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राम मंदिर आंदोलन में बेल्हा की रही अहम भूमिका
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कटरामेदनीगंज स्थित मां शीतला देवी धाम में विद्युत झालरों से सजाया गया।
- फोटो : PRATAPGARH
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प्रतापगढ़। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए विश्व हिंदू परिषद की तरफ से चलाए गए आंदोलन में प्रतापगढ़ की भी अहम भूमिका रही। विहिप ने मंदिर के पक्ष में माहौल बनाने और हिंदुओं को संगठित करने के लिए यहां पदाधिकारियों के साथ छोटे स्तर पर जगह-जगह समितियां तैयार की थीं। मंदिर निर्माण के लिए विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अशोक सिंघल का भी लगातार यहां आना-जाना लगा रहा। उनके साथ उमा भारती ने भी लोगों को एकजुट करने के लिए सभाएं कीं।
राम मंदिर निर्माण आंदोलन तेज करने के लिए अशोक सिंघल ने जिले में कई सभाएं कीं। मंदिर आंदोलन में शामिल रहे संघ से जुड़े वरिष्ठ अधिवक्ता राममूर्ति तिवारी बताते हैं कि वर्ष1983 में अशोक सिंघल ने जिले में मंदिर निर्माण को लेकर सबसे महत्वपूर्ण सभा प्रताप बहादुर पार्क में की थी। दिन में सभा करने के बाद वह रात में पूर्व विधायक स्व. बाबूलाल श्रीवास्तव के यहां रुके थे। उन्होंने सभा के दौरान राम मंदिर निर्माण के लिए एकजुट होने को कहा था।
पूरा प्रताप बहादुर पार्क भरा हुआ था और लोग सिंघल को गौर से सुन रहे थे। सिंघल ने तब मंदिर के लिए आवाज उठाने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता रहे स्व. राम प्रताप सिंह को गले लगा लिया था। सिंघल ने पूरे जिले में विहिप कार्यकर्ताओं को एकजुट किया था। प्रताप बहादुर पार्क में उनकी सभा में जिलेभर के कार्यकर्ता जुटे थे। तब राम मंदिर निर्माण को लेकर आवाज बुलंद की गई। उनके निर्देश पर मंदिर आंदोलन को धार देने के लिए ब्लाक स्तर तक विहिप की समितियां गठित की गई थीं।
अयोध्या में जब कारसेवा चल रही थी कि तब यहां के लोगों की ड्यूटी उनकी सेवा में लगाई गई थी। निर्देश था कि इधर से गुजरने वाले कारसेवकों को भोजन समेत सभी जरूरी चीजें मुहैया कराई जाएं। यहां राम मंदिर आंदोलन को उमा भारती ने भी धार दी। उन्होंने गोपाल मंदिर में पीपल के पेड़ के नीचे कार्यकर्ताओं के साथ सभा की थी। उन्होंने कहा था कि मंदिर जल्दी बने। इसके हमें जो करना पड़ेगा वह करेंगे। उन्होंने जिले के लोगों से बाहर गसे आ रहे कारसेवकों की सेवा करने की अपील की थी। इसी दौरान रामशिला पूजन का भी अभियान चलाया गया था। जिले में जगह-जगह यह यात्रा घूमी और रामशिला का पूजन किया गया।
सरयू किनारे होती थी बैठक, बड़ी संख्या में जिले से जाते थे लोग
विहिप और संघ से जुड़े लोग लगातार आंदोलन को धार देते रहे। पं. राममूर्ति त्रिपाठी बताते हैं कि प्रतापगढ़ से बड़ी संख्या में लोग मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में सरयू नदी के किनारे होने वाली बैठकों में भी शामिल होते रहे। हर 15 दिन पर अयोध्या में सरयू के किनारे मीटिंग की जाती थी ताकि हिंदू समाज को जगाया जा सके। इसमें जिले से भी बड़ी संख्या में लोग शामिल होने जाते थे।
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राम मंदिर निर्माण आंदोलन तेज करने के लिए अशोक सिंघल ने जिले में कई सभाएं कीं। मंदिर आंदोलन में शामिल रहे संघ से जुड़े वरिष्ठ अधिवक्ता राममूर्ति तिवारी बताते हैं कि वर्ष1983 में अशोक सिंघल ने जिले में मंदिर निर्माण को लेकर सबसे महत्वपूर्ण सभा प्रताप बहादुर पार्क में की थी। दिन में सभा करने के बाद वह रात में पूर्व विधायक स्व. बाबूलाल श्रीवास्तव के यहां रुके थे। उन्होंने सभा के दौरान राम मंदिर निर्माण के लिए एकजुट होने को कहा था।
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पूरा प्रताप बहादुर पार्क भरा हुआ था और लोग सिंघल को गौर से सुन रहे थे। सिंघल ने तब मंदिर के लिए आवाज उठाने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता रहे स्व. राम प्रताप सिंह को गले लगा लिया था। सिंघल ने पूरे जिले में विहिप कार्यकर्ताओं को एकजुट किया था। प्रताप बहादुर पार्क में उनकी सभा में जिलेभर के कार्यकर्ता जुटे थे। तब राम मंदिर निर्माण को लेकर आवाज बुलंद की गई। उनके निर्देश पर मंदिर आंदोलन को धार देने के लिए ब्लाक स्तर तक विहिप की समितियां गठित की गई थीं।
अयोध्या में जब कारसेवा चल रही थी कि तब यहां के लोगों की ड्यूटी उनकी सेवा में लगाई गई थी। निर्देश था कि इधर से गुजरने वाले कारसेवकों को भोजन समेत सभी जरूरी चीजें मुहैया कराई जाएं। यहां राम मंदिर आंदोलन को उमा भारती ने भी धार दी। उन्होंने गोपाल मंदिर में पीपल के पेड़ के नीचे कार्यकर्ताओं के साथ सभा की थी। उन्होंने कहा था कि मंदिर जल्दी बने। इसके हमें जो करना पड़ेगा वह करेंगे। उन्होंने जिले के लोगों से बाहर गसे आ रहे कारसेवकों की सेवा करने की अपील की थी। इसी दौरान रामशिला पूजन का भी अभियान चलाया गया था। जिले में जगह-जगह यह यात्रा घूमी और रामशिला का पूजन किया गया।
सरयू किनारे होती थी बैठक, बड़ी संख्या में जिले से जाते थे लोग
विहिप और संघ से जुड़े लोग लगातार आंदोलन को धार देते रहे। पं. राममूर्ति त्रिपाठी बताते हैं कि प्रतापगढ़ से बड़ी संख्या में लोग मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में सरयू नदी के किनारे होने वाली बैठकों में भी शामिल होते रहे। हर 15 दिन पर अयोध्या में सरयू के किनारे मीटिंग की जाती थी ताकि हिंदू समाज को जगाया जा सके। इसमें जिले से भी बड़ी संख्या में लोग शामिल होने जाते थे।