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कोच न किट, कैसे देश में नाम करें बेल्हा के एथलीट
अमर उजाला नेटवर्क, प्रतापगढ़
Published by: इलाहाबाद ब्यूरो
Updated Mon, 09 Aug 2021 12:42 AM IST
सार
टोक्यो ओलंपिक में एथलीट नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीतकर आखिरकार देश के लोगों को इतराने का मौका दे दिया। उनकी इस उपलब्धि पर पूरा देश झूम रहा है...
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विस्तार
टोक्यो ओलंपिक में एथलीट नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीतकर आखिरकार देश के लोगों को इतराने का मौका दे दिया। उनकी इस उपलब्धि पर पूरा देश झूम रहा है, लेकिन अपने जिले में प्रशिक्षण ले रहे एथलीटों की चिंता किसी को नहीं है। जिला स्पोर्ट्स स्टेडियम में दूसरों खेलों की तरह एथलेटिक्स का भी बुरा हाल है। न कोच हैं और न ही किट। एथलीट के प्रति रुचि रखने वाले युवा मैदान में पसीना बहा रहे हैं, मगर असुविधाओं के चलते उनके सपनों को पंख नहीं लग पा रहे हैं।
जिला स्टेडियम में आठ प्रकार के खेलों का प्रशिक्षण दिया जाता है। फुटबाल, हॉकी, क्रिकेट, एथलीट, कुश्ती, तलवारबाजी, हैंडबाल और वॉलीबाल। जिले में एथलीट प्रति खिलाड़ियों का काफी रुझान है। यहां से कई खिलाड़ियों ने जिले का नाम रोशन किया है। वर्तमान समय में भी कई युवा प्रतिभाएं एथलीट में अपना भविष्य तराश रही हैं, लेकिन उनके लिए स्टेडियम में कोई व्यवस्था नहीं है।
सिर्फ नाम के लिए स्टेडियम में एथलीट प्रशिक्षण दिया जाता है। कोच तक नहीं हैं। न ही खिलाड़ियों की सहूलियत के लिए किट। एक ही मैदान में सभी खेलों से जुड़े खिलाड़ी अभ्यास करते हैं। दौड़, ऊंची कूद, लंबी कूद, जैवलिन थ्रो, डिसकस थ्रो, गोला थ्रो, हैमर थ्रो का अभ्यास करते समय युवाओं को काफी दिक्कत होती है। वह मैदान में भीड़ की वजह से माकूल अभ्यास नहीं कर पाते हैं।
भटकाव की स्थिति बनी रहती है। उपकरण खराब हो जाने पर उन्हें दोबारा मांगने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसे में अव्यवस्था के बीच जिले के एथलीट मैदान में दिशाहीन अभ्यास कर रहे हैं। इसे लेकर उनमें गहरी निराशा है। जिला क्रीड़ा अधिकारी अभिज्ञान मालवीय ने बताया कि कोरोना काल में अब तक कोच की तैनाती नहीं हो सकी है। प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही कोच मिलने की संभावना है।
स्टेडियम में अब तक प्रशिक्षक की तैनाती नहीं हो सकी है। बगैर कोच के ही खिलाड़ी अभ्यास कर रहे हैं। इससे एथलेटिक्स की बारीकियों से हम रूबरू नहीं हो पाते हैं। - सलमान खान
स्टेडियम में एथलेटिक्स के लिए अलग से मैैदान की व्यवस्था की जाए। ताकि खिलाड़ी सही ढंग से अभ्यास कर सकें। एक मैदान पर अभ्यास नहीं हो पाता है। - वीरेंद्र सरोज
जिले में एथलेटिक्स के प्रशिक्षण की व्यवस्था नहीं होने से खिलाड़ी महानगरों का रुख करते हैं। इससे उनकी जेबें ढीली हो रही हैं।- अनुराधा रानी गुप्ता
एथलेटिक्स के प्रशिक्षण को लेकर स्टेडियम में सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं। कोरोना काल में सभी कार्य हो रहे हैं। सिर्फ स्टेडियम में कोच की तैनाती नहीं हो पा रही है।-मुकेश
स्टेडियम में खेल के प्रशिक्षण के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। अभ्यास करने वाले कई साथी खिलाड़ी खेल छोड़ चुके हैं। स्टेडियम में कोई व्यवस्था नहीं है। -भोला गुप्ता
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जिला स्टेडियम में आठ प्रकार के खेलों का प्रशिक्षण दिया जाता है। फुटबाल, हॉकी, क्रिकेट, एथलीट, कुश्ती, तलवारबाजी, हैंडबाल और वॉलीबाल। जिले में एथलीट प्रति खिलाड़ियों का काफी रुझान है। यहां से कई खिलाड़ियों ने जिले का नाम रोशन किया है। वर्तमान समय में भी कई युवा प्रतिभाएं एथलीट में अपना भविष्य तराश रही हैं, लेकिन उनके लिए स्टेडियम में कोई व्यवस्था नहीं है।
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सिर्फ नाम के लिए स्टेडियम में एथलीट प्रशिक्षण दिया जाता है। कोच तक नहीं हैं। न ही खिलाड़ियों की सहूलियत के लिए किट। एक ही मैदान में सभी खेलों से जुड़े खिलाड़ी अभ्यास करते हैं। दौड़, ऊंची कूद, लंबी कूद, जैवलिन थ्रो, डिसकस थ्रो, गोला थ्रो, हैमर थ्रो का अभ्यास करते समय युवाओं को काफी दिक्कत होती है। वह मैदान में भीड़ की वजह से माकूल अभ्यास नहीं कर पाते हैं।
भटकाव की स्थिति बनी रहती है। उपकरण खराब हो जाने पर उन्हें दोबारा मांगने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसे में अव्यवस्था के बीच जिले के एथलीट मैदान में दिशाहीन अभ्यास कर रहे हैं। इसे लेकर उनमें गहरी निराशा है। जिला क्रीड़ा अधिकारी अभिज्ञान मालवीय ने बताया कि कोरोना काल में अब तक कोच की तैनाती नहीं हो सकी है। प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही कोच मिलने की संभावना है।
स्टेडियम में अब तक प्रशिक्षक की तैनाती नहीं हो सकी है। बगैर कोच के ही खिलाड़ी अभ्यास कर रहे हैं। इससे एथलेटिक्स की बारीकियों से हम रूबरू नहीं हो पाते हैं। - सलमान खान
स्टेडियम में एथलेटिक्स के लिए अलग से मैैदान की व्यवस्था की जाए। ताकि खिलाड़ी सही ढंग से अभ्यास कर सकें। एक मैदान पर अभ्यास नहीं हो पाता है। - वीरेंद्र सरोज
जिले में एथलेटिक्स के प्रशिक्षण की व्यवस्था नहीं होने से खिलाड़ी महानगरों का रुख करते हैं। इससे उनकी जेबें ढीली हो रही हैं।- अनुराधा रानी गुप्ता
एथलेटिक्स के प्रशिक्षण को लेकर स्टेडियम में सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं। कोरोना काल में सभी कार्य हो रहे हैं। सिर्फ स्टेडियम में कोच की तैनाती नहीं हो पा रही है।-मुकेश
स्टेडियम में खेल के प्रशिक्षण के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। अभ्यास करने वाले कई साथी खिलाड़ी खेल छोड़ चुके हैं। स्टेडियम में कोई व्यवस्था नहीं है। -भोला गुप्ता