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Sonebhadra News: ओबरा बी तापीय परियोजना के स्विच यार्ड में लगी आग, बिजली उत्पादन गिरा

Varanasi Bureau वाराणसी ब्यूरो
Updated Thu, 08 May 2025 11:15 PM IST
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Fire broke out in the switch yard of Obra B thermal project, power generation fell
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ओबरा (सोनभद्र)। ओबरा बी तापीय परियोजना के 400 केवी स्विच यार्ड में लगे दो इंटर कनेक्टिंग ट्रांसफाॅर्मर (आईसीटी) में बृहस्पतिवार की सुबह आग लग गई। लपटों को देखकर लोग सहम गए। सीआईएसएफ और अग्निशमन विभाग के जवानों ने चार घंटे की मशक्कत से आग पर काबू पाया। घटना से 10वीं और 11वीं इकाई ट्रिप हो गईं, जिससे विद्युत उत्पादन गिर गया। इस कारण कई पारेषण लाइन बंद हो गईं।
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वहीं, डीएम ने आग के कारणों और क्षति की जांच के लिए पांच सदस्यीय टीम गठित की है। आग से 50 करोड़ से अधिक की क्षति का अनुमान लगाया जा रहा है। इधर, दोपहर करीब डेढ़ के आसपास 10 इकाई से उत्पादन शुरू हो गया था, जबकि 11 वीं इकाई में मरम्मत का काम चल रहा था। परियोजना अधिकारियों के अनुसार, देररात इस इकाई से भी उत्पादन शुरू करा दिया जाएगा।
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बृहस्पतिवार की सुबह करीब साढ़े छह बजे परियोजना के स्विच यार्ड से धुएं का गुबार उठने लगा। आग की तेज लपटें उठने लगीं। आसपास के लोगों ने तत्काल सूचना तापीय परियोजना के अधिकारियों और सीआईएसएफ फायर यूनिट को दी। सूचना पर पहुंचे फायर यूनिट के कर्मचारियों ने आग बुझाने का प्रयास किया। पता चला कि स्विच यार्ड में 400 केवी के दो इंटर कनेक्टिंग पावर ट्रांसफॉर्मरों में आग लगी है। आग के कारण स्विच यार्ड से जुड़ी 200-200 मेगावाट क्षमता वाली 10वीं और 11वीं इकाई ट्रिप कर गई। इससे दोनों इकाइयों से उत्पादन ठप हो गया। करीब चार घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। डीएम बद्रीनाथ सिंह, एसपी अशोक कुमार मीणा ने ओबरा परियोजना के सीजीएम इं. आरके अग्रवाल के साथ घटनास्थल का निरीक्षण किया।

डीएम बद्रीनाथ सिंह ने आग के कारणों और क्षति का अनुमान लगाने के लिए पांच सदस्यीय टीम गठित की है। टीम में राजस्व, पुलिस, अग्निशमन, सीआईएसएफ और परियोजना के अधिकारी शामिल हैं। डीएम ने बताया कि करीब 50 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। वास्तविक स्थिति जांच रिपोर्ट के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी।



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आठ वाहनों ने चार घंटे की मशक्कत से बुझाई आग

आग इतनी भीषण थी कि काबू पाने में अग्निशमन इकाई के जवानों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। करीब चार घंटे तक आठ वाहन आग बुझाने में लगे रहे। आग और धुएं का गुबार कई किमी दूर तक फैला था, जिसे देख लोग सहम गए थे। आग लगने की सूचना पर सबसे पहले परियोजना में स्थित सीआईएसएफ की फायर इकाई मौके पर पहुंची। सीआईएसएफ के पांच वाहन आग बुझाने में लगे रहे। इसके बाद फायर ब्रिगेड को सूचना को दी गई। कुछ देर में चोपन और रॉबर्ट्सगंज अग्निशमन केंद्र से एक-एक फायर टेंडर पहुंच गए। सीमेंट फैक्टरी के भी फायर टेंडर को बुलाया गया। अग्निशमन विभाग ने रेणुकूट से हिंडाल्को की फायर यूनिट, घोरावल और मिर्जापुर के अग्निशमन केंद्र से भी मदद मांगी। तीनों स्थानों से वाहन रवाना हुए। तब तक स्थिति नियंत्रण में आने के कारण उन्हें रास्ते से ही लौटा दिया गया। साढ़े नौ बजे तक आग पर काबू पा लिया गया था, लेकिन इसे पूरी तरह बुझाने में करीब साढ़े दस बज गए।



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बिजली को 220 केवी में बदलकर ग्रिड को भेजता है आईसीटी
स्विचयार्ड विद्युत प्रणाली का वह हिस्सा है, जो जनरेटिंग प्लांट और ट्रांसमिशन सिस्टम के बीच की कड़ी का काम करता है। ओबरा-बी परियोजना के स्विचयार्ड में 400 केवी क्षमता के पांच पावर ट्रांसफॉर्मर लगे हैं। प्रत्येक पावर ट्रांसफाॅर्मर 200 मेगावाट वाली एक इकाई से जुड़ा है। इकाई से बनने वाली बिजली को 400 केवीए का इंटर कनेक्टिंग ट्रांसफॉर्मर 220 केवी में बदलकर बिजली ग्रिड को भेजता है।



प्रथम दृष्टया आग लगने की वजह ट्रांसफाॅर्मर का काफी पुराना होना प्रतीत हो रहा है। घटना के कारणों और नुकसान के आकलन के लिए निगम मुख्यालय से भी टीम बनाई गई है। यह टीम शुक्रवार की सुबह घटनास्थल पर पहुंचकर जांच करेगी। - इं.आरके अग्रवाल, मुख्य महाप्रबंधक, ओबरा परियोजना।
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