थायी बस स्टेशन में घोटाले के आरोपी तत्कालीन एआरटीओ निलंबित

संवाद न्यूज एजेंसी, महाराजगंज Updated Fri, 09 May 2025 01:18 AM IST
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The then ARTO accused of scam in temporary bus station suspended
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महराजगंज। प्रयागराज महाकुंभ के दौरान महराजगंज शहर में अस्थायी बस स्टेशन बनाने के लिए सरकार की ओर से 10 लाख रुपये दिए गए थे, लेकिन उस समय शहर में अस्थायी स्टेशन नहीं बनाया गया। इस मद में आए रकम का बंदरबांट कर लिया गया।
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मामले की पोल खुली तो आरोपी तत्कालीन एआरटीओ विनय कुमार को लखनऊ मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया। बृहस्पतिवार को शासन ने निलंबित कर दिया। शासन की ओर से जारी पत्र के अनुसार, विनय कुमार, सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन), महराजगंज ने महाकुंभ 2025 के लिए आवंटित 10 लाख की धनराशि के सापेक्ष वास्तविक कार्य नहीं कराया।
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फर्जी बिलों के माध्यम से कोषागार से धन आहरण कर लिया गया। फोटो और साक्ष्य में हेराफेरी, विभागीय दिशा-निर्देशों की अनदेखी एवं आपूर्तिकर्ता की नियुक्ति में पारदर्शिता के अभाव पर जांच हुई थी। इस वजह से पहले ही इनको निलंबित कर दिया गया है। निलंबित अवधि में विनय कुमार को मुख्यालय संबद्ध करते हुए उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई जारी है।
उप परिवहन आयुक्त (परिक्षेत्र), आगरा को जांच अधिकारी नामित किया गया है। बतादें कि विनय कुमार मूलरूप से देवरिया, बरहज के रहने वाले हैं। वह कुछ समय पहले वाराणसी में मकान बनवा लिए थे।
शासन की ओर से कार्रवाई होने के बाद शिकायत करने वाले ट्रक ऑपरेटर एसोसिएशन महराजगंज जिलाध्यक्ष जितेंद्र कुमार पटेल ने बताया कि यह पहले से ही तय था। एआरटीओ कार्यालय का भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया गया था। बगैर अस्थाई स्टेशन बनाए ही रकम का बंदरबाट कर लिया गया। जांच के बाद सच्चाई सामने आ गई है।
महाकुंभ जैसे आयोजन के नाम पर भी गड़बड़झाला करने से जिम्मेदार नहीं चुके। उधर, निलंबन की सूचना मिलते ही एआरटीओ कार्यालय में जरूरी काम कराने के लिए परेशान रहने वाले लोगों ने राहत महसूस की। धीरेंद्र कुमार ने बीते दो माह का जिक्र किया।
उन्होंने बताया कि गाड़ी दूसरे के नाम ट्रांसफर कराने के लिए रकम की मांग की जा रही थी, नहीं देने पर काम लटका दिया गया था। इधर, 10 दिन पहले बगैर रकम दिए ही काम हो गया। गुजरे वक्त में बहुत से लोग जरूरी काम कराने के लिए परेशान रहते थे। कार्यालय के कर्मियों पर भी अनावश्यक दबाव बनाया जाता था।
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मामला संज्ञान में आते ही कई चरण में जांच की गई। पूरी रिपोर्ट शासन को प्रेषित की गई थी। निलंबन की सूचना मिली है। अगर कोई शासन की मंशा के विपरित कार्य करेगा तो कार्रवाई होनी तय है।
-रामबृक्ष सोनकर, संभागीय परिवहन अधिकारी, गोरखपुर
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