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नहीं सुधारा जल, तो बीमारी देगा कल
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मथुरा। जिले का अधिकांश हिस्सा खारे पानी की समस्या से जूझ रहा है। आजादी के 75 साल बाद भी कई इलाकों में महिलाएं सर पर पानी ढो कर लाती हैं। जिले का ४० प्रतिशत से अधिक भूगर्भ जल में टीडीएस (टोटल डिसॉल्वड सॉलिड) की मात्रा २ हजार से ५ हजार तक है। इससे लोगों के बीमार होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। विशेषज्ञ भी बताते हैं कि १०० टीडीएस वाला पानी उत्तम है। 300 टीडीएस वाले पानी का उपयोग किया जा सकता है। इससे अधिक टीडीएस के पानी का उपयोग करने पर बीमारियां होना निश्चित है।
भगवान श्रीकृष्ण की जन्म स्थली मथुरा हो या फिर लीला स्थली नंदगांव, बरसाना और गोवर्धन। यहां तक कि श्रीकृष्ण के बडे़ भाई का क्षेत्र बलदेव में भी भूगर्भ जल खारा है। इनके अलावा दीनदयाल उपाध्याय की भूमि फरह के साथ राया, मांट, नौहझील सहित छाता, चौमुहां ब्लॉक के अधिकांश क्षेत्र का भू- गर्भ जल खारा है।
इन ब्लॉक के आबादी क्षेत्र में यह समस्या और भी ज्यादा गंभीर है। ऐसे में गांव और नगरीय आबादी के निवासियों को पीने के पानी की व्यवस्था दूर दराज क्षेत्र से करनी होती है। छाता ब्लॉक इस दृष्टि से सर्वाधिक प्रभावित है। यहां टीडीएस की अधिकता के साथ आर्सेनिक की मौजूदगी है। मथुरा शहरी क्षेत्र के औद्योगिक इलाके भी इस समस्या से प्रभावित हैं।
चार हजार से अधिक टीडीएस की मात्रा
जल निगम के आंकडे़ बताते हैं नंदगांव ब्लॉक गांव सिरथला, गांव गिडोह में टीडीएस 3500-४००० के बीच है। फरह ब्लाक के गांव हथौली, पींगरी, गढ़ी रामबल, चौमुहां ब्लाक के गांव सहार, गांव परखम, अकबरपुर, गांव लाढ़पुर में टीडीएस अत्याधिक है। छाता ब्लाक के गांव गोहारी, बलदेव के गांव अवैरनी, दघेंटा, किशनपुर, राया ब्लाक के गांव ब्यौही, खेडिय़ा, गांव सिहोरा, तेहरा, नौहझील ब्लाक के गांव बड़ौत, गांव दीनू पट्टी, मोइद्दीनपुर, गोवर्धन के गांव बछगांव, मगोर्रा, गांव सौंसा, मांट ब्लाक के गांव डडीसरा में भी टीडीएस की मात्रा तीन हजार से ऊपर ही है।
डैंपियर नगर में टीडीएस २५००
मथुरा-वृंदावन नगर निगम की सबसे पुरानी पॉश कॉलोनी डैंपियर नगर में टीडीएस की मात्रा २५०० तक है। हालांकि इस कॉलोनी में पिछले कुछ समय से दिन में एक बार गंगाजल की सप्लाई भी हो रही है।
खारे पानी का सेवन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए १०० के आसपास टीडीएस वाले पानी का उपयोग उत्तम है लेकिन ३००-४०० टीडीएस वाला पानी भी उपयोग किया जा सकता है। ज्यादा टीडीएस के पानी का उपयोग पीलिया, टाइफाइड, पेट के रोग व हड्डियों में दर्द व त्वचा संबंधी बीमारियां पैदा करता है। जनपद में पानी के कारण अधिकांश लोग पेट के रोगी हैं।
डॉ. चिरदीप अग्रवाल
25 साल हो गए बछगांव में आए। यहां खारे पानी की समस्या इतनी है कि गांव की सब महिलाएं कुएं से ही पानी भर के लाती हैं।
-विनीता देवी बछगांव
गोवर्धन ब्लॉक के ज्यादातर गांवों में खारे पानी की समस्या है। कुछ ग्राम पंचायतों में पाइप लाइन से मीठे पानी की सप्लाई जा रही है। पलसों, जानू, मुड़सेरस, नीमगांव में विशेष खारी पानी है।
-महादेव शर्मा
महावन तहसील के गांव सिहोरा में भूगर्भ जल खारा है। पानी की टंकी जर्जर अवस्था में है। वह भी पिछले दो दशक से बंद है। नई टंकी की व्यवस्था के लिए कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई है। - सुरेंद्र सिंह, ग्राम प्रधान, सिहोरा
गांव में पीने के पानी की गंभीर समस्या है। गांव का पानी खारा होने के कारण पीने के पानी की व्यवस्था दूर से करनी पड़ती है। क्षेत्र में टीडीएस की मात्रा 4000 से अधिक है। सतेंद्र कुमार, तारापुर
स्वच्छ व पीने योग्य पानी के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार की कई योजनाओं पर काम किया जा रहा है। जिले में गंगाजल की सप्लाई और बढ़ाने के लिए भी काम किया जा रहा है।
डॉ. विपिन गौड़, सीडीओ
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भगवान श्रीकृष्ण की जन्म स्थली मथुरा हो या फिर लीला स्थली नंदगांव, बरसाना और गोवर्धन। यहां तक कि श्रीकृष्ण के बडे़ भाई का क्षेत्र बलदेव में भी भूगर्भ जल खारा है। इनके अलावा दीनदयाल उपाध्याय की भूमि फरह के साथ राया, मांट, नौहझील सहित छाता, चौमुहां ब्लॉक के अधिकांश क्षेत्र का भू- गर्भ जल खारा है।
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इन ब्लॉक के आबादी क्षेत्र में यह समस्या और भी ज्यादा गंभीर है। ऐसे में गांव और नगरीय आबादी के निवासियों को पीने के पानी की व्यवस्था दूर दराज क्षेत्र से करनी होती है। छाता ब्लॉक इस दृष्टि से सर्वाधिक प्रभावित है। यहां टीडीएस की अधिकता के साथ आर्सेनिक की मौजूदगी है। मथुरा शहरी क्षेत्र के औद्योगिक इलाके भी इस समस्या से प्रभावित हैं।
चार हजार से अधिक टीडीएस की मात्रा
जल निगम के आंकडे़ बताते हैं नंदगांव ब्लॉक गांव सिरथला, गांव गिडोह में टीडीएस 3500-४००० के बीच है। फरह ब्लाक के गांव हथौली, पींगरी, गढ़ी रामबल, चौमुहां ब्लाक के गांव सहार, गांव परखम, अकबरपुर, गांव लाढ़पुर में टीडीएस अत्याधिक है। छाता ब्लाक के गांव गोहारी, बलदेव के गांव अवैरनी, दघेंटा, किशनपुर, राया ब्लाक के गांव ब्यौही, खेडिय़ा, गांव सिहोरा, तेहरा, नौहझील ब्लाक के गांव बड़ौत, गांव दीनू पट्टी, मोइद्दीनपुर, गोवर्धन के गांव बछगांव, मगोर्रा, गांव सौंसा, मांट ब्लाक के गांव डडीसरा में भी टीडीएस की मात्रा तीन हजार से ऊपर ही है।
डैंपियर नगर में टीडीएस २५००
मथुरा-वृंदावन नगर निगम की सबसे पुरानी पॉश कॉलोनी डैंपियर नगर में टीडीएस की मात्रा २५०० तक है। हालांकि इस कॉलोनी में पिछले कुछ समय से दिन में एक बार गंगाजल की सप्लाई भी हो रही है।
खारे पानी का सेवन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए १०० के आसपास टीडीएस वाले पानी का उपयोग उत्तम है लेकिन ३००-४०० टीडीएस वाला पानी भी उपयोग किया जा सकता है। ज्यादा टीडीएस के पानी का उपयोग पीलिया, टाइफाइड, पेट के रोग व हड्डियों में दर्द व त्वचा संबंधी बीमारियां पैदा करता है। जनपद में पानी के कारण अधिकांश लोग पेट के रोगी हैं।
डॉ. चिरदीप अग्रवाल
25 साल हो गए बछगांव में आए। यहां खारे पानी की समस्या इतनी है कि गांव की सब महिलाएं कुएं से ही पानी भर के लाती हैं।
-विनीता देवी बछगांव
गोवर्धन ब्लॉक के ज्यादातर गांवों में खारे पानी की समस्या है। कुछ ग्राम पंचायतों में पाइप लाइन से मीठे पानी की सप्लाई जा रही है। पलसों, जानू, मुड़सेरस, नीमगांव में विशेष खारी पानी है।
-महादेव शर्मा
महावन तहसील के गांव सिहोरा में भूगर्भ जल खारा है। पानी की टंकी जर्जर अवस्था में है। वह भी पिछले दो दशक से बंद है। नई टंकी की व्यवस्था के लिए कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई है। - सुरेंद्र सिंह, ग्राम प्रधान, सिहोरा
गांव में पीने के पानी की गंभीर समस्या है। गांव का पानी खारा होने के कारण पीने के पानी की व्यवस्था दूर से करनी पड़ती है। क्षेत्र में टीडीएस की मात्रा 4000 से अधिक है। सतेंद्र कुमार, तारापुर
स्वच्छ व पीने योग्य पानी के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार की कई योजनाओं पर काम किया जा रहा है। जिले में गंगाजल की सप्लाई और बढ़ाने के लिए भी काम किया जा रहा है।
डॉ. विपिन गौड़, सीडीओ