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मौसम हुआ सर्द: ठाकुरजी को ना लगे सर्दी... इसलिए जयपुरी रजाई ओढ़ाई, चांदी की अंगीठी जलाई
संवाद न्यूज एजेंसी, मथुरा
Published by: अरुन पाराशर
Updated Thu, 04 Dec 2025 04:58 PM IST
सार
सर्दी से बचाव के लिए ठाकुरजी की पोशाक में बदलाव करने के साथ अंगीठी भी जलाई जा रही है। भोग के व्यंजनों में केसर, मेवाओं को शामिल किया जा रहा है।
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मंदिर में जलाई अंगीठी।
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
वृंदावन के ठाकुर राधावल्लभ मंदिर में ठाकुरजी को ठंड का अहसास होने लगा है। शीत ऋतु से बचाव के लिए चांदी की अंगीठी, जयपुरी रजाई, हाथों और चरणों में ऊनी मोजे धारण कराए जाने लगे हैं। ठाकुरजी के प्रसाद में भी बड़ा बदलाव किया गया है। व्यंजनों में केसर, मेवाओं को समावेश किया गया है।
ठाकुर राधावल्लभ मंदिर में सेवायत गोस्वामियों ने ठाकुरजी की पोशाक और भोग प्रसाद में बदलाव किया है। व्यंजन द्वादशी से ठाकुरजी को अधिक ठंड का अहसास होने लगता है। सेवायत गोस्वामी ने ठाकुरजी के सम्मुख सुबह शृंगार आरती, राजभोग आरती और शाम को संध्या व शयन आरती तक चांदी की अंगीठी की सेवा शुरू की है।
वहीं जयपुरी रजाई एवं हाथों एवं चरणों में मखमली एवं ऊनी मोजे धारण कराए जा रहे हैं। ठाकुरजी को दूध एवं खीर में केसर और मेवा को शामिल किया जाने लगा है। मंदिर की रसोई में सेवायत ठाकुरजी के लिए तिल एवं मेवाओं के लड्डू, हलवा और खीर बना रहे हैं। सेवायत मोहित मराल गोस्वामी ने बताया कि सुबह और शाम श्रीजी के समक्ष अंगीठी की सेवा बसंत पंचमी तक निरंतर की जाएगी।
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ठाकुर राधावल्लभ मंदिर में सेवायत गोस्वामियों ने ठाकुरजी की पोशाक और भोग प्रसाद में बदलाव किया है। व्यंजन द्वादशी से ठाकुरजी को अधिक ठंड का अहसास होने लगता है। सेवायत गोस्वामी ने ठाकुरजी के सम्मुख सुबह शृंगार आरती, राजभोग आरती और शाम को संध्या व शयन आरती तक चांदी की अंगीठी की सेवा शुरू की है।
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वहीं जयपुरी रजाई एवं हाथों एवं चरणों में मखमली एवं ऊनी मोजे धारण कराए जा रहे हैं। ठाकुरजी को दूध एवं खीर में केसर और मेवा को शामिल किया जाने लगा है। मंदिर की रसोई में सेवायत ठाकुरजी के लिए तिल एवं मेवाओं के लड्डू, हलवा और खीर बना रहे हैं। सेवायत मोहित मराल गोस्वामी ने बताया कि सुबह और शाम श्रीजी के समक्ष अंगीठी की सेवा बसंत पंचमी तक निरंतर की जाएगी।